वित्त मंत्री की आज शाम प्रेस कॉन्फ्रेंस, पेट्रोल-डीजल को GST में लाने समेत कई घोषणाएं संभव

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नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज शाम 5 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रही है। अनुमान लगाया जा रहा है कि वे पेट्रोल और डीजल को GST के दायरे में लाने की घोषणा कर सकती है। वे बैड बैंक को लेकर कैबिनेट में हुए फैसलों की जानकारी भी दे सकती है। 17 सितंबर को GST काउंसिल की भी बैठक प्रस्तावित है। यदि पेट्रोल और डीजल को GST में लाया गया तो केंद्र और राज्य सरकारों को राजस्व के मोर्चे पर बड़ा समझौता करना पड़ेगा।

वित्त मंत्री आज प्रेस कांफ्रेंस में 17 सितंबर को होने वाली GST काउंसिल की बैठक से पहले इस मामले की जानकारी दे सकती है। साथ ही वे बैड बैंक को लेकर कैबिनेट में हुए फैसलों की जानकारी भी दे सकती है। कैबिनेट ने NPA के समाधान के तहत राष्ट्रीय संपत्ति पुनर्गठन कंपनी (NARCL) द्वारा जारी सिक्योरिटी रिसीट्स पर सरकारी गारंटी देने के प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दी है। भारतीय बैंक संघ (IBA) ने सरकार की गारंटी लगभग 31,000 करोड़ रुपए होने का अनुमान लगाया है। IBA को ‘बैड बैंक’ स्थापित करने का काम सौंपा गया है। प्रस्तावित बैड बैंक या NARCL लोन के लिए सहमत मूल्य का 15% नकद में भुगतान करेगा और बाकी 85% सरकार की गारंटी वाली सिक्योरिटी रिसीट्स में होगा।

IBA ने पिछले महीने 6 हज़ार करोड़ रुपए के NARCL की स्थापना के लिए लाइसेंस हासिल करने के उद्देश्य से RBI के पास आवेदन दिया था। इसके लिए मंत्रिमंडल की मंजूरी जरूरी थी! क्योंकि, NARCL द्वारा जारी सिक्योरिटी रिसीट्स के लिए सॉवरेन गारंटी दी जाएगी। उन्होंने बताया कि मंत्रिमंडल की मंजूरी से बैड बैंक चालू करने का रास्ता साफ होगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल के बजट में बैड बैंक की स्थापना को लेकर घोषणा की थी।

जानिए बैड बैंक को

बैड बैंक (Bad Bank) को लेकर काफी चर्चा है। एक्सपर्ट्स का कहना Bad Bank कोई बैंक नहीं, बल्कि ये एक एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी (ARC) है। बैंकों के डूबे कर्ज को इस कंपनी के पास ट्रांसफर कर दिया जाएगा। इससे बैंक आसानी से ज्यादा लोगों को लोन से दे सकेंगे और इससे देश की की आर्थिक ग्रोथ रफ्तार पकड़ेगी। आसान शब्दों में कहें तो जब कोई व्यक्ति या संस्था किसी बैंक से पैसा यानी लोन लेकर उसे वापस नहीं करता, तो उस लोन खाते को बंद कर दिया जाता है। इसके बाद उसकी नियमों के तहत रिकवरी की जाती है। ज्यादातर मामलों में यह रिकवरी हो ही नहीं पाती या होती भी है तो न के बराबर नतीजतन बैंकों का पैसा डूब जाता है और बैंक घाटे में चला जाता है।

RBI नियमों के मुताबिक, वह संपत्ति जिससे बैंक को कोई आय नहीं हो रही है उसे आम भाषा में NPA या डूबी हुई रकम कहते हैं। RBI नियमों की बात करें तो 180 दिन तक अगर किसी संपत्ति से कोई आय नहीं हो रही है तो वो NPA है। विदेशों में NPA घोषित करने की मियाद 45 से 90 दिन है। इस वजह से कई बार बैंक बंद होने की कगार पर पहुंच जाते हैं और ग्राहकों के अपने पैसे फंस जाते हैं। ये पैसे वापस तो मिलते हैं, लेकिन तब नहीं जब ग्राहकों को जरूरत होती है।