IAS Transfer in MP : थोड़े समय में ही दिखाई देने लगा मोहन-राज का असर, परखकर बदले जा रहे अफसर!

एक साथ नहीं किस्तों में आ रही है तबादला लिस्ट, ताकि कोई गलत संदेश न जाए!

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https://mediawala.in/ias-transfer-in-mp-mohan-rajs-effect-became-visible-within-a-short-time-officers-are-being-changed-after-testing-them/
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IAS Transfer in MP : थोड़े समय में ही दिखाई देने लगा मोहन-राज का असर, परखकर बदले जा रहे अफसर!

डॉ.स्वाति तिवारी की त्वरित टिप्पणी

Bhopal :मध्य प्रदेश में सरकार बदलने के बाद से ही तबादलों की हलचल शुरू हो गई। कुछ तबादले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर किए जाने हैं और कुछ प्रशासनिक दृष्टिकोण से हो रहे हैं और होंगे। लेकिन जहां छत्तीसगढ़ में एक साथ 89 आईएएस अधिकारियों के तबादले कर दिए गए वहीं मध्य प्रदेश में तबादले तो आए दिन हो रहे हैं लेकिन किस्तों में हो रहे हैं और संदेश देने की दृष्टि से हो रहे हैं।मध्यप्रदेश को लम्बे अरसे से एक ऐसी ही प्रशासनिक कसावट की जरुरत थी . जो स्पष्ट कर रही है की पद कोई भी हो सभी की लगाम मुखिया के हाथ में है.

      मोहन यादव के पदभार ग्रहण करने के बाद अभी तक मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव और सचिव, एक प्रमुख सचिव, आयुक्त जनसंपर्क, एक संभाग आयुक्त और 6 जिलों के कलेक्टर बदले गए। लेकिन हर अधिकारी के तबादले के पीछे कोई न कोई वाजिब कारण बना रहा।

 सबसे पहले मुख्यमंत्री ने पूर्व मुख्यमंत्री के पसंदीदा अधिकारियों को हटाकर यह साफ संदेश दे दिया है कि अब शिवराज नहीं,मोहन राज है। यह जरूरी भी था क्योंकि मोहन एकदम अचानक मुख्यमंत्री के पद पर आसीन हो गए और लोगों को उनकी प्रशासनिक क्षमता को परखना भी था। और अब जिस तरह वे कार्य कर रहे हैं उससे बहुत ही कम समय में उन्होंने अपनी प्रशासनिक क्षमता को साबित भी कर दिया है। अच्छी बात यह है कि उन्होंने जिन अधिकारियों को पसंद किया है वह वाकई परिणाम देने वाले अधिकारी हैं। उन्होंने तेज तर्रार अधिकारी राघवेंद्र सिंह को अपना प्रमुख सचिव और संदीप यादव को आयुक्त जनसंपर्क बनाकर अपनी पसंद को स्पष्ट कर दिया।

धान खरीदी मामले में प्रमुख सचिव उमाकांत उमराव, गुना बस हादसे को लेकर कलेक्टर गुना और अभद्र टिप्पणी के लिए शाजापुर के कलेक्टर को हटाए जाने से जनता में यह सब संदेश गया है कि अब कुछ नया प्रशासन दिखाई दे रहा है।

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जबलपुर कलेक्टर के बारे में बताया गया है कि वह अवकाश पर थे और कैबिनेट मीटिंग की सूचना मिलने पर एक दिन पहले ही अवकाश छोड़कर वापस आए थे लेकिन शायद शासन में बैठे सबसे उच्च अधिकारी की व्यवस्था के प्रति नाराजगी के साथ ही स्थानीय नेताओं से तालमेल नहीं बिठाना शायद उनके तत्काल तबादला का कारण रहा।

वैसे कुछ प्रशासनिक क्षेत्र में यह चर्चा भी है कि धान खरीदी घोटाले में जिस कार्रवाई की अपेक्षा कलेक्टर से थी वैसे नहीं हो पाई। वैसे इस अधिकारी के बारे में बताया गया है कि वह कार्य कुशल तो थे लेकिन नेताओं की उचित अनुचित बातें स्वीकार नहीं करते थे। शायद यह भी एक वजह उनके तबादले की रही हो।

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इंदौर का कलेक्टर हमेशा से मुख्यमंत्री का विश्वसनीय अधिकारी रहा है। ऐसे में अगर आशीष सिंह को इंदौर का कलेक्टर बनाया गया है तो वह अच्छी चॉइस ही कहीं जाएगी। आशीष उज्जैन के कलेक्टर रहे हैं और यह माना जा सकता है कि उनका इक्वेशन मुख्यमंत्री मोहन यादव से पहले से ही अच्छा रहा होगा। आशीष परिणाम देने वाले अधिकारी के रूप में जाने जाते हैं।

रीवा के कमिश्नर अनिल सुचारी का तबादला तो होना ही था लेकिन जिस तरह रीवा में ही संभागीय समीक्षा बैठक के दौरान उनका तबादला आदेश जारी हुआ यह किसी की समझ में नहीं आ रहा है। सुचारी के बारे में बता दें कि वे शिवराज के सालों तक उप सचिव रहे हैं और उन्हें सुपर टाइम मिलने के डेढ़ साल पहले ही कमिश्नर बना दिया गया था जो प्रशासन में शायद ही कभी हुआ हो। जाहिर है वे शिवराज के सबसे पसंदीदा अधिकारी जो रहे हैं।

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जबलपुर कलेक्टर बनाए गए दीपक सक्सेना अच्छे प्रशासकीय अधिकारी तो माने जाते हैं लेकिन खाद्य संचालक के रूप में उनके द्वारा ही जबलपुर में खाद्य घोटाले की जांच की गई थी। अब उन्हें ही जबलपुर कलेक्टर बनाया गया है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि वे अब इस घोटाले मामले में कलेक्टर जबलपुर के रूप में क्या कार्यवाही करते हैं।

लेकिन, समझा जा रहा है कि अभी प्रदेश में बड़े स्तर पर कलेक्टर्स और पुलिस अधिकारियों के ट्रांसफर होना है। निश्चित रूप से यह संख्या 50 से ज्यादा होगी। किंतु, आदेश शायद एक साथ न निकलकर टुकड़ों में जारी होंगे। छत्तीसगढ़ की तरह पूरे प्रदेश के कलेक्टर एक ही लिस्ट से नहीं बदले जाएंगे। क्योंकि, छत्तीसगढ़ में सरकार के साथ सरकार चलाने वाली पार्टी भी बदली है। वहां 5 साल कांग्रेस की सरकार थी, अब बीजेपी की सरकार बनी है। इसलिए ऐसे तबादले होना थे। जबकि, मध्य प्रदेश में ऐसा नहीं होगा। यही कारण है कि यहां आधे से ज्यादा कलेक्टर और एसपी, आईजी और कमिश्नर के ट्रांसफर होना है। लेकिन, सबके नाम किस्तों में सामने आएंगे।

सबकी नजरें इस बात पर भी लगी है कि मंत्रालय में वरिष्ठ अधिकारियों का फेर बदल कब होगा? लेकिन एक बात यह साफ हो गई है कि मोहन यादव को अधिकारियों के कामकाज को लेकर समझ है और वह सही व्यक्ति को सही जगह पर पदस्थ करेंगे यह उम्मीद की जानी चाहिए ताकि अंततः मध्य प्रदेश का ही भला हो।

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  स्वाति तिवारी

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