आगाज मानो या आभार, लक्ष्य साफ इस बार 370 पार…

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आगाज मानो या आभार, लक्ष्य साफ इस बार 370 पार…

यह संयोग था या सुनियोजित कि अंत्योदय के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मध्यप्रदेश के जनजातीय समुदाय के बीच उपस्थित थे। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के समय मोदी ने इन्हीं जनजातीय समुदाय के बीच पहुंचकर मतों और डबल इंजन की सरकार बनाने की गुहार लगाई थी। अब मोदी चाहे मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार बनने और डबल इंजन की सरकार बनाने पर जनजातीय समुदाय का आभार जताने आए हों या फिर एक बार फिर डबल इंजन की सरकार बनाए रखने के लिए मतों का आह्वान करने, पर संवाद सीधा और साफ था जिसे जनजातीय मतदाता भी समझ गया है। मोदी ने जनजातीय महाकुंभ में यह साफ किया कि इस बार असल लक्ष्य 370 पार का है और यह अपील भी कर डाली कि हर बूथ पर अभी तक मिले अधिकतम मतों में इस बार 370 मतों का इजाफा करना है। और जब मतदाता खुद इतनी चिंता करेंगे तो यह बात साफ है कि उपलब्धि चार सौ पार हो जाए या फिर 470 का आंकड़ा ही क्यों न छू जाए, सब कुछ मोदी को स्वीकार है। अब यह बात मायने नहीं रखती कि मोदी जनजातीय महाकुंभ के बीच लोकसभा चुनाव प्रचार का आगाज करने आए थे या फिर विधानसभा चुनाव में जीत का आभार जताने। पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि के पावन अवसर पर उन्होंने इस शुभ कार्य की शुरुआत कर दी।
और मोदी आगाज करने आए हों या फिर आभार जताने, कुछ सौगातें तो देनी ही थीं। सो प्रधानमंत्री मोदी ने झाबुआ के जनजातीय महाकुंभ में 7550 करोड़ की विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास कर जनजातीय क्षेत्र को एक बड़ा तोहफा भी दे दिया। और फिर कांग्रेस को आइना दिखाने का काम तो मोदी से बेहतर कोई और कर ही नहीं सकता। सो मोदी ने जनजातीय भाई-बहनों को बता दिया कि लूट और फूट ही कांग्रेस की ताकत है, इसी से उसे ऑक्सीजन मिलती है। कांग्रेस ने आदिवासी क्षेत्रों के विकास की चिंता नहीं की, महलों की फिक्र करती रही। 2023 में कांग्रेस की छुट्टी हुई है और 2024 में सफाया तय है। अब इसे चाहे लोकसभा चुनाव का आगाज मानो या विधानसभा चुनाव का आभार, पर कांग्रेस का बंटाधार विधानसभा चुनाव में मतदाताओं ने कर ही दिया और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को ठिकाने लगाने की अपील भी मोदी ने खुलकर की। और फिर कांग्रेस पर हमला कि कांग्रेस पापों के दलदल में फंसी है, जितने हाथ-पैर मारेगी उतनी ही धंसेगी यानि कांग्रेस का सत्ता में आ पाना अब असंभव है। इसीलिए तंज कसा कि अब तो विपक्षी दल भी मानने लगे हैं कि भाजपा इस बार चार सौ पार कर रही है। कांग्रेस के स्थानीय नेता भी अब यह कहने लगे हैं कि मोदी जी के खिलाफ प्रचार करने जाएं, तो किस मुंह से जाएं। कोई बड़ा नेता जिम्मेदारी उठाना नहीं चाहता। प्रमाण भी कि मध्यप्रदेश कांग्रेस में भगदड़ मची हुई है। अपनी हार सामने देखकर कांग्रेस और उसके साथी आखिरी दांव चल रहे हैं। ये लोग अब कुर्सी के लिए जाति, भाषा, क्षेत्र के नाम पर फूट डालने में जुट गए हैं। अगर लूट और फूट की ऑक्सीजन बंद हो जाए, तो कांग्रेस का सियासी दम घुटने लगता है। देश और प्रदेश की जनता ने ये दोनों ही रास्ते बंद कर दिए हैं और देश कांग्रेस के मंसूबे सफल नहीं होने देगा। अब जनजातीय समुदाय मोदी के आगमन को चाहे आभार के रूप में लें या फिर आगाज के रूप में, बात एक ही है कि तब भी मोदी को चुना और अब भी मोदी को चुनने की अपील।
मोदी ने खरगोन में क्रांतिसूर्य टंट्या मामा विश्वविद्यालय की स्थापना की घोषणा की। तो यह साबित करने के तर्क दिए कि कांग्रेस आदिवासियों से नफरत करती है। कांग्रेस के मन में आदिवासियों के प्रति नफरत कूट-कूटकर भरी हुई है। कांग्रेस के लोग आदिवासी भाईयों से वोट मांगने तो आते हैं, लेकिन जब एक आदिवासी परिवार की महिला राष्ट्रपति के चुनाव में खड़ी हुई, तो कांग्रेस ने तरह-तरह के रोड़े अटकाए। कांग्रेस उनके सामने दीवार बनकर खड़ी हो गई थी। कांग्रेस के लोग चुनाव के समय आदिवासियों के लिए घोषणाएं तो करते हैं, लेकिन जब मोदी गरीबों के लिए, दलितों के लिए, आदिवासियों के लिए घर बनवाता है, तो कांग्रेस के लोग उसे गालियां देते हैं। मोदी ने कहा कि डबल इंजन की सरकार ने मध्यप्रदेश में 45 लाख परिवारों को पक्के मकान दिऐ हैं। 65 लाख घरों में नल कनेक्शन दिए हैं। कांग्रेस के पास भी अवसर था, लेकिन इन्होंने ये लाभ जनता तक पहुंचने नहीं दिए। मध्यप्रदेश के लोग कांग्रेस के इन पापों को भूले नहीं हैं। ।हजारों गांवों को पानी पहुंचाने वाली तलवाड़ा जैसी परियोजना के लिए लोगों को दशकों तक इंतजार करना पड़ा।
और फिर वही बात कि मध्यप्रदेश की जनता ने विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को जो समर्थन दिया, जो विश्वास दिखाया, उसके लिए आपको फिर से ये गारंटी देता हूं कि हम आपके लिए दिन-रात काम करेंगे। मध्यप्रदेश ने पिछले चुनाव में विपक्ष को जमीनी हकीकत का आईना दिखाया। ऐसा ही मिजाज देश के कोने-कोने में हैं। 2023 में तो कांग्रेस की छुट्टी हुई थी, लेकिन 2024 में उसका सफाया तय है। यह कहकर मोदी ने फिर दोहराया कि प्रचार के लिए नहीं, जनता का आभार जताने आया हूं। मोदी यहां प्रचार करने नहीं आया, वह तो एक सेवक के तौर पर ईश्वर रूपी जनता का आभार जताने आया है। मतदाताओं ने विधानसभा चुनाव में ही अपना मूड बता दिया है कि लोकसभा चुनाव में आप क्या करने जा रहे हैं। यानि कि लोकसभा चुनाव प्रचार का आगाज मानो या फिर विधानसभा चुनाव में भरपूर समर्थन का आभार, पर इस बार लोकसभा में पहुंचाना है 370 पार…।