पराक्रम दिवस पर भारत के परमवीरों का यह सम्मान महान है…

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पराक्रम दिवस पर भारत के परमवीरों का यह सम्मान महान है…

पहली बात तो यही गर्व की है कि परम राष्ट्र नायक सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयास से वर्ष 2021 से पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। तो दूसरा महान गौरव की अनुभूति यही है कि 2023 को पराक्रम दिवस के अवसर पर देश के 21 परमवीरों के नाम पर अंडमान निकोबार द्वीप समूह के 21 अनाम द्वीपों का नामकरण कर दिया जाएगा। नेताजी सुभाष चंद्र बोस वह नाम है जिसने आजादी की लड़ाई में ओजस्वी नारा दिया था कि ‘तुम मुझे खून दो,मैं तुम्हें आजादी दूंगा।’ इस नारे ने हर भारतीय के खून में उबाल ला दिया था और आजादी की जंग को तेज कर दिया था। नेताजी सुभाष चंद्र बोस का संपूर्ण जीवन हर युवा और भारतीय के लिए आदर्श है। उन्होंने आजादी की जंग में शामिल होने के लिए भारतीय प्रशासनिक सेवा का परित्याग कर दिया और इंग्लैंड से भारत वापस लौट आए। स्वतंत्रता आंदोलन की लड़ाई में उन्होंने आजाद हिंद सरकार और आजाद हिंद फौज का गठन किया। खुद का आजाद हिंद बैंक स्थापित किया, जिसे 10 देशों का समर्थन मिला। आजादी की जंग में उनके योगदान और पराक्रम को हम ‘पराक्रम दिवस’ के तौर पर मनाते हैं। नेताजी सुभाषचन्द्र बोस का जन्म 23 जनवरी सन् 1897 को ओड़िशा के कटक शहर में हिन्दू बंगाली परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और माँ का नाम प्रभावती था।

गर्व की बात यह भी है कि पराक्रम दिवस का तीसरा आयोजन बेहद खास होने वाला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राष्ट्रभक्ति की भावना जब राष्ट्रवीरों का सम्मान बनकर प्रकट होती है, तो हर भारतीय का सीना 56 इंच का हो जाता है। परमवीर चक्र सम्मान देश में सेनावीरों को मिलने वाला सर्वोच्च सम्मान है। पर सामान्य तौर पर इन वीरों का नाम किसी को याद नहीं रहता। मोदी की यही सोच उन्हें सबसे अलग बनाती है कि द्वीपों का नाम परमवीरों के नाम पर होगा, तो अंडमान निकोबार द्वीप समूह पहुंचने वाले सैलानियों की स्मृति में परमवीरों का नाम तो अंकित हो ही जाएगा। मोदी की इसी सोच का हिस्सा है कि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के ऐतिहासिक महत्व को ध्यान में रखते हुए और नेताजी सुभाष चंद्र बोस की स्मृति का सम्मान करने के लिए, 2018 में द्वीप की अपनी यात्रा के दौरान रॉस द्वीप समूह का नाम बदलकर उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप कर दिया था। नील द्वीप और हैवलॉक द्वीप का भी नाम बदलकर शहीद द्वीप और स्वराज द्वीप कर दिया गया है। अब 23 जनवरी 2023 को तीसरे पराक्रम दिवस पर मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए परमवीरों के नाम पर द्वीपों के नामकरण समारोह में हिस्सा लेंगे। इस दौरान मोदी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप पर बनने वाले ‘नेताजी को समर्पित राष्ट्रीय स्मारक के मॉडल’ का भी अनावरण करेंगे।

 

आइए हम भी इन 21 परमवीरों के नाम का स्मरण कर लें, जिन्हें भारत रत्न के बाद देश के दूसरे सर्वोच्च सम्मान से नवाजा गया है। पहले सम्मान का स्मरण करें तो परमवीर चक्र भारत का सर्वोच्च शौर्य सैन्य अलंकरण है जो दुश्मनों की उपस्थिति में उच्च कोटि की शूरवीरता एवं त्याग के लिए प्रदान किया जाता है। ज्यादातर स्थितियों में यह सम्मान मरणोपरांत दिया गया है। इस पुरस्कार की स्थापना 26 जनवरी 1950 को की गयी थी जब भारत गणराज्य घोषित हुआ था।प्रथम पुरस्कार 3 नवंबर 1947 के लिए दिया गया और अंतिम पुरस्कार 6 जुलाई 1999 की घटना पर दिया गया। अभी तक कुल प्राप्तकर्ता 21 हैं। भारतीय सेना के किसी भी अंग के अधिकारी या कर्मचारी इस पुरस्कार के पात्र होते हैं एवं इसे देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न के बाद सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार समझा जाता है। इससे पहले जब भारतीय सेना ब्रिटिश सेना के तहत कार्य करती थी तो सेना का सर्वोच्च सम्मान विक्टोरिया क्रास हुआ करता था। लेफ्टिनेंट या उससे कमतर पदों के सैन्य कर्मचारी को यह पुरस्कार मिलने पर उन्हें (या उनके आश्रितों को) नकद राशि या पेंशन देने का भी प्रावधान है।

अब हम 21 परमवीर चक्र पुरस्कार विजेताओं का नाम जान लें, जिनके नाम पर द्वीपों का नाम रखा जाएगा। यह परमवीर हैं, मेजर सोमनाथ शर्मा; सूबेदार और मानद कप्तान (तत्कालीन लांस नायक) करम सिंह, द्वितीय लेफ्टिनेंट राम राघोबा राणे; नायक यदुनाथ सिंह; कंपनी हवलदार मेजर पीरू सिंह; कैप्टन जीएस सलारिया; लेफ्टिनेंट कर्नल (तत्कालीन मेजर) धन सिंह थापा; सूबेदार जोगिंदर सिंह; मेजर शैतान सिंह। कंपनी क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हमीद; लेफ्टिनेंट कर्नल अर्देशिर बुर्जोरजी तारापोर; लांस नायक अल्बर्ट एक्का; मेजर होशियार सिंह; द्वितीय लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल; फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों; मेजर रामास्वामी परमेश्वरन; नायब सूबेदार बाना सिंह; कैप्टन विक्रम बत्रा; लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे; सूबेदार मेजर (तत्कालीन राइफलमैन) संजय कुमार; और सूबेदार मेजर सेवानिवृत्त (माननीय कप्तान) ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव हैं। परमवीर चक्र हासिल करने वाले शूरवीरों में सूबेदार मेजर बन्ना सिंह (बाना सिंह) ही एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जो कारगिल युद्ध तक जीवित थे।

सबसे बड़े अनाम द्वीप का नाम पहले परमवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा के नाम पर रखा जाएगा, जो 3 नवंबर, 1947 को श्रीनगर हवाई अड्डे के पास पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ते हुए कार्रवाई में शहीद हो गए थे। बडगाम की लड़ाई के दौरान उनकी वीरता और बलिदान के लिए उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था।दूसरे सबसे बड़े अनाम द्वीप का नाम दूसरे परमवीर चक्र पुरस्कार विजेता, सूबेदार और मानद कप्तान (तत्कालीन लांस नायक) करम सिंह के नाम पर रखा जाएगा। उन्होंने 1947 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में अपना परमवीर चक्र अर्जित किया, जहां टिथवाल सेक्टर पर नियंत्रण के लिए लड़ाई लड़ी गई थी।

तो सभी 21 परमवीरों का योगदान विशिष्ट है। पीएमओ ने कहा कि यह कदम देश के वास्तविक जीवन के नायकों को उचित सम्मान प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री के प्रयासों का हिस्सा है। यह कदम हमारे नायकों के लिए एक चिरस्थायी श्रद्धांजलि होगी, जिन्होंने राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा के लिए बलिदान दिया था। पराक्रम दिवस पर मोदी की इस सोच, राष्ट्रनायक सुभाष चंद्र बोस और परमवीर चक्र विजेताओं को नमन है। राष्ट्र के 21 परमनायक, यह भारत देश तुम्हें कभी नहीं भुला पाएगा। राष्ट्र की रक्षा और दुश्मनों को सबक सिखाने में तुम्हारा योगदान अतुलनीय है और अनाम द्वीप आपका नाम पाकर हमेशा-हमेशा के लिए आपके कृतज्ञ रहेंगे, जिस तरह से देश का हर नागरिक और देश की माटी तुम्हारी कृतज्ञ है। पराक्रम दिवस पर भारत के परमवीरों का यह सम्मान महान है… जो आज के दिन हर भारतीय को गर्व से भर रहा है।