Indore में fake document scandal: अंतरराज्यीय गैंग का खुलासा

पिछले छह माह में बने सभी प्रमाण पत्रों की होगी जांच

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इंदौर: इंदौर में क्राइम ब्रांच ने फर्जी दस्तावेज कांड के जिस आरोपी को पकड़ा था, उसे तिलक नगर पुलिस के हवाले किया गया। आरोपी ने अपने झारखंड, दिल्ली और भोपाल के साथियों के नाम बताए है। पुलिस अब इनकी तलाश में जुट गई है।

जानकारी के मुताबिक इंदौर में पिछले छह माह में बने सभी प्रमाण पत्रों के दस्तावेजों की जांच की जाएगी! पता चला कि लोकसेवा केंद्र की एक महिला कंप्यूटर ऑपरेटर कोfake document scandalमें आरोपी बनाया जा सकता है!
तिलक नगर पुलिस के मुताबिक सतीश पिता उमाशंकर गोस्वामी सहर्ष इंस्टिट्यूट आफ आईटी मैनेजमेंट के नाम से कोचिंग की आड़ में 10-12 के साथ कॉलेज की फर्जी माकर्शीट((fake document scandal) ) बनवा देता था।
जब इस मामले में पूछताछ की गई, तो उसने झारखंड, दिल्ली और भोपाल की लिंक दी। पूछताछ में बताया कि वेंकटेश रांची का रहने वाला है। उससे सतीश की पहले से पहचान थी। इसके बाद वह अजहर और कृष्णा से भी जुड़ गया। वेंकटेश ने खुद को झारखंड ओपन स्कूल का डायरेक्टर बताया था। वहीं कृष्णा और अजहर दलाली का काम करते है। सतीश ने पुलिस पूछताछ में दिल्ली बोर्ड से कॉलेज की मार्कशीट, सत्य साईं स्कूल सीहोर और सर्वपल्ली स्कूल भोपाल से मार्कशीट बनवाने की जानकारी दी है। इस मामले में पुलिस ने जांच शुरू की है।

लोकसेवा केंद्र से हटेंगे
शहर में संचालित सभी लोकसेवा केंद्र के कर्मचारियों को अन्‍यत्र विभागों में भेजने का फैसला किया गया है। कर्मचारियों पर कार्रवाई के पीछे मूल कारण फर्जी दस्तावेज कांड (fake document ) समझा जा रहा है। छह महीने में शहर में बने सभी तरह के प्रमाण पत्रों और दस्तावेजों की जांच की जाएगी। बाणगंगा पुलिस ने शांति नगर क्षेत्र से दो युवकों को पकड़ा था। इन युवकों ने एमपी ऑनलाइन सेंटर खोलकर फर्जी आधार कार्ड, मूल निवासी, जाति, आय प्रमाण पत्र और आयुष्मान कार्ड(fake document scandal) बनाए थे। वे करीब 6 महीने से इस गोरखधंधे में लगे थे। पकड़े जाने पर उन्होंने अपने एक साथी देवीलाल गुर्जर का नाम था। पकड़े गए साथी को पकड़ा गया तो उसने पालिका प्लाजा, कलेक्टोरेट और परदेशीपुरा स्थित लोकसेवा केन्द्रों के तीन कर्मचारी इसमें एक महिला कर्मचारी भी शामिल थी नाम बताए, जिन्हें पकड़ा गया। तीनों ने केन्द्रों से जुड़े पांच से अधिक लोगों के नाम बताए। पुलिस पांचों कर्मचारियों को पकड़ने में लगी है। अब तक चार लोगों को इस मामले में गिरफ्तार किया गया। इसमें दो आरोपी कलेक्टर ऑफिस के पीछे लोकसेवा गारंटी केंद्र पर कंप्यूटर ऑपरेटर का काम कर रहे थे।
कंप्यूटर ऑपरेटरों से पूछताछ
बाणगंगा थाने से मिली जानकारी के अनुसार देवीलाल की निशानदेही पर ही कलेक्टर कार्यालय स्थित लोक सेवा केंद्र से दो कंप्यूटर ऑपरेटर रोहित चौधरी और आकाश तंवर के साथ वर्षा नामक महिला कंप्यूटर ऑपरेटर को भी गिरफ्तार किया गया। आगे की पूछताछ जारी है। इस पूरे गिरोह के मास्टरमाइंड की तलाश की जा रही है। देवीलाल के मोबाइल की कॉल डिटेल के आधार पर इंदौर के कई एमपी ऑनलाइन सेंटर भी निशाने पर आ सकते हैं। गिरफ्तार हुए आरोपी अजय और प्रदीप को पुलिस जेल भेज चुकी है। वही दलाल देवीलाल को 25 सितंबर तक पुलिस ने रिमांड पर लिया है।
कलेक्टर को पत्र
पुलिस ने कलेक्टर मनीष सिंह को इस संबंध में पत्र भी लिखा है। शहर में 300 से अधिक लोगों के फर्जी प्रमाण पत्र बनाए जाने की जानकारी मिली है। इन प्रमाण पत्रों के लिए लगाए गए दस्तावेजों के साथ सभी कर्मचारियों की आईडी, पासवर्ड चेक किए जाएंगे। आईडी, पासवर्ड की जांच प्रशासन ने साइबर सेल को सौंपी है। जांच रिपोर्ट के बाद कुछ और कर्मचारी आरोपी बनाए जा सकते हैं। पुलिस ने शहर के सभी एमपी ऑनलाइन से तैयार होने वाले दस्तावेजों की भी रिपोर्ट मांगी है। पुलिस ने मूसाखेड़ी में देवीलाल गुर्जर के घर की तलाशी ली, यहां उसे कई दस्तावेज मिले। मोबाइल में मिले डाटा के अनुसार चा