हर नगर और ग्राम में घोष वादक तैयार कर घर-घर पहुंचाएंगे संघ के संस्कार

ध्वजारोपणम, मीरा, शिवरंजनी, तिलंग, श्रीराम, उदय, सोनभद्र जैसे घोष से गूंजेंगी ग्वालियर की सड़कें, गलियां

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भोपाल: मध्य प्रदेश में संघ की गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ अब शाखाओं के साथ घोष संगम को भी माध्यम बनाएगा। संघ पदाधिकारियों ने इसके मद्देनजर संगीत सम्राट तानसेन की नगरी ग्वालियर से प्रदेश के 31 जिलों में नगर-नगर और ग्राम-ग्राम घोष वादक तैयार करने की रणनीति पर फोकस किया है।

संघ के चार दिवसीय घोष शिविर में इन जिलों से पहुंचने वाले घोष वादकों के जरिये प्रदेश के बाकी जिलों में भी संघ के घोष संस्कार पहुंचाने का काम किया जाएगा। इसकी खास वजह संघ के शिविर में 12 साल की उम्र के बच्चों को घोष वादन के लिए मौका देना है जो संघ के संस्कार को आगे बढ़ाने में मदद करेंगे।

ग्वालियर में 25 नवम्बर से होने वाले स्वर साधक संगम में करीब 550 घोष वादकों को तीन दिन तक संघ प्रमुख मोहन भागवत के घोष संबंधी विचार जानने का मौका मिलेगा। भागवत 26 नवम्बर की शाम यहां पहुंचेंगे। इस आयोजन के लिए जो व्यवस्था संघ ने तय की है उसके मुताबिक संघ की 50 घोष रचनाओं में से आधा दर्जन पर इस शिविर में मंथन होगा।

इसमें ध्वजारोपणम, मीरा, शिवरंजिनी, तिलंग, श्रीराम, उदय, सोनभद्र, भूप, प्राथमिक पाठ घोष पर चर्चा कर उसके बारे में शिविरार्थियों को अवगत कराया जाएगा। इसके उपांत ग्वालियर की गलियों, सड़कों पर पथ संचलन के जरिये कदमताल का प्रदर्शन भी इन्हीं घोष रचनाओं के साथ किया जाएगा।

इस प्रांतीय घोष शिविर की खास बात यह होगी कि स्वदेशीकरण के लिए स्वदेशी रचनाओं को तैयार करने का मंत्र भी दिया जाएगा।

आमजन को देखने को मिलेंगे संघ के पुराने वाद्य यंत्र

सरस्वती शिशु मंदिर केदारधाम परिसर शिवपुरी लिंक रोड ग्वालियर में होने वाले शिविर का आकर्षण घोष प्रदर्शनी रहेगी। प्रदर्शनी का शुभारंभ 25 नवंबर को मध्य भारत प्रांत के संघचालक अशोक पांडे करेंगे।

ग्वालियर विभाग संघचालक विजय गुप्ता ने बताया कि इस प्रदर्शनी में चार श्रेणियां होंगी, जिसमें परम्परागत एवं प्राचीन वाद्य यंत्रों का प्रत्यक्ष रूप से प्रदर्शन होगा। इस ऐतिहासिक प्रदर्शनी में घोष की इतिहास यात्रा को एलईडी के माध्यम से डिजिटल प्रदर्शन किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि इस प्रदर्शनी में भारत के संगीत के इतिहास में वादकों एवं गायकों का योगदान तथा उनके जीवन परिचय तथा परम्परागत एवं दुर्लभ वाद्य यंत्रों का 40 स्लाइड में चित्रमय प्रदर्शन होगा।