Death sentence to two brothers : कोटड़ी भट्टी कांड, नाबालिग से गैंगरेप व भट्टी में जिंदा जला देने वाले 2 भाइयों को फांसी की सजा!

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Death sentence to two brothers

Death sentence to two brothers : कोटड़ी भट्टी कांड, नाबालिग से गैंगरेप व भट्टी में जिंदा जला देने वाले 2 भाइयों को फांसी की सजा!

“पैशाचिक कृत्य के लिए मृत्यु दंड देने में कोई हिचकिचाहट नहीं” : न्यायालय

भीलवाड़ा : बहुचर्चित कोटड़ी भट्टी कांड में न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए नाबालिक से गैंगरेप व भट्टी में जिंदा जला देने वाले 2 भाइयों को फांसी की सजा सुनाई है। न्यायालय ने कहा पैशाचिक कृत्य के लिए मृत्यु दंड देने में कोई हिचकिचाहट नहीं है।

बता दे कि नाबालिग से दुष्कर्म और जिंदा जलाने के इस मामले में 9 लोगों को आरोपी बनाया था। कोर्ट ने दो को फांसी की सजा सुनाई लेकिन 7 मुजरिमों को बरी कर दिया।

लोक अभियोजक महावीर सिंह किशनावत ने बताया कि सरकार की और से बरी के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की जाएगी। उधर बचाव पक्ष के सुनील कुमार पारीक ने बताया कि मृत्युदंड की सजा के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील करेंगे।

लोक अभियोजक महावीर सिंह किशनावत ने सजा की सुनवाई के दौरान कोर्ट में कहा कि इस फैसले का पूरा देश इंतजार कर रहा हैं। यहां रक्षक की भक्षक बन गया। इस बच्ची के साथ सामूहिक गैंगरेप हुआ है। जिसे जलती हुई भट्टी में जिंदा जला दिया। इसमें फांसी की सजा देकर समाज में एक मैसेज जाना चाहिए। क्योंकि मैं खुद भी समाज का हिस्सा हूं, आप कल्पना करें कि उसे कितना दर्द हुआ होगा। बच्ची मरी हैं। बच्ची की आत्मा भटक रही है। वह देख रही हैं कि मुझे न्याय कब मिलेगा? पहले यह उसके माता-पिता की बेटी थी। लेकिन आज यह पूरे समाज की बेटी हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की नवीनतम रनिंग पेश की जिसमें बताया कि कठोर से कठोर फांसी दी जाए। ऐसे लोगों पर नरमी नहीं बरती जाए।

कोर्ट में बाली का वध करने की चौपाई सुनाई
एडवोकेट वीरेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि दोषियों में अपने अपराध के प्रति बिल्कुल भी पछतावा नहीं हैं। मृत्युदंड की सजा देने का अनुरोध करते हुए शेखावत ने रामायण के भगवान राम द्वारा बाली का वध करने की घटना की चौपाई का उल्लेख किया जिसमें कहा की पत्नी, बहन, पुत्र की पत्नी तथा बेटी सम्मान की हकदार हैं। इन्हें बुरी नजर से देखने वाले को मारने में कोई पाप नहीं हैं। बचाव पक्ष के वकील सुनील पारीक ने कहा कि उनके साथ नरमी बरती जाए।
माता-पिता को 20 लाख सहायता राशि की अनुशंसा!

न्यायालय में अपने आदेश में धारा 357- ए के तहत पीड़िता के माता-पिता को पीड़ित प्रतिकर योजना के तहत 10-10 लाख रुपए देने की अनुशंसा विधिक सेवा प्राधिकरण से की। जघन्य हत्याकांड के आरोपियों को सजा दिलाने के लिए एडवोकेट वीरेंद्र सिंह शेखावत, निपेंद्र सिंह राणावत, वीरेंद्र सिंह राठौड़, रामस्वरूप गुर्जर व शंकर गुर्जर ने भी निशुल्क पैरवी की।

सुनवाई के दौरान आखिर तक हाथ जोड़े खड़े रहें पीड़िता के माता-पिता!

न्यायाधीश ने कोर्ट रूम में प्रवेश करते ही मृतिका के माता-पिता हाथ जोड़कर खड़े हों गए। सुनवाई के दौरान काफी देर तक वे ऐसे ही खड़े रहें। दोषियों को सजा सुनाने के बाद माता-पिता ने न्यायालय के आदेश पर संतोष व्यक्त किया। साथ ही बरी किए गए दोषियों के अन्य परिजनों के खिलाफ न्याय की लड़ाई जारी रखने की बात कहीं।

जिले में 2 मुजरिम को एक साथ फांसी की सजा का यह दूसरा मामला!

भीलवाड़ा न्याय क्षेत्र में 2 आरोपियों को एक साथ फांसी की सजा सुनाने का यह दूसरा मामला हैं। इससे पहले एडीजे, महिला उत्पीड़न ने हीराजी का खेड़ा में दंपति व बेरा चौराहा पर 4 बच्चों की हत्या में बहुचर्चित में मामले में निंबाहेड़ा, चित्तौड़गढ़ निवासी आरोपी शराफत पुत्र सलीम खान व नीमच एमपी के राजेश पुत्र रतनलाल खटीक को फांसी की सजा सुनाई थी। वारदात 27 जुलाई 2015 को हुई थी। इसमें जियारत करने के बहाने बुलाकर दंपति व 4 बच्चों की हत्या की थी।

30 दिन में पेश हुआ चालान!

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक दिनेश एमएन ने 8 अगस्त 2023 को एसआईटी का गठन किया। जिसमें शाहपुरा एसपी के सुपरविजन में विशेष जांच दल में एएसपी (मुख्यालय) भीलवाड़ा विमल सिंह, तत्कालीन सीओ कोटड़ी व वर्तमान में सीओ सदर श्याम सुंदर बिश्नोई, थानाधिकारी पूरणमल मीणा, महावीर प्रसाद व ठाकरा राम सहित 22 पुलिसकर्मी शामिल थे। घटना के 30 दिन बाद 3 नवंबर 2023 को चालान पेश किया।

चार्ज शीट के यह चार अहम सबूत!

1. नाबालिक का कड़ा!

परिजन 3 अगस्त 2023 की रात नाबालिक को तलाशते हुए पहुंचे। भट्टी के पास ही चप्पल पड़ी थी। भट्टी को टटोला तो उसमें नाबालिक का कड़ा मिला। यह पहला सबूत था।

2. आठ हड्डियां और अवशेष!

भट्टी में जली हुई 8 हड्डियां मिली। अगले दिन फिर भट्टी से थोड़ी दूर तालाब में प्लास्टिक के कट्टों में शरीर के कटे अवशेष मिले थे!

3. काले तेल से जलाया!

कालू और कान्हा ने काला तेल डालकर भट्टी में जलाया था। भट्टी के पास पीपी और नाबालिक के अवशेष में जो तेल मिला दोनों एक ही पाए गए। इससे तेल से जलने की पुष्टि हुई।

4. डीएनए और विसरा रिपोर्ट!

यह सबसे अहम सबूत था कालू व कान्हा के स्वाब लड़की के डीएनए से मौजूद थे। इससे दुष्कर्म की पुष्टि हुई। फॉरेंसिक यूनिट प्रभारी हर्ष मीणा की विशेष भूमिका रहीं।

कालू ने नाबालिक से 2 बार दुष्कर्म किया। कान्हा ने 1 बार दुष्कर्म किया। भागती बालिका के सिर पर डंडे से मारा।जिससे वह बेसुध हो गई। उसे मरा समझ कर जिंदा ही भट्टी में डाला। जलाने के लिए काला तेल लाए। भट्टी में पूरी नहीं जली तो शरीर के छोटे-छोटे टुकड़े कर प्लास्टिक के कट्टों में भरकर तालाब में फेंक आए।

नाबालिक से दुष्कर्म के बाद उसे जिंदा कोयले की भट्टी में जलाने वाले दो सगे भाइयों कालू कालबेलिया पुत्र रंगनाथ कालबेलिया (25) व कान्हा (21) कालबेलिया को विशेष न्यायालय पोक्सो-2 ने फांसी की सजा सुनाई।

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न्यायाधीश अनिल कुमार गुप्ता ने अपने आदेश में इस घटना को विरमतल से विरल श्रेणी में माना। साथ ही कहा कि दोनों दोषियों के इस पैशाचिक कृत्य के लिए मृत्यु दंड दिए जाने में किसी प्रकार की हिचकिचाहट नहीं हैं। कोर्ट ने आदेश दिया कि दोनों अपराधियों की गर्दन पर फांसी लगाकर तब तक लटकाया जाए, जब तक उनकी मृत्यु नहीं हो जाए। सजा सुनाने के दौरान कोर्ट परिसर खचाखच भरा था। लोक अभियोजक महावीर सिंह किशनावत ने 43 गवाह व 223 दस्तावेज पेश करके आरोप सिद्ध किया। दोनों आरोपी माताजी की चौकी दुनी, टोंक के रहने वाले हैं, जो भट्टी के काम के कारण तस्वारिया शाहपुरा में रह रहें थे। न्यायालय की और से सजा घोषित होने के बाद दोनों दोषी कालू व कान्हा को मंगलवार को भीलवाड़ा जेल से सेंट्रल जेल जयपुर में शिफ्ट किया गया।

बदमाश कालू व कान्हा कालबेलिया को न्यायालय ने नाबालिक की हत्या (धारा 302) व षड्यंत्र (धारा 120 बी) करने के मामले में मृत्यु दंड की सजा सुनाई। गैंगरेप (पोक्सो एक्ट) में आजीवन कारावास व कुल 40-40 हजार रुपए का जुर्माना, जिंदा व्यक्ति को जलाने के मामले (धारा -326 ) आजीवन कारावास व 20-20 हजार रुपए जुर्माना, सबूत मिटाने पर (धारा 201) 7 साल की सजा वह 20-20 हजार रुपए का जुर्माना तथा आजीवन कारावास जैसे जघन्य अपराध को छिपाने के आरोप में (धारा -118) 7 साल की सजा व 20-20 हजार रुपए का जुर्माना लगाया।

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