Kissa-A-IAS:  7 गोली खाई, चेहरा और आंख ख़राब हो गई, फिर ऐसे बने IAS अफसर

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Kissa-A-IAS:  7 गोली खाई, चेहरा और आंख ख़राब हो गई, फिर ऐसे बने IAS अफसर

 

कोई व्यक्ति कितना ईमानदार हो सकता है, इसका एक पैमाना रिंकू सिंह राही को माना जा सकता है। लेकिन, रिंकू सिंह की इस ईमानदारी ने उन्हें काफी संघर्ष करवाया। जब वे उत्तर प्रदेश सरकार में पीसीएस अधिकारी थे, वे जहां तैनात रहे, उन्होंने गड़बड़ियां पकड़ी। ऐसे ही एक घोटाले को पकड़ने पर उन्हें हमले का शिकार होना पड़ा। उन्हें सात गोलियां लगी, एक आंख की रोशनी चली गई। चेहरा विकृत हो गया। इससे ज्यादा और क्या होगा कि उन्हें पागलखाने तक भेज दिया गया। लेकिन, उन्होंने ईमानदारी की राह नहीं छोड़ी। वे कई छात्रों के आदर्श भी हैं। यूपीएससी की परीक्षा दी और क्लियर भी की। उन्हें यूपी कैडर ही मिला है। यानी अब उनकी ईमानदारी का डंका उनके गृहराज्य में ही बजेगा!

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रिंकू को हापुड़ में समाज कल्याण अधिकारी रहते हुए यूपी सरकार द्वारा संचालित आईएएस पीसीएस कोचिंग संस्थान के डायरेक्टर पद पर नियुक्त किया गया था। वहां के छात्रों की जिद और विभागीय मंत्री के जोर देने पर उन्होंने यूपीएससी परीक्षा दी।

उत्तर प्रदेश के समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण ने ‘ 12th फेल ‘ फिल्म देखने के बाद अपने फेसबुक पर रिंकू को लेकर पोस्ट की है जिसमें उन्होंने रिंकू की IAS बनने के संघर्ष की कहानी को साझा किया है। उन्होंने लिखा है कि ऐसी सफलता की कहानी सुनकर हम सब प्रेरित होते हैं क्योंकि इनमें हमें अपने चुनौतियां आसान लगने लगती है। ऐसी ही एक कहानी है रिंकू की।

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मंत्री असीम बताते हैं कि मार्च 2022 में जब मुझे समाज कल्याण मंत्री का प्रभार मिला तो रिंकू से फोन पर बात हुई, मुलाकात हुई। रिंकू हापुड़ स्थित राजकीय अनुसूचित जाति IAS PCS कोचिंग का संचालन कर रहे थे। हर साल अच्छी संख्या में बच्चों का चयन हो रहा था। क्योंकि रिंकू के कुछ अटेम्प्ट अभी बचे थे।मंत्री बताते हैं कि उन्हें फिर से यूपीएससी में परीक्षा देने का जोर डाला। मेरा छोटा सा धक्का और रिंकू ने एक और अटेम्प्ट दिया। जिसमे इंटरव्यू तक पहुंचे लेकिन कोई सर्विस नहीं अलॉट हुई क्योंकि शायद नंबर कुछ कम रह गए थे ।उन्होंने हार नहीं मानी और दोबारा तैयारी की। 2023 के रिजल्ट में यूपी सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न कोचिंग के 24 कैंडिडेट सेलेक्ट हुए और उनके गुरु रिंकू भी।

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रिंकू के जीवन का सस्पेंस अभी भी बाकी था सबसे पहले सूची में उन्हें इंडियन रिवेन्यू सर्विस कस्टम मिली किंतु कुछ ऐसी संभावनाएं थीं कि सर्विस चेंज हो जाए ।

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मंत्री असीम ने अपने पोस्ट पर लिखा है कि कुछ महीने सस्पेंस रहा और उसके बाद खुशी और बढ़ गई जब रिंकू को IAS आवंटित हुई। खुशी की एक लहर आना अभी और बची थी कि जब हाल ही में 2023 का कैडर अलॉटमेंट हुआ तो रिंकू को यूपी कैडर भी मिल गया।

निश्चित रूप से यह स्टोरी किसी फिल्म से कम नहीं, जो लोग सरकारी सेवाओं के लिए परीक्षा दे रहे हैं या सरकारी सेवक हैं या कहीं भी है, शायद इससे ज्यादा मोटिवेशनल कोई स्टोरी हो नहीं सकती।

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*संघर्ष यात्रा*

रिंकू के जीवन की संघर्ष यात्रा प्रेरणा देने वाली है। अलीगढ़ के डोरी नगर के रहने वाले रिंकू के पिता शिवदान सिंह आटा चक्की चलाते हैं। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। पिता प्राइवेट स्कूल की फीस देने में सक्षम नहीं थे। इसलिए उनकी पढ़ाई सरकारी स्कूल से हुई। इंटर में अच्छे नंबर आने की वजह से रिंकू को स्कालरशिप मिली। इसके बाद उन्होंने टाटा इंस्टीट्यूट से बीटेक की डिग्री ली और PCS 2004 की परीक्षा पास की। 2008 में रिंकू राही पीसीएस ऑफिसर बने और उनकी पहली पोस्टिंग मुजफ्फरनगर में हुई। वहां उन्होंने समाज कल्याण अधिकारी के रूप में कार्यभार संभाला। 2009 में उन्होंने स्कॉलरशिप और फीस प्रतिपूर्ति के नाम पर करोड़ो रुपए के घोटाले का पता लगाया। जांच के दौरान क़रीब 100 करोड़ के घोटाले का पता चला। उन्होंने इसकी शिकायत की, लेकिन मामले में कोई कार्यवाही नहीं हुई। बल्कि इस कार्रवाई से वे माफिया के निशाने पर आ गए।

मुजफ्फरपुर में रिंकू राही सरकारी आवासीय कॉलोनी में रहते थे। 26 मार्च 2009 को वे अपने सहकर्मी के साथ सुबह बैडमिंटन खेल रहे थे, तभी दो हमलावरों ने उन पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी। रिंकू को 7 गोलियां लगी। उनकी जान तो बच गई, लेकिन मुंह पर भी गोली लगने से उनका जबड़ा बाहर आ गया। पूरा चेहरा विकृत हो गया जिससे वे कई महीने अस्पताल में भर्ती रहे। कई ऑपरेशन के बाद ठीक होकर वे अस्पताल से बाहर आए। इस हमले में रिंकू की एक आंख की रोशनी चली गई। चेहरे की सर्जरी भी करवाना पड़ी। उन पर हुए हमले में जांच के आधार पर SC-ST कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए चार आरोपियों को दोषी करार दिया और 10-10 साल की सजा सुनाई। बाकी चार आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया।

जानलेवा हमले के बाद भी रिंकू नहीं रुके। उन्होंने घोटाला को फिर खोलने के लिए RTI के तहत सूचनाएं मांगी। लेकिन, एक साल बाद भी उन्हें सूचनाएं नहीं दी गईं। ऐसे में रिंकू ने 26 मार्च 2012 को लखनऊ निदेशालय के बाहर अनशन शुरू कर दिया। पुलिस ने रिंकू को हिरासत में लेते हुए मेंटल हॉस्पिटल भेज दिया। एक दिन बाद उन्हें पागलखाने से अलीगढ़ के सरकारी अस्पताल में एडमिट कराया गया।

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*कई बार मिली ईमानदारी की सजा*

रिंकू सिंह राही बेहद ईमानदार अधिकारी हैं। जिसकी सजा उन्हें कई बार मिली। 2015-16 के दौरान जब वे श्रावस्ती में तैनात थे, पोस्टिंग के दौरान 25 हजार रुपए सालाना सरकारी गाड़ी भत्ता दिए जाने की व्यवस्था थी। उन्होंने इसका लाभ नहीं लिया, तो उन्हें 25 हजार रुपए किसी और काम में खर्च करने को कहा गया। लेकिन, रिंकू ने इससे भी इंकार कर दिया। इसके बाद भी उन्हें गाड़ी भत्ता दूसरे कामों में खर्च करने के आरोप में चार्जशीट पकड़ा दी गई।

एक और घटना 2018 में ललितपुर में पोस्टिंग के दौरान हुई। उन्हें स्कूल में शिक्षकों के साथ शोषण के आरोप में एक शिकायती पत्र प्राप्त हुआ था। इसके अलावा हापुड़ में राजकीय IAS-PCS कोचिंग सेंटर प्रभारी होने के दौरान भी उन पर दो बार फर्जी शिकायत कर आरोप लगाए गए। रिंकू को कई बार सस्पेंड करवाने की धमकियां भी मिली। फिर भी वे ईमानदारी के साथ अपना फर्ज निभाते रहे। अब उन्होंने अपनी मेहनत के दम पर काफी संघर्ष के बाद UPSC क्लियर किया है। ख़ास बात यह कि उन्हें यूपी कैडर ही मिला है। रिंकू को हापुड़ में समाज कल्याण अधिकारी रहते हुए यूपी सरकार द्वारा संचालित आईएएस पीसीएस कोचिंग संस्थान के डायरेक्टर पद पर नियुक्त किया गया। वहां के छात्रों की जिद और विभागीय मंत्री के बार बार जोर देने पर उन्होंने यूपीएससी परीक्षा दी। छात्रों की प्रेरणा से ही उन्होंने यूपीएससी परीक्षा पास की और आज IAS बन गए।

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सुरेश तिवारी

MEDIAWALA न्यूज़ पोर्टल के प्रधान संपादक सुरेश तिवारी मीडिया के क्षेत्र में जाना पहचाना नाम है। वे मध्यप्रदेश् शासन के पूर्व जनसंपर्क संचालक और मध्यप्रदेश माध्यम के पूर्व एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर रहने के साथ ही एक कुशल प्रशासनिक अधिकारी और प्रखर मीडिया पर्सन हैं। जनसंपर्क विभाग के कार्यकाल के दौरान श्री तिवारी ने जहां समकालीन पत्रकारों से प्रगाढ़ आत्मीय रिश्ते बनाकर सकारात्मक पत्रकारिता के क्षेत्र में महती भूमिका निभाई, वहीं नए पत्रकारों को तैयार कर उन्हें तराशने का काम भी किया। mediawala.in वैसे तो प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की खबरों को तेज गति से प्रस्तुत करती है लेकिन मुख्य फोकस पॉलिटिक्स और ब्यूरोक्रेसी की खबरों पर होता है। मीडियावाला पोर्टल पिछले सालों में सोशल मीडिया के क्षेत्र में न सिर्फ मध्यप्रदेश वरन देश में अपनी विशेष पहचान बनाने में कामयाब रहा है।