

Happy Coincidence of Vijay Manohar Tiwari: जिस संस्था में 33 साल पहले विद्यार्थी रहे अब उसी के कुलगुरु
भोपाल : Happy Coincidence of Vijay Manohar Tiwari: जिस संस्था में 33 साल पहले विद्यार्थी रहे अब उसी के कुलगुरु के रूप में कुर्सी पर विराजे हैं।
किसी विद्यार्थी के लिए इससे बड़ा सुखद संयोग क्या होगा कि वह जिस संस्था में पढ़ा हो अब उसी के सर्वोच्च पद यानी कुलगुरु के पद पर आसीन हैं।
जी हां हम बात कर रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार और प्रगतिशील कृषक विजय मनोहर तिवारी की, जिन्होंने कल माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता और संचार विश्वविद्यालय भोपाल के कुलगुरु का कार्यभार ग्रहण किया। वे इसी संस्था के 92-93 बैच के स्टूडेंट रहे हैं।
अपने पदभार ग्रहण करने के बाद विजय ने सोशल मीडिया पर अपनी भावना व्यक्त करते हुए अत्यधिक विनम्रता से लिखा है कि:
ये न पद है, न भार है
पदभार भी नहीं है…
एक उत्तरदायित्व है, जो दिया गया है
एक विश्वास है, जो जताया गया है
न पाना सरल है, न निभाना
परमात्मा ने निमित्त बनाया
उसकी अपार अनुकम्पा के आगे
नतमस्तक हूँ, सदा से…
—-
बस आज गए और अपना
चिमटा कमंडल रख आए…
🙏
विश्वविद्यालय के पदभार ग्रहण करने के अवसर पर विश्वविद्यालय के शिक्षकों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने पुष्पगुच्छ भेंटकर उनका स्वागत किया। इस मौके पर माखनपुरम परिसर के उद्यान में उन्होंने रुद्राक्ष का पौधा भी लगाया। इसके पश्चात नवनियुक्त कुलगुरु श्री तिवारी ने विश्वविद्यालय परिसर का भ्रमण किया।
इस अवसर पर एनआईटीटीटीआर के निदेशक प्रो. चंद्र चारु त्रिपाठी एवं दत्तोपंत ठेंगड़ी शोध संस्थान के निदेशक डॉ. मुकेश मिश्रा विशेष रुप से उपस्थित थे। भ्रमण के पश्चात् द्रोणाचार्य सभाकक्ष में विभाग प्रमुखों की पहली मीटिंग में उन्होंने ओशो के एक पत्र की पंक्ति दोहराते हुए कहा कि मेरी दृष्टि में प्रयास ही प्राप्ति है और अडिग चरण ही मंजिल है। 1951में सागर से 20 साल के रजनीश ने यह पत्र अपने एक सहपाठी को लिखा था. उन्होंने कहा कि नई ऊंचाइयों की बात करने से ज्यादा जरूरी है कि हमारी ज़मीन ठोस हो. नींव मजबूत हो. आधार मजबूत होगा तो इमारत ऊँची ही नहीं टिकाऊ भी बनेगी. नई ऊँचाइयाँ किसी ने नहीं देखी होतीं. हमें व्यावहारिक धरातल पर विचार करना चाहिए। विश्वविद्यालय की प्रगति के लिए उन्होंने सबको मिलकर कार्य करने की बात कही।
इस अवसर पर कुलसचिव डॉ. अविनाश वाजपेयी, डीन अकादमिक डॉ. पी. शशिकला,डीन छात्र कल्याण डॉ. मनीष माहेश्वरी, सभी विभागों के विभागाध्यक्ष, अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे।
उल्लेखनीय है कि नवनियुक्त कुलगुरु श्री तिवारी विश्वविद्यालय के ही बैचलर ऑफ जर्नलिज्म (बी.जे.) में दूसरे बैच 1992_93 के टॉपर विद्यार्थी रहे हैं। उन्होंने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया दोनों में ही लगभग ढाई दशक से ज्यादा तक रिपोर्टिंग से लेकर विभिन्न पदों पर कार्य किया।
बहुमुखी प्रतिभा के धनी श्री तिवारी ने पत्रकारिता के साथ 12 पुस्तकों का भी लेखन किया है। उनकी चर्चित पुस्तकों में हरसूद 30 जून, प्रिय पाकिस्तान, एक साध्वी की सत्ता कथा, भारत की खोज में मेरे पांच साल, आधी रात का सच, उफ़ ये मौलाना, जागता हुआ कारवा, हिन्दुओं का हश्र, स्याह रातों के चमकीले ख्वाब एवं राहुल बारपुते हैं। श्री तिवारी को उनकी लेखनी के लिए कई पुरस्कार भी प्राप्त हो चुके हैं। यात्रा वृत्तांत, रिपोर्ताज और डायरी लेखन के लिए उन्हें भारतेंदु हरीशचंद्र पुरस्कार, गणेश शंकर विद्यार्थी सम्मान, माधवराव सप्रे पुरस्कार, मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी पुरुस्कार, मध्यप्रदेश गौरव सम्मान मिल चुके हैं।
वरिष्ठ पत्रकार श्री तिवारी भोपाल के बहुकला केंद्र भारत भवन के न्यासी सचिव भी रहे हैं। विदिशा जिले में जन्मे श्री तिवारी इससे पूर्व मध्यप्रदेश राज्य सूचना आयोग में सूचना आयुक्त भी रहे हैं।