Gargai Water Project: मुंबई IIT की रिपोर्ट बताएगी कि 5 लाख पेड़ कटने से कैसे बच सकेंगे!
Mumbai : मुंबई म्युनिसिपल कार्पोरेशन (BMC) ने मुंबई की बढ़ती आबादी को देखते हुए और भविष्य की पानी की जरुरत के लिए ‘गारगाई प्रॉजेक्ट’ शुरू करने की योजना बनाई थी। लेकिन, एक दशक से यह प्रॉजेक्ट अब तक मूर्त रूप नहीं ले सका। क्योंकि, इसके लिए करीब 5 लाख पेड़ काटने पड़ेंगे। अब बीएमसी ने आईआईटी, मुंबई को अध्ययन करने के लिए नियुक्त किया है, ताकि पेड़ों को काटने से बचाया जा सके।
आईआईटी (मुंबई) यह अध्ययन करेगी कि पर्यावरण के नुकसान को कम करते हुए कैसे प्रॉजेक्ट को आगे बढ़ाया जा सकता है। बीएमसी पर्यावरण अध्ययन के लिए आईआईटी मुंबई को 30 लाख रुपए देगी। गारगाई प्रॉजेक्ट से मुंबई को प्रतिदिन 440 एमएलडी पानी मिलने की उम्मीद है। मुंबई में बीएमसी प्रतिदिन 3850 एमएलडी पानी की आपूर्ति करती है, जबकि आबादी के हिसाब से प्रतिदिन 4400 एमएलडी पानी की आवश्यकता है। यानी प्रतिदिन अब भी 600 एमएलडी कम पानी मुंबई में प्रतिदिन सप्लाई हो रहा है।
बीएमसी ने भविष्य की आवश्यकताओं को देखते हुए गारगाई से 440 एमएलडी, पिंजाल से 865 एमएलडी अतिरिक्त पानी की व्यवस्था करने की योजना बनाई है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा था कि हमें बताया गया है कि गारगाई-पिंजाल प्रॉजेक्ट के लिए लगभग 5 लाख पेड़ काटने पड़ेंगे। मैंने तुरंत कहा कि मुंबईकरों को 24 घंटे पानी मिलना चाहिए, लेकिन पर्यावरण और विकास साथ-साथ चलने चाहिए। इसके बाद बीएमसी ने प्रॉजेक्ट के लिए कम से कम पेड़ों को काटना पड़ा आईआईटी मुंबई को अध्ययन करने के लिए नियुक्त करने का फैसला किया।
आबादी में 40 लाख की वृद्धि का अनुमान
बीएमसी की एक रिपोर्ट के अनुसार अगले 18 वर्षों में मुंबई की आबादी में करीब 40 लाख की वृद्धि होने का अनुमान लगाया गया है। बीएमसी की एक आंतरिक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2041 तक मुंबई की अनुमानित जनसंख्या बढ़ कर 1.70 करोड़ से अधिक हो जाएगी। उस दौरान मुंबई में प्रतिदिन 6535 एमएलडी पानी की जरूरत होगी। बीएमसी ने इसके लिए अभी से तैयारी शुरू कर दी है। अतिरिक्त पानी की व्यवस्था के साथ ही पानी की बेहतर आपूर्ति के लिए भी कई प्रोजेक्ट पर काम किए जा रहे हैं, इसमें गारगाई प्रोजेक्ट प्रमुख है।
राजनीतिक स्तर पर बदली प्राथमिकता
मुंबई को फिलहाल विहार, तुलसी, तानसा, मोडक सागर, अपर वैतरणा, मध्य वैतरणा और भातसा डैम से पानी की आपूर्ति की जाती है। लेकिन, पानी की यह आपूर्ति नाकाफी साबित हो रही है। मुंबई की आबादी लगातार बढ़ रही है, लेकिन पानी आपूर्ति करने वाले डैम की क्षमता में कोई वृद्धि नहीं हुई है। वहीं, करीब दशकों से गरगाई, पिंजाल और दमण-गंगा जैसी पानी की परियोजनाएं शुरू करने की कोशिश की जा रही है, जिसमें अब तक सफलता नहीं मिल पाई है। इसके लिए बीएमसी प्रशासन का रवैया और सरकारों की बदलती प्राथमिकता काफी हद तक जिम्मेदार है। उद्धव सरकार ने 5 लाख पेड़ काटने हवाला देते हुए गार्गे प्रॉजेक्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया था और समुद्र के पानी को मीठा करने पर सारा जोर लगा दिया। सरकार बदलते ही स्थिति बदल गई और गारगाई प्रॉजेक्ट को लाइफलाइन मिल गई।