Kissa-A-IAS: Unique Example Of Amazing 3 Sisters In IAS Fraternity
देश तो क्या, दुनिया में ऐसा आश्चर्यजनक और बिरला उदाहरण दूसरा नहीं मिलेगा जब एक ही परिवार की तीन सगी बहने IAS बनने के साथ ही एक ही राज्य में चीफ सेक्रेट्री जैसे सबसे ऊंचे प्रशासनिक पद पर पहुंची।
एक ही परिवार के कई सदस्यों को अफसर बनते तो आपने खूब देखा और सुना होगा, मगर यह कहानी सबसे हटकर है। इसमें तीन सगी बहनों ने कामयाबी की वो इबारत लिख दी जो अनूठी मिसाल बन गई। ‘ भूतो ना भविष्यति’
यह परिवार है देश के हरियाणा राज्य का। ये देश में एकमात्र अद्भुत उदाहरण है, जब तीनों बहनें IAS बनी और बाद में तीनों ही राज्य के चीफ सेक्रेटरी (Chief Secretary Of Haryana) जैसे सर्वोच्च प्रशासनिक पद तक पहुंची। ये तीन बहनें हैं केशनी आनंद अरोड़ा, मीनाक्षी चौधरी और उर्वशी गुलाटी। ये पंजाब विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पद से रिटायर हुए जे सी आनंद की बेटियां हैं।
मूल रूप से रावलपिंडी (पाकिस्तान) का रहने वाला यह परिवार विभाजन के समय पंजाब आ गया। उस समय घर के हालात अनुकूल नहीं थे। जब बड़ी बहन मीनाक्षी ने 10वीं पास की, तो उनके रिश्तेदारों ने उनके माता-पिता पर शादी के लिए दबाव डालना शुरू कर दिया। लेकिन, मां का मानना था कि बुरे वक़्त में पढ़ाई-लिखाई ही काम आती है। इसलिए पहले पूरी पढ़ाई करो फिर शादी। इस परिवार ने तीनों बहनों को पढ़ने-लिखने का पूरा अवसर दिया। इसका नतीजा यह रहा कि तीनों बहनें अपने लक्ष्य को पाने में कामयाब हुई।
केशनी 1983 बैच की IAS अफसर हैं, जो रिटायरमेंट के बाद इस समय हरियाणा की वाटर रिसोर्सेज अथॉरिटी की चेयर पर्सन है। सवा साल तक हरियाणा Chief Secretary रहकर वे 30 सितंबर 2020 को रिटायर हुई।
हरियाणा राज्य बनने के बाद वे 16 अप्रैल 1990 को प्रदेश की पहली महिला उपायुक्त (कलेक्टर) भी बनीं।
केशनी से पहले उनकी बहन मीनाक्षी ने हरियाणा के मुख्य सचिव पद का कार्यभार संभाला, वे 1969 बैच की IAS हैं। वे 2005 से 2006 तक इस पद पर रहीं। तीसरी बहन उर्वशी 1975 बैच की IAS है और उन्होंने अक्टूबर 2009 से मार्च 2012 तक इस पद की ज़िम्मेदारी संभाली।
IAS केशनी आनंद अरोड़ा अपनी बड़ी बहनों के नक्शे कदम पर चलकर मुख्य सचिव के पद तक पहुंची।
20 सितंबर 1960 को पंजाब में जन्मी केशनी आनंद अरोड़ा बेहद प्रतिभाशाली हैं। राजनीति विज्ञान से एमए और एम फील करने के दौरान वे अपने बैच की टॉपर थीं। हरियाणा कैडर के 1983 बैच का IAS टॉपर बनने का गौरव भी केशनी आनंद अरोड़ा को हासिल है।
उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के सिडनी विश्वविद्यालय से MBA किया है। हरियाणा जब अलग राज्य बना तो 16 अप्रैल 1990 प्रदेश की पहली महिला उपायुक्त के पद पर केशनी आनंद अरोड़ा की नियुक्ति हुई।
एक ऐसा राज्य जो लिंगानुपात के लिए पूरे देश में बदनाम रहा है। वहां एक ही परिवार की तीन सगी बहनों का IAS बनना और फिर बाद में तीनों का चीफ सेक्रेटरी बनना, बहुत बड़ी बात है। पिछले कुछ सालों में हरियाणा में लिंगानुपात थोड़ा बेहतर हुआ है। राज्य सरकार ने ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ जैसा जागरुकता अभियान भी चलाया। इसके बावजूद लड़कियों की संख्या लड़कों की तुलना में बहुत कम है।
केशनी का कहना हैं कि लोग महिलाओं को अहम पदों पर बैठे देखने के आदी नहीं हैं। जब वे किसी इलाके का दौरा करने जाती थी, तो लोगों को लगता था कि डिप्टी कमिश्नर साहब की पत्नी आईं हैं। मुझे याद है लोग गांव के पटवारी से पूछते थे कि क्या साहब ने अपनी बेटी को काम पर लगा रखा है!
उनसे जुड़ी एक घटना यह भी है कि एक वरिष्ठ अधिकारी ने इन पर बेहतर काम को लेकर तंज कसा था। जिसका जवाब केशनी अरोड़ा ने अपनी काबिलियत से दिया। हुआ यह था कि IAS की ट्रेनिंग के दौरान जब उनको कामकाज के बारे में बताया जा रहा था तो एक वरिष्ठ अधिकारी ने उन पर तंज़ कसा था कि कोई आपको डिप्टी कमिश्नर की पोस्ट थोड़े ही मिलने जा रही है।
तब केशनी ने जवाब देते हुए कहा था कि आप चिंता न करें, मैं एक दिन जरूर डिप्टी कमिश्नर बनूंगी। लोग तो इस बात पर शर्त लगाते थे कि किसी महिला को डिप्टी कमिश्नर या दूसरे अहम पद नहीं मिल सकते हैं। जब हरियाणा अलग राज्य बना और केशनी राज्य की पहली महिला डिप्टी कमिश्नर बनीं।
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एक इंटरव्यू में केशनी ने बताया कि नौकरशाही में महिलाओं के लिए चीज़ें कभी आसान नहीं रहीं। अपनी पहली पोस्टिंग को याद करते हुए केशनी कहती है कि जब पहली बार मुझे डिप्टी कमिश्नर बनाया गया, तो मुझसे कहा गया कि अगर मैं बढ़िया प्रदर्शन नहीं करूंगी तो फिर किसी और महिला अफ़सर को ये पोस्ट नहीं मिलेगी।
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अगले साल जब लिस्ट निकली तो मुझे यह देखकर ख़ुशी हुई कि उनमें दो महिलाओं को डिप्टी कमिश्नर बनाया गया था। केशनी के मुताबिक महिलाओं को हमेशा अपने अधिकारों के लिए लड़ना पड़ता है। महिलाओं को हमेशा अपने पुरुष अधिकारियों को कहना पड़ता है कि वे उन्हें एक अधिकारी की तरह समझें न कि महिला और पुरुष की तरह!