लता जी इस बार भी कह दो कि गलत है ये खबर!

984
काश … पहले की तरह इस बार भी लता मंगेशकर के निधन की बात अफवाह निकलती! कई बार स्वर कोकिला लता मंगेशकर के गंभीर रूप से बीमार होने और फिर निधन की अफवाह तेजी से उड़ी थी। लेकिन, लता जी ने खुद ही इस बात पर लगाम लगा दिया था। 2014 में उन्होंने ट्वीट किया था ‘नमस्कार, मेरी तबीयत के बारे में अफवाह फैल रहीं है, पर आप सबका प्यार और दुआएं हैं कि मेरी तबीयत बिलकुल ठीक है।’ हाल ही में भी ऐसा ही हुआ! लेकिन, अब ऐसा कुछ नहीं हुआ! न तो लता जी की तरफ से कोई ट्वीट आया और किसी ने इस खबर को गलत बताया! सच यही है कि किवदंती लता मंगेशकर अब हमारे बीच नहीं है!
best of best songs of the queen of bollywood lata mangeshkar 920x518 1
  लता मंगेशकर देश की सबसे सम्मानीय और लोकप्रिय गायिका थी, जिन्होंने अपने छ: दशक से ज्यादा लम्बे कार्यकाल में उपलब्धियों का शिखर छू लिया! इस दौरान संगीत की दुनिया को सुरों से नवाज़ा! लता ने 20 भाषाओं में 30 हज़ार से ज्यादा गाने गाए। उनकी आवाज़ सुनकर कभी किसी की आँखों में आँसू आए, कभी सीमा पर खड़े जवानों को सहारा मिला। लता जी ने अपना पूरा जीवन संगीत को समर्पित किया।
Lata5
उनकी पहचान सिनेमा में एक प्रतिष्ठित पार्श्वगायक के रूप में रही! कहते हैं, सफलता की राह कभी आसान नहीं होती! यही कारण है कि उनको अपनी जगह बनाने में बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा। 50 के दशक के कई संगीतकारों ने तो शुरू में लता जी को उनकी पतली आवाज़ के कारण गाना देने से मना कर दिया था। ये वो समय था, जब पार्श्व गायिका नूरजहाँ का दौर था और लता जी की तुलना उनसे की जाती थी। लेकिन, वक़्त बदला और धीरे-धीरे प्रतिभा के बल पर उनको काम मिलने लगा। वक़्त, हालात और प्रतिभा ने लता मंगेशकर को कामयाबी दिलाई।
Lata3
     लता जी की प्रतिभा को सही पहचान मिली 1947 में, जब उन्हें फिल्म ‘आपकी सेवा में’ एक गीत गाने का मौका मिला। इससे उन्हें पहचान मिली और काम भी! इसे उनका पहला शाहकार गीत कहा जाता है, जो 1949 में उन्होंने गाया था। ‘आएगा आने वाला’ के बाद उनके चाहने वालों की संख्या बढ़ने लगी। उस समय के सभी प्रसिद्ध संगीतकारों के साथ लता जी ने काम किया।
अनिल बिस्वास, सलिल चौधरी, शंकर जयकिशन, एसडी बर्मन, आरडी बर्मन, नौशाद, मदन मोहन, सी रामचंद्र इत्यादि सभी संगीतकारों ने उनकी प्रतिभा का लोहा माना। उन्होंने दो आँखें बारह हाथ, दो बीघा ज़मीन, मदर इंडिया, मुग़ल ए आज़म आदि महान फ़िल्मों में गाने गाए। महल, बरसात, एक थी लड़की, बड़ी बहन फ़िल्मों में भी अपनी आवाज़ का जादू बिखेरा। उनके कुछ प्रसिद्ध गीत थे ओ सजना बरखा बहार आई (परख-1960), आजा रे परदेसी (मधुमती-1958), इतना न मुझसे तू प्यार बढ़ा (छाया- 1961), अल्ला तेरो नाम (हम दोनों-1961), अहसान तेरा होगा मुझ पर (जंगली-1961), ये समां (जब जब फूल खिले-1965) आदि।
Lata10
   इंदौर की धरती को वो सौभाग्य प्राप्त है कि इस स्वर कोकिला का जन्म यहीं पर 28 सितम्बर 1929 को हुआ था। उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर एक कुशल गायक थे। लता जी ने जब संगीत सीखना शुरू किया, तब वे 5 साल की थी। लता ‘अमान अली ख़ान साहिब’ और बाद में ‘अमानत खान’ के साथ भी पढ़ीं। लता मंगेशकर को सुरीली आवाज़, जानदार अभिव्यक्ति और बात को बहुत जल्द समझने वाली अविश्वसनीय क्षमता का उदाहरण माना जाता रहा! इस कारण उनकी इस प्रतिभा को बहुत जल्द पहचान मिली।
Lata8
लेकिन, 5 साल की छोटी उम्र में उन्हें पहली बार एक नाटक में अभिनय करने का मौका मिला था। लेकिन, उनकी दिलचस्पी तो संगीत में थी। 1942 में इनके पिता दीनानाथ मंगेशकर की मौत हो गई, तब वे 13 साल की थीं। नवयुग चित्रपट फिल्‍म कंपनी के मालिक और इनके पिता के दोस्‍त मास्‍टर विनायक (विनायक दामोदर कर्नाटकी) ने तब इस परिवार को संभाला और लता जी को एक गायिका और अभिनेत्री बनाने में सहयोग दिया। लेकिन, जिंदगी के इस मधुर चित्रपट की अंतिम रील का अंतिम सीन भी आ गया। उनकी जिंदगी का ‘द एंड’ जरूर हो गया, पर वे गीत-संगीत की दुनिया में हमेशा जिंदा रहेगी! क्योंकि, कुछ लोग जो कभी मरते नहीं, उनमें एक  मंगेशकर भी हैं।
——————————————————————————
लता जी से जुड़ी कुछ अनोखी बातें
– 1974 में दुनिया में सबसे अधिक गीत गाने का ‘गिनीज बुक रिकॉर्ड’ उनके नाम पर दर्ज है।
– गाने की रिकॉर्डिंग के लिए जाने से पहले लता मंगेशकर कमरे के बाहर अपनी चप्पल उतारती थीं। उन्होंने हमेशा नंगे पाँव गाने गाए।
– लता मंगेशकर सिर्फ एक दिन के लिए स्कूल गई! जब वे पहले दिन आशा भोंसले को स्कूल लेकर गई, तो टीचर ने आशा को यह कहकर स्कूल से निकाल दिया कि उन्हें भी स्कूल की फीस देनी होगी। इस घटना के बाद लता जी ने तय किया कि वे कभी स्कूल नहीं जाएंगी। जबकि, बाद में उन्हें न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी सहित छ: यूनिवर्सिटी ने उन्हें मानक उपाधि से नवाजा! 
– वे फिल्म इंडस्ट्री की पहली महिला थीं, जिन्हें 1974 में लंदन के सुप्रसिद्ध रॉयल अल्बर्ट हॉल में गाने का अवसर मिला।
– लता की सबसे पसंदीदा फिल्म ‘द किंग एंड आई’ थी। हिंदी फिल्मों में उन्हें त्रिशूल, शोले, सीता और गीता, दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे और मधुमती पसंद थी। 1943 में प्रदर्शित फिल्म ‘किस्मत’ उन्हें इतनी पसंद थी कि उन्होंने यह फिल्म करीब 50 बार देखी। 
– लता जी ने मोहम्मद रफी के साथ सैकड़ों गीत गाए! एक वक्त ऐसा भी आया, जब उन्होंने रफी से बातचीत करना बंद कर दी थी। लता गानों पर रॉयल्टी की पक्षधर थीं, जबकि मोहम्मद रफी ने कभी भी रॉयल्टी की मांग नहीं की। दोनों का विवाद इतना बढ़ा कि मोहम्मद रफी और लता के बीच बातचीत भी बंद हो गई और दोनों ने एक साथ गीत गाने से इंकार कर दिया था। हालांकि चार वर्ष के बाद अभिनेत्री नरगिस के प्रयास से दोनों ने एक साथ एक कार्यक्रम में ‘दिल पुकारे’ गीत गाया।
– लता जी को संगीत के अलावा खाना पकाने और फोटो खींचने का बहुत शौक़ है।
– 1962 में लता 32 साल की थी, तब उन्हें स्लो प्वॉइजन दिया गया था। लता की बेहद करीबी पदमा सचदेव ने इसका जिक्र अपनी किताब ‘ऐसा कहाँ से लेउँ’ में किया है। हालांकि उन्हें मारने की कोशिश किसने की, इस बात का खुलासा आज तक नहीं हुआ।
—————–पुरस्कार और सम्मान
– फिल्मफेयर पुरस्कार (1958, 1962, 1965, 1969, 1993 और 1994)
– राष्ट्रीय पुरस्कार (1972, 1975 और 1990)
– महाराष्ट्र सरकार पुरस्कार (1966 और 1967)
– सन 1969 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
– सन 1989 में उन्हें फ़िल्म जगत का सर्वोच्च सम्मान ‘दादा साहेब फाल्के पुरस्कार’ दिया गया।
– सन 1993 में फिल्मफेयर के ‘लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।
– सन 1996 में स्क्रीन के ‘लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।
– सन 1997 में ‘राजीव गांधी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।
– सन 1999 में पद्म विभूषण, एनटीआर और ज़ी सिने के ‘लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।
– सन 2000 मेंआईफा के ‘लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।
– सन 2001 में स्टारडस्ट के ‘लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार’, नूरजहाँ पुरस्कार, महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
– सन 2001 में भारत सरकार ने आपकी उपलब्धियों को सम्मान देते हुए देश के सर्वोच्च पुरस्कार ‘भारत रत्न’ से आपको विभूषित किया।
Author profile
Hemant pal
हेमंत पाल

चार दशक से हिंदी पत्रकारिता से जुड़े हेमंत पाल ने देश के सभी प्रतिष्ठित अख़बारों और पत्रिकाओं में कई विषयों पर अपनी लेखनी चलाई। लेकिन, राजनीति और फिल्म पर लेखन उनके प्रिय विषय हैं। दो दशक से ज्यादा समय तक 'नईदुनिया' में पत्रकारिता की, लम्बे समय तक 'चुनाव डेस्क' के प्रभारी रहे। वे 'जनसत्ता' (मुंबई) में भी रहे और सभी संस्करणों के लिए फिल्म/टीवी पेज के प्रभारी के रूप में काम किया। फ़िलहाल 'सुबह सवेरे' इंदौर संस्करण के स्थानीय संपादक हैं।

संपर्क : 9755499919
hemantpal60@gmail.com