FIR Against Rtd. IAS : फर्जी नाम से वकीलों और न्यायाधीशों की प्रतिष्ठा खराब करने वाले रिटायर्ड IAS पर FIR
Bhopal : फर्जी नाम से कोर्ट में न्यायाधीश व वकीलों के विरुद्ध आवेदन भेजने वाले रिटायर्ड IAS अधिकारी निसार अहमद के विरुद्ध क्राइम ब्रांच ने एफआईआर दर्ज की है। वक्फ बोर्ड भोपाल के पूर्व प्रशासक रहे रिटायर्ड आईएएस अधिकारी के फर्जी कारनामे का इस तरह पर्दाफाश हुआ है।
निसार अहमद ने 28 जनवरी को जुमराती स्थित एक छोटे से पोस्ट ऑफिस में जहां पर सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे थे, वहां से एक कथित पत्र कुछ न्यायधीशों को पोस्ट करवाया था। जिसमें प्रेषक के रूप में पता राजेश मेहरा अधिवक्ता बाग मुगालिया का लिखा था। इस कथित पत्र में भोपाल कोर्ट के कुछ अधिवक्ताओं के विरुद्ध अशोभनीय झूठे आरोप लगाए गए थे। जिला एवं सत्र न्यायाधीश के निर्देश पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट भोपाल ने जब इस कथित पत्र की जांच कराने के लिए क्राइम ब्रांच भोपाल को पत्र लिखा और अधिवक्ता तारिक सिद्दीकी ने भी क्राइम ब्रांच भोपाल में इस पत्र के आधार पर एफआईआर दर्ज करने का आवेदन दिया। इसकी जांच क्राइम ब्रांच भोपाल ने की।
क्राइम ब्रांच कैसे पहुंचे उन तक
क्राइम ब्रांच को यह जानकारी मिली कि यह कथित पत्र शाहजहांनाबाद स्थित एक टाइपिंग की दुकान से टाइप कराया गया है। उस टाइपिंग संचालक शादाब अहमद ने बताया कि उसकी दुकान पर यह पत्र राशिद गोरी नामक व्यक्ति ने आकर टाइप करवाया था। जब राशिद गोरी से पुलिस ने पूछताछ की, तो उसने उस कथन में बताया कि निसार अहमद ने अपने घर बुलाकर यह टाइप कराने को दिया था। निसार अहमद के घर दो-तीन लोग और भी बैठे हुए थे। पुलिस ने सीसीटीवी कैमरे की फुटेज लेने की कोशिश की, तो पता चला कि उस पोस्ट ऑफिस में सीसीटीवी कैमरे भी नहीं लगे हैं।
इस कथित पत्र में निसार अहमद ने कुछ ऐसी बातें लिखी थी, जिसमें धार्मिक वैमनस्य हो तथा पत्र भेजने वाला व्यक्ति मुस्लिम धर्म का नहीं समझा जाए। इसीलिए पत्र में हिंदू-मुस्लिम वेमनस्य की बातें भी लिखी थी और राजेश मेहरा नामक व्यक्ति का बाग मुगालिया का पता भी लिखा था। पुलिस ने जब जांच की तो यह पता फर्जी पाया गया और जिला बार एसोसिएशन ने भी लिखा कि भोपाल में इस नाम का कोई अधिवक्ता नहीं है। कोर्ट के संज्ञान लेने के बाद क्राइम ब्रांच ने अभियोजन शाखा से राय लेने के बाद निसार अहमद के विरुद्ध कूटरचना व ख्याति खराब करने की धाराएं लगाई। इस मामले में अब आईटी एक्ट की धाराएं भी बढ़ने की संभावना है।
निसार अहमद के घर दो अन्य लोग कौन थे, इसकी भी जांच होना है। एक षड्यंत्र में दो अन्य वकीलों के भी नाम सामने आए हैं जिसकी जांच हो रही है। आईटी एक्ट की धारा का भी इजाफा होना हैं।
निसार अहमद ने क्यों किया
जांच में पता चला कि वकील तारिक सिद्दीकी ने निसार अहमद के पुत्र के भोपाल मल्टीसपेसिलिस्ट हॉस्पिटल में आयुष्मान घोटाले का प्रकरण कोर्ट में लगाया था, जिससे घबराकर निसार अहमद ने वकीलों व जज की प्रतिष्ठा खराब करने के लिए उसी न्यायालय में फर्जी बातें लिखकर दूसरे व्यक्ति के नाम से कई पत्र भेजे।
पहले भी आरोप लगे
निसार अहमद पूर्व में जिला पंचायत खंडवा के सीईओ थे, तब भी उन पर सिमी के सरगना सफदर नागौरी से संबंध होने के आरोप लगे थे। इसी तरीके से फर्जी नाम लिखकर कुछ माह पूर्व जबलपुर हाई कोर्ट जज को पत्र भेजा था, जिसकी जांच होने पर एक अधिवक्ता ने सुसाइड कर लिया था। इसके बाद हाईकोर्ट में आगजनी की घटना हुई थी। उस फर्जी पत्र के आधार पर कई लोग आज भी जेल में है।