भारतीय वैज्ञानिकों ने पहली बार अनार की पूर्ण जीनोम सीक्वेंस को किया पूरा

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भारतीय वैज्ञानिकों ने पहली बार अनार की पूर्ण जीनोम सीक्वेंस को किया पूरा

यह अविष्कार देश में अनार सुधार कार्यक्रम की दिशा में शानदार उपलब्धि

नई दिल्ली: भा.कृ.अनु.प.-राष्ट्रीय अनार अनुसन्धान केंद्र सोलापुर के वैज्ञानिकों ने भारतीय अनार की भगवा किस्म का संपूर्ण जीनोम सीक्वेंस कर लिया है।
यह अविष्कार देश के अनार सुधार कार्यक्रम की दिशा में एक शानदार उपलब्धि है। इससे पैदावार बढ़ेगी, अनार की अच्छी-अच्छी वेराइटी उपलब्ध होगी और किसानों की आय बढ़ेगी। इसके अलावा विश्व बाजार में भारतीय अनार का निर्यात भी बढ़ेगा।

भा.कृ.अनु.प.-राष्ट्रीय अनार अनुसन्धान केंद्र के 18वें स्थापना दिवस 25 सितंबर 2022 को इस आविष्कार की घोषणा की गई।
रिसर्च टीम में सोलापुर के डॉ. एन.वी. सिंह, डॉ. पी. रूपासौजन्या, डॉ. शिल्पा परशुराम, डॉ. पी.जी. पाटिल और डॉ. आर.ए. मराठे शामिल थे। यह रिसर्च 6 सालों तक चली।

 

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भारत में जीनोम रिसर्च और होर्टिकल्चरल साइंस के वैज्ञानिकों की एक टीम ने अनार के लिए जीनोम सीक्वेंसिंग पूरी की है। इस सीकवेंसिंग को अंजाम देना बहुत बड़ी उपलब्धि है। भारत में पहली बार महाराष्ट्र के सोलापुर में भा.कृ.अनु.प.-राष्ट्रीयअनारअनुसन्धानकेंद्रके वैज्ञानिकों की एक टीम ने डीएनए मैटेरियल के सभी आधारों की सही क्रम में पहचान करने करते हुए कई जेनेटिक रहस्य जैसे कि फल के मिठास, रंग, फल के बड़े होने और बीमारी और कीट प्रतिरोध के लिए ज़िम्मेदार जीनों को जानने के लिए पिछ्ले 6 सालों से रिसर्च कर रही थी। इस रिसर्च में cv. भारतीय अनार की किस्म ‘भगवा’ का इस्तेमाल किया गया।

भा.कृ.अनु.प.-राष्ट्रीय अनार अनुसन्धान केंद्र ने भारतीय अनार किस्म भगवा की रिफरेंस क्वॉलिटी जीनोम असेंबली जारी करने की घोषणा अपने 18वें स्थापना दिवस 25 सितंबर 2022 को एक सार्वजनिक कार्यक्रम में की। इस ऐतिहासिक रिसर्च टीम में सोलापुर के डॉ. एन.वी. सिंह, डॉ. पी. रूपासौजन्या, डॉ. शिल्पा परशुराम, डॉ. पी.जी. पाटिल और डॉ. आर.ए. मराठे शामिल थे। इस रिसर्च में भारतीय अनार की पूर्ण जीनोम सीक्वेंसिंग को पूरा करने में टीम को छह साल लगे हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के तत्वावधान में आईसीएआर-एनआरसीपी द्वारा भारतीय अनार की किस्म ‘भगवा’ की रिफरेंस-जीनोम असेंबली विकसित की गई। भारतीयकृषिअनुसन्धानपरिषद्, नई दिल्ली दुनिया भर में अनार के रिसर्च के लिए सार्वजनिक रूप से सुलभ जीनोमिक संसाधनों का एक विशाल भंडार है। सीक्वेंसिंग की यह उन्नति देश के अनार सुधार कार्यक्रम की दिशा में एक शानदार उपलब्धि होगी। ये जीनोमिक रिसोर्सेज (संसाधन) जैविक और अजैविक तनावों के प्रति रेजिस्टेंस/टॉलरेंस के साथ नई किस्मों को विकसित करने के लिए जीनोमिक्स असिस्टेड ट्रेट मैपिंग, ब्रीडिंग और जीनोम एडिटिंग एप्लीकेशंस के माध्यम से राष्ट्रीय अनार अनुसन्धान केंद्र सहित कई रिसर्च संस्थानों के अनार जेनेटिक सुधार कार्यक्रमों मे मदद प्रदान करेंगे।

जीनोम अनुक्रमण प्रयोग को हैदराबाद स्थित भारतीय जीनोमिक्स लैब न्यूक्लियोम इंफॉर्मेटिक्स में निष्पादित किया गया था। पिछले साल न्यूक्लियोम की नई प्रयोगशाला एनकेसी जीनोमिक्स अनुसंधान केंद्र का उद्घाटन भारत के रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने किया था। न्यूक्लियोम एशिया की एकमात्र प्रयोगशाला है जो दुनिया के सबसे बड़े और प्रतिष्ठित जीनोमिक्स कार्यक्रम ‘द वर्टेब्रेट जीनोम प्रोजेक्ट’ से संबद्धित है, जो 70000 कशेरुक जीनोमों को अनुक्रमित कर रहे है। न्यूक्लियोम इंडो कोरियन प्रोजेक्ट के तहत रेटिनल बीमारियों के लिए भारतीय जिनोम आधारित जीनोमिक्स चिप भी विकसित कर रहा है।

भा.कृ.अनु.प.-राष्ट्रीयअनारअनुसन्धानकेंद्रके निदेशक डॉ आर ए मराठे ने कहा, “भारत ने हाल के वर्षों में अनार की पैदावार ज्यादा हुई है। विश्व स्तर अनार के उत्पादन के मामले में भारत पूरी दुनिया का 50% से ज्यादा का अनार उत्पादन करता है। हालांकि भारत की घरेलू क्षमता अनार को पैदा करने मे बहुत ज्यादा है लेकिन देश से बाहर इसका निर्यात बहुत ही कम होता है क्योंकित्वरित्व किस्म सुधार हेतु जरूरीजीनोमिक संसाधनों की कमी होने के कारण हुम सिमित समय में नई किस्मों का विकास तेज़ी से नहीं कर रहे हैं । अनार एक बहुत ही कीमती फसल होने के कारण जब इसमें कीड़े या बीमारियां लगती हैं तो लोग केमिकल कीटनाशकों का बहुत ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। हालाँकि अब जब हम इस फल की पूरी जीनोम सीक्वेंसिंग करने में कामयाब हो गए हैं, तो इससे अब पैदावार में व्यापक सुधार होगा, इसके पोषण को बढ़ाने के लिए कई बेहतर और रोग एवं कीट प्रतिकारक किस्मों को विकसित करने में आसानी होगी। यह सब बहुत तेज दर से होगा।”

भारतीय कृषिबीअनुसन्धान परिषद्, नई दिल्ली के उपमहानिदेशक (बागवानी विज्ञानं), डॉ ए केसिंह ने कहा, “कृषि को नकदी फसलों की ओर ले जाने के सरकार के हालिया प्रयासों को देखते हुए अनार की इस पूर्ण सीक्वेंसिंग को अंजाम देने की प्रक्रिया सही समय पर सफल हुई है। किसान भाइयों के लिए इस फल की पैदावार में बढ़ोत्तरी होने, फल की गुणवत्ता बढ़ने, कम बीमारी और कीड़ा लगने तथा फ़सल की शेल्फ लाइफ ज्यादा होने से उनकी आय में बढ़ोत्तरी होगी और इससे उनके जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार होगा। गौरतलब है कि प्रतिकूल जलवायु और मृदावाले क्षेत्रों में अनार की खेती से लगभग 2.5 लाख परिवारों का घर चलता है। वहीं अगर निर्यात की बात की जाए तो ऐसा अनुमान है कि भारत अपने यहां के अनार उत्पादन का 2 से 3% ही अनार निर्यात करता है जिसकी उत्पादन से तुलना की जाए तो काफ़ी कम है। अब इस सीक्वेंसिंग से हाई क्वॉलिटी वाले अनार किस्म के जल्दी विकसित होने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत अनार का निर्यात वर्तमान से कई गुना ज्यादा करने लगेगा। वहीं अगर देश मे यानी घरेलू खपत की बात की जाए तो देश के नागरिकों के सामने अपनी पौष्टिक और स्वास्थ्य की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए कई तरह की अनार की किस्में उपलब्ध होंगी।

श्री दुष्यंत सिंह बघेल, सीईओ, न्यूक्लियोम इंफॉर्मेटिक्स ने कहा, ‘यह जीनोमिक्स अनुसंधान में सार्वजनिक निजी भागीदारी का एक उदाहरण है। कुशल जीनोमिक्स विशेषज्ञों और उन्नत जीनोमिक्स प्रौद्योगिकियों की उपलब्धता के साथ वैज्ञानिक जीनोम विकसित कर सकते हैं और फसलों में उपयोगी जीन की खोज तेजी से कर सकते हैं।