High Court Reprimanded IAS Officer : हाईकोर्ट ने IAS अधिकारी को कोर्ट से ही जेल भेजने का कहा, तो वे आदेश मानने को राजी हुए!

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High Court Reprimanded IAS Officer

High Court Reprimanded IAS Officer : हाईकोर्ट ने IAS अधिकारी को कोर्ट से ही जेल भेजने का कहा, तो वे आदेश मानने को राजी हुए!

कोर्ट के कड़े रुख को देखकर अधिकारी ने फौरन अदालत से माफी मांगी!

Jaipur : राजस्थान हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान आईएएस अफसर को सीधे कोर्ट रूम से जेल भेजने की बात कहकर फटकार लगाई। आईएएस अफसर पुरुषोत्तम शर्मा जो राजस्थान रोडवेज के एमडी हैं, उन्हें कोर्ट में पेश होने पर ये फटकार लगाई। जज ने कोर्ट में गार्ड को भी बुलवा लिया था, लेकिन आईएएस ने कोर्ट से माफी मांगते हुए कोर्ट के आदेश को चंद घंटों में पूरा करने का आश्वासन दिया तब जाकर मामला खत्म किया।

मामले के अनुसार, रोडवेज के एक पूर्व कर्मचारी की याचिका पर पहले हो चुके फैसले को पूरा नहीं करने को लेकर जज नरेंद्र सिंह ढड्ढा की कोर्ट में गुरुवार को अवमानना याचिका पर सुनवाई चल रही थी। इस दौरान जब कोर्ट में रोडवेज एमडी पुरुषोत्तम शर्मा पेश हुए तो जज ढड्ढा ने कहा कि आप कोर्ट के फैसले को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। आज आप यही से जेल जाएंगे। इसके बाद जज ने कोर्ट में गार्ड को भी बुलवा लिया।

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हालांकि, आईएएस पुरुषोत्तम शर्मा ने कोर्ट के कड़े रुख को देखकर फौरन अदालत से माफी मांगी। उन्होंने कहा कि कोर्ट के आदेश का पालन किया जाएगा। इस पर अदालत ने उन्हें 2 बजे तक का समय दिया। वहीं दोपहर दो बजे लंच के बाद जब कोर्ट की कार्रवाई दुबारा शुरू हुई तो रोडवेज एमडी ने कर्मचारी के बकाया साढ़े 10 लाख रुपये का चेक याचिकाकर्ता रोडवेज कर्मचारी को दे दिया। इसके बाद कोर्ट ने नेमीचंद गुप्ता द्वारा दायर अवमानना याचिका का निपटारा कर दिया।

यह था पूरा मामला?

याचिकाकर्ता नेमीचंद गुप्ता के वकील विकास काबरा ने बताया कि उनके मुवक्किल नेमीचंद गुप्ता को रोडवेज ने 24 अप्रैल 2002 को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी थी, जिसे उन्होंने हाई कोर्ट में चुनौती दी। हाई कोर्ट ने 8 अगस्त 2012 को कर्मचारी के पक्ष में फैसला देते हुए रोडवेज के अनिवार्य सेवानिवृत्ति के आदेश को रद्द कर दिया। इसके बाद रोडवेज ने एकलपीठ के फैसले के खिलाफ डबल बेंच में अपील की।

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डबल बेंच ने रोडवेज की अपील खारिज कर दी, जिसके बाद रोडवेज ने डबल बेंच के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने भी 25 जुलाई 2024 को रोडवेज की याचिका खारिज कर दिया था। याचिका को खारिज करते समय सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राजस्थान रोडवेज 31 दिसंबर 2024 तक हाई कोर्ट की एकलपीठ के 2012 के आदेश की पालना कर दे। लेकिन, रोडवेज ने अदालती आदेश का पालन नहीं किया।

कोर्ट ने क्या कहा?

इसके बाद नेमीचंद गुप्ता ने हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दायर कर दी थी इस मामले की इस साल 19 फरवरी को हुई, तब हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि अगली तारीख पर रोडवेज के अध्यक्ष, प्रबंध निदेशक और भरतपुर डिपो के मुख्य प्रबंधक व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होंगे। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा था कि इस मामले में प्रबंध निदेशक को हाजिरी माफी नहीं मिलेगी।

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कोर्ट में अपने अफसरों की व्यक्तिगत हाजिरी होता देख रोडवेज प्रशासन ने एक दिन पहले बुधवार को याचिकाकर्ता नेमीचंद गुप्ता को उनकी बकाया राशि साढ़े 33 लाख में से 27 लाख का चेक सौंप दिया था। इसके बाद अब कोर्ट में रोडवेज एमडी ने जवाब दिया कि याचिकाकर्ता की बकाया राशि का भुगतान किया जा चुका है। लेकिन, तब नेमीचंद गुप्ता के वकील ने कोर्ट को बताया कि अभी भी साढ़े 10 लाख रुपये का भुगतान नहीं किया गया। इस पर जज ढड्ढा नाराज हो गए और रोडवेज एमडी को कोर्ट से सीधे जेल भेजने की बात कही।