
धर्म परिवर्तन की गूंज: बौद्ध गुरु ने दिलाई ‘हिंदू देवी-देवताओं को न मानने’ की शपथ, वीडियो वायरल
– राजेश जयंत की खास रिपोर्ट
मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एक बार फिर धर्म परिवर्तन की गूंज ने माहौल गरमा दिया है!
अंबेडकर मूर्ति विवाद की तपिश अभी ठंडी भी नहीं हुई थी कि अब बौद्ध धम्म सम्मेलन में हजारों लोगों को हिंदू देवी-देवताओं को न मानने और बौद्ध धर्म अपनाने की शपथ दिलाने का वीडियो वायरल हो गया।
‘मैं ब्रह्मा-विष्णु-महेश को ईश्वर नहीं मानूंगा’ जैसी प्रतिज्ञाओं से शुरू हुआ ये विवाद, सोशल मीडिया पर बहस की आग में घी डाल रहा है।
आयोजकों का दावा है कि- यह सिर्फ बाबा साहब अंबेडकर की 22 प्रतिज्ञाएं थीं, लेकिन वीडियो ने पूरे जिले में हलचल मचा दी है।
ग्वालियर में एक बार फिर धर्म और आस्था पर बहस छिड़ गई है।
अभी अंबेडकर मूर्ति विवाद शांत भी नहीं हुआ था कि भितरवार के धाखड़ खिरिया गांव में हुए बौद्ध धम्म सम्मेलन का वीडियो वायरल हो गया, जिसमें बौद्धाचार्य सूरज राही ने हजारों लोगों को ब्रह्मा-विष्णु-महेश सहित किसी भी हिंदू देवी-देवता को न मानने और बौद्ध धर्म अपनाने की शपथ दिलाई।
शपथ में कहा गया-
“मैं ब्रह्मा-विष्णु-महेश, राम, कृष्ण, गौरी, गणपति आदि किसी भी हिंदू देवी-देवता को ईश्वर नहीं मानूंगा, उनकी पूजा नहीं करूंगा।
मैं भगवान बुद्ध को विष्णु का अवतार नहीं मानता, ऐसे प्रचार को झूठा मानता हूं।
मैं श्राद्ध और पिंडदान नहीं करूंगा, सभी प्राणियों की समानता में विश्वास रखूंगा और बौद्ध धर्म के अष्टांग मार्ग का पालन करूंगा।”
“क्या है विवाद की जड़” ?
दरअसल, यह पूरा विवाद बाबा साहब अंबेडकर की 22 प्रतिज्ञाओं को लेकर है, जिसमें हिंदू देवी- देवताओं को न मानने की बात शामिल है। इसी वजह से हर बार ऐसे शपथ समारोहों पर बहस छिड़ जाती है।
“सोशल मीडिया का माहौल”
सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होते ही इस पर बहस छिड़ गई। कुछ लोग इसे धार्मिक स्वतंत्रता बता रहे हैं, तो कई लोग इसे भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला मान रहे हैं।
“आयोजकों की सफाई”
आयोजकों का पक्ष है कि यहां सिर्फ बाबा साहब अंबेडकर की 22 प्रतिज्ञाएं दिलाई गईं, किसी की भावना आहत करना मकसद नहीं था।
उन्होंने कहा, “किसी को जबरन धर्म परिवर्तन के लिए बाध्य नहीं किया गया।”
फिलहाल प्रशासन ने मामले पर नजर रखी है और कहा है कि कोई शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।
यह घटना एक बार फिर आस्था, अभिव्यक्ति की आज़ादी और सामाजिक बदलाव की बहस को हवा दे रही है। अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में आगे क्या कदम उठाता है और समाज में यह बहस किस दिशा में जाती है।





