Fight Between Bhupendra-Govind: भूपेंद्र-गोविंद के बीच राजनीतिक जंग से झुलसने लगा भाजपा नेतृत्व
कांग्रेस से आए गोविंद के मंत्री बनने से बढ़ी रार,भूपेंद्र ने पीड़ा व्यक्त करते बोला वीडी पर हमला, विवाद सुलझाने में असहाय दिख रहा भाजपा नेतृत्व
दिनेश निगम ‘त्यागी’ की खास रिपोर्ट
प्रदेश में बुंदेलखंड अंचल के संभागीय मुख्यालय सागर में भाजपा के दो दिग्गजों पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह और वर्तमान खाद्य मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के बीच राजनीतिक जंग की आंच से भाजपा नेतृत्व झुलसने लगा है। पार्टी के इन दोनों दिग्गजों के बीच राजनीतिक लड़ाई नई नहीं है। इससे पहले सुरखी विधानसभा सीट से भूपेंद्र और गोविंद आमने-सामने चुनाव लड़ चुके हैं। भूपेंद्र ने बिना नाम लिए गोविंद पर भाजपा कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित करने के जो आरोप लगाए हैं, उनमें से काफी कुछ तभी के हैं। तब गोविंद कांग्रेस में हुआ करते थे, लेकिन अब भाजपा में हैं। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार में सागर से तीन मंत्री गोपाल भार्गव, भूपेंद्र सिंह और कांग्रेस से आए गोविंद सिंह राजपूत थे। लेकिन डॉ मोहन यादव की सरकार में सिर्फ गोविंद राजपूत को मंत्री बनाया गया। स्वाभाविक तौर पर मंत्री होने के कारण सागर का सरकारी अमला गोविंद की बात को तवज्जो देता है, भूपेंद्र की नहीं सुनी जाती। यह पीड़ा समय-समय पर बाहर आती रहती है। विवाद इतना बढ़ गया है कि कांग्रेस चुटकी लेने लगी है और प्रदेश का भाजपा नेतृत्व असहाय दिख रहा है।
भूपेंद्र की शिकायत को गलत नहीं मानते कार्यकर्ता
भूपेंद्र ने बिना नाम लिए कांग्रेस से भाजपा में आए दो नेताओं पर सीधा हमला बोला है। इसके साथ उन्होंने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा की भी एक बयान के लिए आलाेचना की है। भूपेंद्र का कहना है कि कांग्रेस से आए जो नेता पहले से भाजपा कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित करते रहे हैं। उन पर झूठे प्रकरण दर्ज कराते रहे हैं। उनमें से एक को सरकार में मंत्री बनाकर पूरा सागर उनके सुपुर्द कर दिया गया। वे कांग्रेसियों का संरक्षण कर रहे हैं और पुराने भाजपा कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित। बाहर से एक नेता सागर जिले में भाजपा को खत्म करने पर तुला है, ऐसी स्थिति में हम कैसे चुप रह सकते हैं? उनका कहना है कि अच्छा होता कि संतुलन बनाने के लिए भाजपा के किसी एक पुराने विधायक को भी मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया जाता। पार्टी के कार्यकर्ता भूपेंद्र की बात को गलत नहीं मानते, सहमत नजर आते हैं।
इसके लिए कर डाली वीडी की आलोचना
भूपेंद्र-गोविंद के बीच विवाद को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने उनकी निजी लड़ाई कह दिया था, यह भूपेंद्र को नागवार गुजरा। उन्होंने कहा कि मैं कार्यकर्ताओं की पीड़ा को व्यक्त कर रहा हूं, यह मेरी निजी लड़ाई कैसे हो गई? उन्होंने कहा कि हम 40 साल से संगठन को खड़ा करने के लिए मेहनत और संघर्ष कर रहे हैं, वीडी शर्मा अभी 5 साल पहले भाजपा में आए हैं। इससे पहले वे विद्यार्थी परिषद में काम करते थे। उन्होंने भाजपा के लिए किया क्या है? भूपेंद्र ने कहा कि उन्हें ऐसा नहीं कहना चाहिए था। मैंने उनके पद का लिहाज रखा, वर्ना मैं भी जवाब दे देता, तो क्या होता? वीडी ने भूपेंद्र के बयान पर पन्ना में सधी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि भाजपा बड़ा राजनीतिक दल है। इसे कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता।
गोविंद ने कहा, मैं भाजपा के रंग में रंग चुका
प्रदेश सरकार के मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने भूपेंद्र के आरोपों का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि मैं पूरी तरह से भाजपा के रंग में रंग चुका हूं। भाजपा के टिकट पर पहले मैंने 41 हजार वोटों से उप चुनाव जीता। इसके बाद 2023 का विधानसभा चुनाव जीता और इसके बाद लोकसभा चुनाव में मेरे क्षेत्र से भाजपा को 86 हजार वोटों की बढ़त मिली। अब मैं कांग्रेसी नहीं रहा। गोविंद ने कहा कि अब भाजपा का हर कार्यकर्ता मेरी पार्टी का है और मैं सबकी सुनता हूं। मेरा एकमात्र उद्देश्य भाजपा को मजबूत करना है। उन्होंने भूपेंद्र का नाम लिए बिना कहा कि ऐसा लगता है कि एक विधायक भाजपा से भी बड़े हो गए हैं। वे पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पर भी टिप्पणी कर रहे हैं। विद्यार्थी परिषद से आए नेता को कोई तवज्जो नहीं दे रहे हैं। इस पर मैं ज्यादा कुछ नहीं कहूंगा, इसे पार्टी नेतृत्व देखेगा। राजपूत ने कहा कि मैं भाजपा नेतृत्व के सामने पार्टी में आया था। अन्य किसी कांग्रेसी को भी मैं भाजपा में नहीं लाया, यह काम पार्टी नेतृत्व ने ही किया।
आमने-सामने चुनाव लड़ते थे भूपेंद्र-गोविंद
सागर जिले में भूपेंद्र और गोविंद के बीच लड़ाई नई नहीं है। पहले दोनों सुरखी विधानसभा सीट से आमने-सामने चुनाव लड़ते थे। भूपेंद्र भाजपा के टिकट पर यहां से दो बार विधायक रहे हैं जबकि तीन बार से खुरई विधानसभा सीट से विधायक हैं। गोविंद राजपूत अब भी सुरखी से विधायक हैं। पहले तीन चुनाव वे कांग्रेस के टिकट पर जीते और दो बार भाजपा के टिकट पर। इस तरह वे यहां से 5 चुनाव जीत चुके हैं। सुरखी में भूपेंद्र और गोविंद दोनों एक दूसरे को चुनाव हरा चुके हैं। दोनों किसी से कम नहीं थे, इस कारण चुनाव में खूब विवाद होते थे। गोविंद के भाजपा में आने के बाद भी प्रतिद्वंद्विता खत्म नहीं हुई। राजकुमार धनौरा का गोविंद से खूब विवाद चला। उन्हें जेल तक जाना पड़ा जबकि वे भाजपा किसान मोर्चा में पदाधिकारी थे और भूपेंद्र के संबंधी भी। संतुलन तब ज्यादा बिगड़ा जब कांग्रेस से आए गोविंद मंत्री बन गए और भूपेंद्र सिंह, गोपाल भार्गव जैसे दिग्गजों को जगह नहीं मिली। अब जिले में गोविंद की चलती है और भूपेंद्र की नहीं सुनी जाती, जबकि एक साल पहले तक वे मुख्यमंत्री के खास और सरकार में ताकतवर मंत्री हुआ करते थे। दोनों की लड़ाई कहां जाकर रुकेगी, रुकेगी भी या नहीं, कोई नहीं जानता।