Kissa-A-IPS : बिरला उदाहरण, एक ही शहर में इंस्पेक्टर से लेकर पुलिस कमिश्नर तक का सफर

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Kissa-A-IPS : बिरला उदाहरण, एक ही शहर में इंस्पेक्टर से लेकर पुलिस कमिश्नर तक का सफर

ऐसा संयोग कम ही होता है कि अधिकारी जहाँ छोटे पद से अपनी नौकरी शुरू करे, बाद में उसी शहर के सबसे बड़े पद को सुशोभित करे। किसी और के साथ हुआ हो या नहीं, पर इंदौर के नए पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्रा इनमें एक हैं। उन्होंने 16 साल पहले इंदौर से ट्रेनी इंस्पेक्टर (TI) के तौर पर अपना पुलिस कैरियर शुरु किया था। आज वे उसी इंदौर के पहले पुलिस कमिश्नर (Police Commissioner) बन गए। इससे पहले वे इसी शहर में SDOP, SSP, DIG और फिर IG बनने के बाद वे अब यहाँ के पुलिस कमिश्नर हैं।

Kissa-A-IPS : बिरला उदाहरण, एक ही शहर में इंस्पेक्टर से लेकर पुलिस कमिश्नर तक का सफर

इंदौर में प्रशिक्षण पूरा करने के बाद उन्हें महू का एसडीओपी बनाया गया था। बाद में हरिनारायण चारी मिश्रा की तैनाती बालाघाट, खंडवा, जबलपुर और ग्वालियर जैसे शहरों में SP के रूप में हुई। दिसंबर 2016 में उन्हें वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) बनाकर इंदौर भेजा गया था। मार्च 2017 में पदोन्नत हो गए और मई 2019 तक इंदौर के DIG रहे। फरवरी 2021 को उन्हें IG पदोन्नत किया गया। वे वह संभवतः देश के एकमात्र अफसर हैं जिन्हें एक ही शहर इंदौर में DIG से IG और अब वहीं का पुलिस कमिश्नर बनाया गया।

थोड़ा पीछे जाकर देखें तो हरिनारायण चारी मिश्रा ने पढाई पूरी करने के बाद 1998 में UP-PCS की परीक्षा पास की और उत्तर प्रदेश में ट्रेजरी अधिकारी बन गए। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। नौकरी के साथ उन्होंने सिविल सर्विस की भी तैयारी जारी रखी और 2001 में IRS उत्तीर्ण कर रेलवे में अधिकारी बने। लेकिन, उन्हें अभी और आगे जाना था, इसलिए रेलवे की नौकरी करते हुए उन्होंने UPSC की तैयारी की और एक साल में IPS बन गए। 2002 में इन्हें मध्यप्रदेश कैडर मिला।

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हरिनारायणचारी मिश्र के कामकाज की अपनी अलग ही शैली है। वे दूसरे पुलिस अफसरों की तरह कभी आपा नहीं खोते, हमेशा सामान्य दिखाई देते हैं। उन्हें नजदीक से जानने वालों का कहना है कि वे कभी स्टाफ को भी सार्वजनिक तौर पर नहीं फटकारते। कुछ कहना भी होता है, तो अकेले में बात करते हैं। मामला गंभीर हो, तो वे छोटे कर्मचारियों से भी सीधे संपर्क करने में नहीं झिझकते। यही कारण है कि छोटे कर्मचारी भी उनसे बात करने में खौफ नहीं खाते। कागजी कार्रवाई में भी उन्हें माहिर माना जाता है। उनकी काम करने की शैली भी ऐसी है कि विपक्षी पार्टियों के नेता भी उनसे खुश रहते हैं।

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भू-माफिया, शराब तस्करी, जमीन घोटाला, ड्रग कांड जैसे बड़े ऑपरेशनों में जिला प्रशासन के साथ उनके तालमेल की भी तारीफ की जाती है। शायद यही कारण है कि सरकार ने उन्हें इंदौर का पहला कमिश्नर बनाने में जरा भी देर नहीं की गई। जब वे ग्वालियर में एसपी थे, उन्होंने अपहरण, फिरौती और हथियार माफियाओं को नाक में दम कर दिया था। वहीं बालाघाट में नक्सलियों और ग्वालियर में गुंडों के आतंक का सफाया किया। इंदौर में भी लूट, ड्रग सप्लाय और गैंगवार के आरोपियों के मकानों पर हथौड़े चलवाने में उन्होंने देर नहीं की।

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सरल, सहज और बेदाग चरित्र वाले हरिनारायणचारी मिश्रा को पुलिस विभाग में नवाचारों के लिए भी जाना जाता है। जबलपुर के SP रहते हुए यहां नवाचार के रूप में विशेष कार्ययोजना को अंजाम दिया था। इस वजह से वहां सुसाइड के मामले में भारत में नंबर वन जबलपुर में आत्महत्याओं में काफी कमी आई।

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इसके लिए उन्होंने संजीवनी हेल्पलाइन शुरू की, जिसका बाद में इंदौर में भी प्रयोग किया गया। खंडवा में SP रहते उन्होंने धार्मिक उन्माद की घटनाओं को जिस तरह रोका, इसके लिए उन्हें राज्य सरकार ने ‘इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार दिया गया था। जब वे ग्वालियर में पदस्थ थे, उनका नाम ‘लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड’ में दर्ज किया गया।

इंदौर में पहली पदस्थापना के समय भारत सरकार के भूतल परिवहन मंत्रालय ने भी इन्हें सम्मानित किया। सड़क दुर्घटनाओं में कमी और ट्रैफिक में नवाचार अपनाने को लेकर देश में इस शहर को नम्बर वन चुना गया था। साइबर अपराधों के मामले में भी उन्होंने हेल्पलाइन के जरिए करोड़ों रुपए पीड़ितों को दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।

हरिनारायण चारी मिश्रा बिहार में उस सीवान जिले के रघुनाथपुर रहने वाले हैं, जो बरसों तक बाहुबली पूर्व सांसद शहाबुद्दीन के नाम से पहचाना जाता रहा है। उसी सीवान को आज इंदौर के पहले पुलिस कमिश्नर की जन्मस्थली की तरह याद किया जाता है।

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स्व माधवाचारी मिश्र के बेटे हरिनारायण का जन्म 15 जनवरी 1975 को हुआ। माता-पिता दोनों सरकारी स्कूल के शिक्षक थे। 5 बहनों और 2 भाइयों में उनका दूसरा नंबर है। उनकी मां और भाई अभी भी वहीं रहते हैं। उन्होंने अपनी जिंदगी का सफर रघुनाथपुर के छोटे से मोहल्ले से शुरू किया। आम बच्चों की तरह उन्होंने भी सरकारी स्कूल में बोरे पर बैठकर पढ़ाई की शुरुआत की। आज वहाँ के लोगों को गर्व है कि उनके यहाँ जन्मा हरिनारायण आज एमपी के सबसे बड़े शहर इंदौर का पहला पुलिस कमिश्नर है।

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