Investigation Case Against 3 IAS : EOW ने पूर्व मुख्य सचिव और 2 अन्य IAS अधिकारियों की जांच की शासन से अनुमति मांगी! 

पद के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार के मामले की जांच पर कार्रवाई का मामला! 

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Investigation Case Against 3 IAS : EOW ने पूर्व मुख्य सचिव और 2 अन्य IAS अधिकारियों की जांच की शासन से अनुमति मांगी! 

Bhopal : पिछले सप्ताह एमपी के पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस के यहां प्रवर्तन निदेशालय (ED) का छापा पड़ने की खबर काफी चर्चा आई थी। लेकिन, बाद में खुद इकबाल सिंह बैस ने इसे गलत बताते हुए मामले को ठंडा कर दिया था। लेकिन, ये खबर पक्की है कि आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) ने पूर्व मुख्य सचिव समेत कुछ और IAS अधिकारियों की जांच की शासन से अनुमति मांगी है।

बताया गया कि EOW ने अधिकारियों के खिलाफ पद के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार के मामले की जांच के लिए सामान्य प्रशासन विभाग से अनुमति मांगी है। वर्ष 2017-18 में आजीविका मिशन में मिशन कर्मियों की नियम विरुद्ध नियुक्ति और इसमें किए गए भ्रष्टाचार को लेकर EOW में 12 फरवरी को शिकायत की गई थी। शिकायत पर कार्रवाई नहीं होने पर आवेदक आरके मिश्रा ने सीजेएम कोर्ट में परिवाद दायर किया। इस पर कोर्ट ने 28 मार्च तक EOW से इस मामले में की गई जांच और कार्रवाई की स्टेटस रिपोर्ट तलब की थी।

EOW ने माना कि ग्रामीण एवं पंचायत विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, महिला एवं बाल विकास विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव अशोक शाह और पंचायत विभाग के तत्कालीन ACS और आजीविका मिशन के तत्कालीन राज्य प्रबंधक ललित मोहन बेलवाल के खिलाफ शिकायत मिली है। जिसका परीक्षण कराया गया।

पता चला कि आवेदक की शिकायत के मुताबिक अफसरों द्वारा किए गए विवादित कार्य या आदेश शासकीय पद पर रहते हुए जारी किए गए। ऐसे में इनके खिलाफ जांच के लिए सामान्य प्रशासन विभाग की अनुमति जरूरी है। ईओडब्ल्यू की ओर से सामान्य प्रशासन के प्रमुख सचिव को पत्र लिखा गया है। अनुमति मिलने के बाद जांच की जाएगी।

 

*इस मामले की जांच कि अनुमति मांगी*

इन अधिकारियों खिलाफ ये मामला आजीविका मिशन के तहत 15 नए जिलों में मिशनकर्मियों की नियुक्ति से जुड़ा है। इन पर आरोप है कि इन नियुक्तियों में अफसरों ने शासन के नियमों की अनदेखी की, बल्कि विभागीय मंत्री के आदेशों को भी नहीं माना। शिकायत के मुताबिक, तत्कालीन राज्य स्तरीय परियोजना प्रबंधक ललित मोहन बेलवाल ने 8 मार्च 2017 को प्रशासकीय स्वीकृति के लिए फाइल तत्कालीन अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग इकबाल सिंह बैंस को भेजी।

 

रिक्त पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी करने की बात कही गई। एक अन्य अधिकारी ने चयन प्रक्रिया में पांच सदस्यों की समिति बनाने की टीप लिखी, जिसे बैंस ने नकार दिया। इस फाइल को विभागीय मंत्री के पास नहीं भेजा गया। मंत्री ने भर्ती प्रक्रिया को प्रोफेशनल एक्जामिनेशन बोर्ड से करवाने को कहा, पर इसे भी माना नहीं गया।

*गड़बड़ी पाई, पर FIR नहीं कराई* 

इस मामले के सामने आने पर जांच का जिम्मा आईएएस नेहा माव्याल को सौंपा गया। उन्होंने 8 जून 2022 को रिपोर्ट दी, जिसमें नियुक्तियों में गड़बड़ी को स्वीकारा गया। इसके बावजूद FIR नहीं कराई गई। बाद में ललित मोहन बेलवाल से इस्तीफा दिलाकर मामला दबाने की कोशिश की गई। अब इस पूरे मामले की जांच के लिए EOW ने सामान्य प्रशासन विभाग से अनुमति मांगी है।