Cyber Crime : बच्चों को सायबर अपराधों से प्राचार्य ही जागरूक कर सकेंगे!
Indore : अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक डॉ वरुण कपूर ने सायबर अपराधों के प्रति बच्चों को जागरूक करने के उद्देश्य से शासकीय एवं अशासकीय स्कूलों के प्राचार्यों के लिए सायबर प्रशिक्षण अभियान ‘ओजस्वी’ शुरू किया है। इस तारतम्य में मप्र शिक्षा मंडल और केंद्रीय बोर्ड से संबद्ध निजी विद्यालयों के प्राचार्यों के लिए सेंट एनी बेसेंट स्कूल में तृतीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
डॉ कपूर ने कार्यशाला में उपस्थित प्राचार्यों को संबोधित करते हुए बताया कि विश्व ने तकनीकी उन्नति ने नए-नए आयाम स्थापित किए हैं। खासकर कम्प्यूटर एवं इंटरनेट क्रांति ने हर क्षेत्र में अपना वर्चस्व कायम किया। इसके बिना विकास की कल्पना नहीं की जा सकती। शिक्षा के क्षेत्र में भी इस तकनीक ने अपना महत्वपूर्ण स्थान बनाया है। कंप्यूटर, लैपटॉप, स्मार्ट फोन शैक्षणिक आदान-प्रदान का एक सबसे सशक्त माध्यम बन गए है। प्राचार्यों की भूमिका विविधतापूर्ण और विस्तृत है। वे बच्चों से स्कूल की अन्य गतिविधियों एवं संवाद के माध्यम से जुड़े रहते हैं।
कार्यशाला में मौजूद प्राचार्यां को नवाचार एवं अभिनव कार्यो को अपनाने के लिए प्रेरित करते हुए अपने स्कूलों के अध्यापकों एवं अध्ययनरत बच्चों को सायबर अपराध एवं सुरक्षा के संबंध में जागरूक करने पर बल दिया गया। क्योंकि, बच्चे नादान होते है उन्हें अच्छे-बुरे का फर्क करना नहीं आता। सायबर अपराधियों के वे सबसे आसान शिकार होते हैं। बच्चों को सायबर अपराध के संबंध में जागरूक करना जरुरी है, ताकि सायबर अपराधों के प्रति सजग एवं सतर्क रहें तथा वे सुरक्षित तरीके से सायबर स्पेस का उपयोग कर सके।
उन्होंने बताया कि सायबर अपराध में नए-नए तरीकों से अपराध की घटनाओं में बढ़ोत्तरी हो रही है। इन कारणों से सुरक्षित रहने के उपायों एवं सावधानियों के संबंध में डॉ कपूर ने विस्तृत जानकारी देते हुए सायबर स्पेस का उपयोग करते की सलाह दी गई। उन्होंने अच्छे डिजिटल फुटप्रिंट बनाने तथा सायबर बुलिंग, ग्रुमिंग, फिशिंग से संबंधित सायबर अपराधों के बारे में बताया गया। सायबर ग्रुमिंग एक ऐसा बढ़ता हुआ सायबर खतरा है, जिससे सबसे ज्यादा प्रभावित बच्चे एवं किशोर होते हैं।
इसके माध्यम से बच्चे यौन शोषण तक का शिकार हो जाते हैं। सायबर ग्रूमिंग के माध्यम से सर्वप्रथम बच्चे का विश्वास हासिल किया जाता है और उससे उसका डेटा एवं अंतरंग बातचीत कर गोपनीय बाते हासिल कर उन्हें गलत कार्यो के लिये डराया-धमकाया जाता है। बच्चे भावनात्मक रूप से कमजोर होते हैं और इस बात से अनजान होते हैं कि उनसे सायबर ग्रूमिंग के उद्देश्य से संपर्क किया गया है और वे ग्रुमिंग का शिकार हो जाते हैं।