Lawyer Reprimanded for Speaking Loudly : हाई कोर्ट में जोर से बोलने पर वकील को फटकार, पेश माफीनामा खारिज! 

वरिष्ठ अधिवक्ता की उपाधि पर विचार करने के लिए मामले को फुल कोर्ट में पेश करने के आदेश!

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Lawyer Reprimanded for Speaking Loudly : हाई कोर्ट में जोर से बोलने पर वकील को फटकार, पेश माफीनामा खारिज! 

 

Jabalpur : एक याचिका की सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता द्वारा हंगामा तथा तेज आवाज में बोलने को हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया। आचरण को देखते हुए उनको दी गई वरिष्ठ अधिवक्ता की उपाधि पर विचार करने के लिए मामले को फुल कोर्ट में पेश करने के आदेश जारी किये थे।6 सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता की उपाधि पर विचार करने के लिए मामले को फुल कोर्ट में पेश करने के आदेश जारी दिए।

युगलपीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता द्वारा कोर्ट रूम में हंगामा तथा ऊंची आवाज में बोलने को गंभीरता से लिया। युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा था कि वरिष्ठ अधिवक्ता से ऐसे आचरण की उम्मीद नहीं कर सकते हैं। हाईकोर्ट की फुल बेंच द्वारा उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता की उपाधि दी गई है। फुल कोर्ट उनकी वरिष्ठ अधिवक्ता की उपाधि वापस लेने के संबंध में विचार करे। युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि आचरण को देखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता की उपाधि पर फुल कोर्ट पुनर्विचार करे। युगलपीठ ने सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग को फुल कोर्ट के समक्ष पेश करने के निर्देश जारी किये थे।

 

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युगलपीठ ने अपने आदेश में वरिष्ठ अधिवक्ता पर उनके समक्ष पैरवी करने पर रोक लगा दी है। युगलपीठ ने अनावेदक शराब ठेकेदार सहित पंचनामा पर हस्ताक्षर करने वाले लोगों को 25 हजार रुपये के जमानती वारंट जारी किये थे।

शराब ठेकेदार कंपनी मां नर्मदा एसोसिएट की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि 31 मार्च 2024 को उन्होंने अनावेदक ठेकेदार आकाश जायसवाल को दुकान सुपुर्द करते हुए शराब का स्टॉक भी दिया था। आबकारी विभाग द्वारा जिसका पंचनामा भी बनाया6 गया था। अनावेदक ठेकेदार का कहना था कि उसे दुकान खाली मिली थी।

याचिका पर गत सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता एसएस रूपराह अनावेदक की तरफ से उपस्थित हुए। इस दौरान उन्होंने युगलपीठ पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें बोलने नहीं दिया जाता है। पिछली सुनवाई के दौरान वह यह नहीं सुन पाए थे कि युगलपीठ ने अनावेदक को व्यक्तिगत से रूप उपस्थित रहने के आदेश जारी किये थे।

 

खेद जताते हुए बिना शर्त माफीनामा 

याचिका की सुनवाई के दौरान अनावेदक शराब ठेकेदार न्यायालय में उपस्थित हुए। वरिष्ठ अधिवक्ता एनएस रूपराह ने घटना पर खेद जताते हुए बिना शर्त माफीनामा प्रस्तुत किया, जिसे युगलपीठ ने अस्वीकार कर दिया। पंचनामा पर हस्ताक्षर करने वाले तीनों व्यक्ति उपस्थित नहीं हुए। युगलपीठ ने तीनों के खिलाफ जमानती वारंट जारी किए। याचिका पर अगली सुनवाई 17 अप्रैल को निर्धारित की गई है।