Film Review: नये भारत का नया रॉ एजेंट ‘रुस्लान’

Film Review: नये भारत का नया रॉ एजेंट ‘रुस्लान’

डॉ प्रकाश हिंदुस्तानी द्वारा फिल्म समीक्षा 

इस सप्ताह रिलीज हुई ‘रुस्लान’।  रुस्लान का अर्थ होता है शेर। फिल्म के हीरो को देख ऐसा लगा कि विद्युत जामवाल का छोटा भाई होगा या फिर ‘छोटा टाइगर श्रॉफ’, लेकिन वो तो हैं सलीम खान के दामाद और पूर्व केन्द्रीय संचार मंत्री सुखराम के नाती। नाम है आयुष शर्मा। अब फिल्म के नाम का अर्थ ही शेर है तो फिल्म में एक्शन तो होनी ही है। हिन्दी फिल्म में एक्शन का मतलब होता है रॉ का एजेंट।

फिल्मों में रॉ का एजेंट कोई भी हो सकता है। कोई भी यानी कोई भी। जॉन अब्राहम, आलिया भट्ट कपूर,  सलमान खान, शाहरुख खान, सैफ अली खान, सिद्धार्थ मल्होत्रा, कमल हासन और यहाँ तक कि सनी लियोनी भी रॉ एजेंट का रोल कर चुके हैं।  अब ये मत पूछना कि रॉ में भर्ती कब होती है, कैसे होती है? जब हिन्दी फिल्म बनानी होती है, तब होती है। कोई अज्ञात शक्ति भर्ती कराती है, वह भी किसी महिला अधिकारी के बहाने से। बस, महिला अधिकारी का युवा, आकर्षक और सुन्दर होना ज़रूरी है।

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फिल्मों में रॉ का एजेंट या जासूस बनने के लिए चौसठ कलाएं आना ज़रूरी है। ढिशुम ढिशुम के साथ ही हर तरह का हथियार चलाना आना चाहिए। खाली हाथ होते हुए पचास या सौ हथियारबंद लोगों से लड़ना और उन्हें मारने की ताकत और अक्ल होनी चाहिए।  अंडरवाटर स्विमिंग, हर तरह के वाहन अंधाधुंध तरीके से चलाना, हेलीकॉप्टर उड़ाना, लांग जम्प और हाइ जम्प में ओलिम्पिक लेवल की मास्टरी होना चाहिए। दुनिया के हर प्रमुख शहर और उसकी सड़कें उसकी जानकारी में हो। लंदन हो हांगकांग, इस्ताम्बुल हो या अजरबैजान। इसके अलावा नाचना, गाना, गिटार आदि बजाना भी आना चाहिए। उसका कंप्यूटर का कीड़ा होना भी ज़रूरी है। फोन हैक करना, मोबाइल का क्लोन बनाना, एटीएम ब्रेक करने आदि कलाएं आना चाहिए।

रुस्लान देखने पर पता चला कि उसके हीरो को ये सब कलाएं आती हैं, लेकिन ‘अभिनय करना आना चाहिए’ वाली शर्त इसमें है नहीं। उसका हीरो होना और रॉ का एजेंट होना काफी नहीं है क्या? ऐसे प्रतिभाशाली रॉ एजेंट की माशूका होने के लिए क्लीवेज का प्रदर्शन अनिवार्य किया जाता है।

रुस्लान तकनीकी रूप से अच्छी है, लेकिन अभिनय, गीत-संगीत, कहानी, पटकथा, संवाद आदि साधारण हैं।  कोई भी ऐसी बात नहीं है कि दर्शक उसमें बंधा रहे। पाकिस्तान और चीन के आतंकवाद से निपटने के दौरान यह संवाद भी है कि अब यह 1960 का भारत नहीं, नया भारत और नया रॉ है, जो न केवल जान बचा सकता है, बल्कि वक्त आये तो दुश्मन की जान ले भी  सकता है। फिल्म का निष्कर्ष यह कि आतंकी का बेटा भी आतंकी ही हो, ज़रूरी नहीं और आतंकी का कोई धर्म नहीं होता। कोई हिन्दू भी आतंकी का समर्थक हो सकता है।

रुस्लान की खूबियां भी हैं।  इसमें एक्शन सीन जबरदस्त हैं। गाने कम हैं। टर्न और ट्विस्ट अच्छे हैं। अंत कल्पना से हटकर है। लोकेशंस लुभावनी है। और सबसे बड़ी बात कि फिल्म बहुत लम्बी नहीं है। केवल 139 मिनट में ही खेल ख़तम, पैसा हजम ! और भी पैसे बचाना हो तो इसका ट्रेलर देखकर काम चला सकते हैं।

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डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी

डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी जाने-माने पत्रकार और ब्लॉगर हैं। वे हिन्दी में सोशल मीडिया के पहले और महत्वपूर्ण विश्लेषक हैं। जब लोग सोशल मीडिया से परिचित भी नहीं थे, तब से वे इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। पत्रकार के रूप में वे 30 से अधिक वर्ष तक नईदुनिया, धर्मयुग, नवभारत टाइम्स, दैनिक भास्कर आदि पत्र-पत्रिकाओं में कार्य कर चुके हैं। इसके अलावा वे हिन्दी के पहले वेब पोर्टल के संस्थापक संपादक भी हैं। टीवी चैनल पर भी उन्हें कार्य का अनुभव हैं। कह सकते है कि वे एक ऐसे पत्रकार है, जिन्हें प्रिंट, टेलीविजन और वेब मीडिया में कार्य करने का अनुभव हैं। हिन्दी को इंटरनेट पर स्थापित करने में उनकी प्रमुख भूमिका रही हैं। वे जाने-माने ब्लॉगर भी हैं और एबीपी न्यूज चैनल द्वारा उन्हें देश के टॉप-10 ब्लॉगर्स में शामिल कर सम्मानित किया जा चुका हैं। इसके अलावा वे एक ब्लॉगर के रूप में देश के अलावा भूटान और श्रीलंका में भी सम्मानित हो चुके हैं। अमेरिका के रटगर्स विश्वविद्यालय में उन्होंने हिन्दी इंटरनेट पत्रकारिता पर अपना शोध पत्र भी पढ़ा था। हिन्दी इंटरनेट पत्रकारिता पर पीएच-डी करने वाले वे पहले शोधार्थी हैं। अपनी निजी वेबसाइट्स शुरू करने वाले भी वे भारत के पहले पत्रकार हैं, जिनकी वेबसाइट 1999 में शुरू हो चुकी थी। पहले यह वेबसाइट अंग्रेजी में थी और अब हिन्दी में है।

डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी ने नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर एक किताब भी लिखी, जो केवल चार दिन में लिखी गई और दो दिन में मुद्रित हुई। इस किताब का विमोचन श्री नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के एक दिन पहले 25 मई 2014 को इंदौर प्रेस क्लब में हुआ था। इसके अलावा उन्होंने सोशल मीडिया पर ही डॉ. अमित नागपाल के साथ मिलकर अंग्रेजी में एक किताब पर्सनल ब्रांडिंग, स्टोरी टेलिंग एंड बियांड भी लिखी है, जो केवल छह माह में ही अमेजॉन द्वारा बेस्ट सेलर घोषित की जा चुकी है। अब इस किताब का दूसरा संस्करण भी आ चुका है।