kaal sarp yog:12 तरह के होते हैं काल सर्प योग

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kaal sarp yog:12 तरह के होते हैं काल सर्प योग

kaal sarp yog;12 तरह के होते हैं काल सर्प योग

वैदिक ज्योतिष का गहन अध्ययन करते हैं तो हमें कई योग और दोष मिलते हैं जो कि जन्मकुंडली में पाए जाते हैं। दोष का अर्थ है ऐसी स्थिति जिसमें खामियां हों, प्रतिकूल हो या जो जातक के लिए अच्छी न मानी जाती हो। वैदिक विज्ञान में लोकप्रिय दोषों में से एक काल सर्प दोष भी है।     कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के मध्य स्थित हों, तो काल सर्प योग बनता है. जब सभी ग्रह राहु और केतु के बीच में आ जाते है, तो लाइफ में एक तरह का लॉक लग जाता है. सभी ग्रह इस लॉक में फंस कर रह जाते हैं. ऐसे में स्ट्रगल अधिक करना पड़ता है. काल सर्प योग नाम से तो अत्यधिक खतरनाक लगता है, लेकिन उससे बहुत ज्यादा भयभीत होने की जरूरत नहीं है. कुछ काल सर्प योग ही घातक साबित होते हैं,

kaal sarp yog

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काल सर्प दोष के प्रकार:

जातक के जीवन में इस दोष के प्रभाव में भिन्नताएं हैं। काल सर्प दोष के विभिन्न प्रकार हैं।

  1. अनंत काल सर्प दोष:

यह तब बनता है, जब राहु को 1 वें घर में और केतु को 7 वें घर में रखा जाता है, जहां दोनों ग्रहों के बीच शेष 7 ग्रह बैठे होते हैं।

2. कुलिक काल सर्प दोष:

यह दोष तब बनता है जब राहु 2 वें घर में और केतु 8 वें घर में हो और दोनों ग्रहों के बीच में शेष 7 ग्रह स्थित हों।

3. वासुकी काल सर्प दोष:

यह दोष तब बनता है जब राहु तीसरे घर में हो और केतु 9 वें घर में हो और दोनों के बीच में शेष 7 ग्रह उपस्थित हो।

4. शंखपाल काल सर्प दोष:

यह दोष तब बनता है जब राहु चौथे घर(भूमि, भवन, माता से मिलने वाले सुख के घर) में होता है और केतु 10 वें(आजीविका के घर)  घर में होता है और शेष 7 ग्रह एक दिशा में दोनों के बीच में हो।

5. पदम काल सर्प दोष:

यह दोष तब बनता है जब राहु 5 वें घर में और केतु 11 वें घर में होता है और दोनों के बीच में शेष 7 ग्रह एक ही दिशा में उपस्थित होते हैं।

6. महापद्म काल सर्प दोष:

यह दोष तब बनता है जब राहु छठे घर में होता है और केतु 12 वें घर में हो और बाकी बचे 7 ग्रह दोनों के बीच में स्थित हो।

7. तक्षक काल सर्प दोष:

यह दोष तब बनता है जब राहु 7 वें घर में और केतु 1 घर में बैठा होता है और दोनों के बीच में शेष 7 ग्रह एक ही दिशा में बैठे होते हैं।

8. कर्कोटक काल सर्प दोष:

यह दोष तब बनता है जब राहु 8 वें(मृत्यु, अपयश, दुर्घटना, साजिश का घर) घर में होता है और केतु 2 वें (धन एवं कुटुम्ब)  घर में होता है। सूर्य से शनि तक सभी शेष 7 ग्रह एक ही दिशा में एक गोलार्द्ध में दोनों ग्रहों के बीच में होते हैं।

9. शंखनाद काल सर्प दोष:

यह दोष तब बनता है जब राहु 9 वें घर में और केतु तीसरे घर में, बाकी बचे हुए 7 ग्रह एक ही दिशा में दोनों ग्रहों के बीच स्थित होते हैं।

10. घृत काल सर्प दोष:

यह दोष तब बनता है जब राहु 10 वें घर में होता है और केतु 4 वें घर में होता है। सूर्य से शनि तक सभी शेष 7 ग्रह एक ही दिशा में एक गोलार्द्ध में दोनों ग्रहों के बीच में होते हैं।

11. विषधर काल सर्प दोष:

यह दोष तब बनता है जब राहु 11 वें घर में होता है और केतु 5 वें घर में होता है और दोनों के बीच में शेष 7 ग्रह एक ही दिशा में उपस्थित होते हैं।

12. शेषनाग काल सर्प दोष:

यह दोष तब बनता है जब राहु 12 वें घर में होता है और केतु 6 वें घर में होता है। सूर्य से शनि तक सभी शेष 7 ग्रह एक ही दिशा में एक गोलार्द्ध में दोनों ग्रहों के बीच में होते हैं।

दोष निवारण

  • रविवार, पंचमी तिथि और अश्लेषा नक्षत्र के दिन नागराज और अन्य सर्प देवताओं की पूजा करना लाभदायक होता है। नाग पंचमी पर उपवास करें और इस दिन नाग देवता की पूजा करें या भगवान कृष्ण से प्रार्थना करें और शनिवार या पंचमी पर 11 नारियल नदी में अर्पित करें।
  • अन्न का दान करना उत्तम है, पशुओं को खाना खिलाना, पेड़ों की रक्षा करना भी काल सर्प योग से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में मदद करता है।
  • पंचाक्षरी मंत्र, यानी ओम नमः शिवाय का जप करना या प्रतिदिन कम से कम 108 बार महा मृत्युंजय मंत्र जाप करना, इस दोष को कुंडली में दूर करने का एक प्रभावी तरीका है।
  • राहु के बीज मंत्र का 108 बार जाप करें और हाथ में अकीक यानि अगेट रत्न की अंगूठी बनवाकर धारण करें।
  • हर शनिवार को पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाना बहुत प्रभावी माना जाता है।
  • नदी पर धातु से बने नाग और नागिन  के 108 जोड़े चढ़ाने और सोमवार को रुद्र अभिषेक करना एक प्रभावी उपाय है। काल सर्प दोष को दूर करने में गायत्री मंत्र का जप भी महत्वपूर्ण है।
  • सांप और अन्य सरीसृपों को कभी नुकसान न पहुंचाएं। विशेष रूप से षष्ठी तिथि पर नौ सर्पों के वंशों के नामों का 21 बार जप करें। अमावस्या के दिन, किसी सपेरे से सांप लेकर उसे जंगल में छोड़ आएं।
  • सूर्य के सामने स्नान करने के बाद गायत्री मंत्र का 21 बार या 108 बार जप करें। गायत्री मंत्र सभी मंत्रों की माँ है और जो लोग इसे ईमानदारी और श्रद्धा से जपते हैं तो गायत्री मां उनकी रक्षा करती हैं। घर की चौखट, मुख्य द्वार पर चांदी का स्वास्तिक चिह्न बनवाकर लगाएं.- घर में मोर पंख रखें व प्रातः उठकर व सोने से पूर्व, भगवान शिव व कृष्ण भगवान का ध्यान कर देखा करें.- शिव उपासना एवं निरन्तर रुद्रसूक्त से अभिमंत्रित जल से स्नान करने पर यह योग शिथिल हो जाता है.- शिवलिंग पर तांबे का सर्प चढ़ाएं.- चांदी के सर्प के जोड़े को बहते पानी में छोड़ दें. इससे काल सर्प योग में चमत्कारिक लाभ होता है.