

IPS Officer Sentenced for Dowry Harassment : दिल्ली के ACP चंद्रप्रकाश मीणा को दहेज प्रताड़ना मामले में 2 साल की सजा और जुर्माना!
Hanumangarh (Rajasthan) : हनुमानगढ़ कोर्ट ने IPS चंद्रप्रकाश मीणा को दहेज प्रताड़ना मामले में 2 साल कैद और जुर्माने की सजा सुनाई। दिल्ली में ACP के पद पर कार्यरत चंद्रप्रकाश की 2010 में सुमन से शादी हुई थी। शादी के बाद उनका UPSC में चयन हुआ, लेकिन सुमन ने दहेज के लिए प्रताड़ना का आरोप लगाया। हनुमानगढ़ न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम वर्ग, हनुमानगढ़ की पीठासीन अधिकारी सीमा गोयल ने दिल्ली में सहायक पुलिस आयुक्त (ACP) के पद पर कार्यरत भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारी चंद्रप्रकाश मीणा को दहेज प्रताड़ना के मामले में दो साल के कारावास और 5000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई।
यह फैसला 13 जून को सुनाया गया, जिसने न केवल स्थानीय समुदाय बल्कि पूरे देश में चर्चा का माहौल बना दिया है। इस मामले ने एक बार फिर दहेज जैसी सामाजिक बुराई और उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों की जवाबदेही पर सवाल उठाए गए।
मामले की शुरुआत 2010 में हुई, जब चंद्रप्रकाश मीणा की शादी सुमन के साथ हुई थी। उस समय चंद्रप्रकाश एक सामान्य पृष्ठभूमि से थे। शादी के कुछ समय बाद ही उनका चयन यूपीएससी परीक्षा में हो गया और वे भारतीय पुलिस सेवा में शामिल हो गए। वर्तमान में वे दिल्ली पुलिस में सहायक पुलिस आयुक्त के रूप में कार्यरत हैं। हालांकि, उनकी शादीशुदा जिंदगी में सब कुछ ठीक नहीं था। सुमन ने आरोप लगाया कि शादी के बाद चंद्रप्रकाश और उनके परिवार ने दहेज की मांग को लेकर उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया। सुमन का कहना था कि चंद्रप्रकाश ने उनकी आर्थिक और भावनात्मक स्थिति का फायदा उठाया और बार-बार दहेज की मांग की।
हनुमानगढ़ के भद्रा में 30 मार्च 2016 को सुमन ने न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष शिकायत दर्ज की, जिसमें उन्होंने चंद्रप्रकाश पर दहेज प्रताड़ना (धारा 498A IPC), आपराधिक विश्वासघात (धारा 406 IPC) और अन्य धाराओं के तहत आरोप लगाए। इस मामले की सुनवाई लंबे समय तक चली और 10 मई 2019 को भद्रा के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने चंद्रप्रकाश को इन आरोपों से बरी कर दिया था। हालांकि, सुमन ने इस फैसले के खिलाफ राजस्थान उच्च न्यायालय में अपील दायर की, जिसके बाद मामला फिर से हनुमानगढ़ की निचली अदालत में पहुंचा।
न्यायिक मजिस्ट्रेट सीमा गोयल ने ताजा सुनवाई में साक्ष्यों और गवाहों के बयानों के आधार पर चंद्रप्रकाश को धारा 498A (दहेज प्रताड़ना) के तहत दोषी ठहराया. कोर्ट ने पाया कि सुमन के साथ शादी के बाद से ही दहेज की मांग और प्रताड़ना के पर्याप्त सबूत हैं। कोर्ट ने यह भी नोट किया कि चंद्रप्रकाश का उच्च पद और उनकी सामाजिक स्थिति इस मामले में उनके खिलाफ गई। क्योंकि, एक IPS अधिकारी से समाज को और अधिक जिम्मेदारी की उम्मीद होती है। सजा के साथ का जुर्माना भी लगाया गया और इसे न चुकाने पर अतिरिक्त कारावास का प्रावधान है।