आओ एक दीप जलाएं और संविधान दिवस मनाएं…

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आओ एक दीप जलाएं और संविधान दिवस मनाएं…

आज भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का महापर्व है। आज यानि 26 नवंबर का दिन भारतीय लोकतंत्र में वर्ष 2015 से “संविधान दिवस” के रूप में मनाया जाता है। 2015 के पहले यह ” राष्ट्रीय कानून दिवस” ​​​​के रूप में मनाया जाता था।भारत के संविधान को अपनाने के उपलक्ष्य में हर साल 26 नवंबर को हम संविधान दिवस मनाते हैं । 26 नवंबर 1949 को, भारत की संविधान सभा ने भारत के संविधान को अपनाया और यह 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। भारत सरकार ने 19 नवंबर 2015 को एक गजट अधिसूचना द्वारा 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में घोषित किया। भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 अक्टूबर 2015 को मुंबई में बीआर अंबेडकर की स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी स्मारक की आधारशिला रखते हुए यह घोषणा की । 2023 का वर्ष अंबेडकर की 133 वीं जयंती वर्ष है, जिन्होंने संविधान सभा की मसौदा समिति की अध्यक्षता की थी और संविधान के प्रारूपण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

इसीलिए 26 नवंबर का दिन संविधान के महत्व को फैलाने और अंबेडकर के विचारों को फैलाने के लिए चुना गया था। चूंकि 2015 बीआर अंबेडकर (14 अप्रैल 1891 – 6 दिसंबर 1956) की 125वीं जयंती वर्ष था, जिन्हें भारतीय संविधान के निर्माता के रूप में जाना जाता है। सरकार ने मई 2015 में इस वर्ष को “बड़े पैमाने पर” मनाने का फैसला किया था । साल भर चलने वाले समारोहों के लिए भारत के प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक विशेष समिति की घोषणा हुई थी। अम्बेडकर के विचारों और विचारों को फैलाने के लिए पूरे वर्ष विभिन्न मंत्रालयों और विभागों द्वारा विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए। अक्टूबर 2015 में मुंबई के इंदु मिल्स परिसर में अंबेडकर स्मारक की आधारशिला रखते समय समारोह के हिस्से के रूप में, भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले घोषणा की थी कि 26 नवंबर को “संविधान दिवस” के रूप में मनाया जाएगा। नवंबर 2015 में, सरकार ने आधिकारिक तौर पर इस दिन को मनाने की घोषणा की। संविधान दिवस पर कोई सार्वजनिक अवकाश नहीं है।

संविधान दिवस पर हम न तो संविधान संशोधनों की बात करते हैं और न ही संविधान में मतदाताओं की दृष्टि से किए गए संविधान संशोधनों पर बहस की जरूरत का जिक्र करते हैं। आज हम सब मिलकर एक ही प्रयास करते हैं कि संविधान की प्रस्तावना हम कंठस्थ याद करें और उसका मतलब भी समझें। तो संविधान की प्रस्तावना है कि
हम, भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न, समाजवादी , पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए, तथा उसके समस्त नागरिकों को:
सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय,
विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता,
प्रतिष्ठा और अवसर की समता, प्राप्त कराने के लिए,
तथा उन सब में,
व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित कराने वाली, बन्धुता बढ़ाने के लिए,
दृढ़ संकल्पित होकर अपनी संविधानसभा में आज तारीख 26 नवम्बर 1949 ई॰ (मिति मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी, संवत दो हजार छह विक्रमी) को एतद्द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।
तो संविधान दिवस के रूप में मनाया जाने वाला यह महापर्व हमसे यही कहता है कि हर भारतवासी संविधान में निहित अपने मूलभूत अधिकार और कर्तव्य के साथ नीति निर्देशक तत्वों के बारे में जागरूक रहें। तो दीप महापर्व के बाद हम सब मिलकर अब संविधान दिवस महापर्व मनाएं और अपने-अपने घर में एक-एक दीप जलाएं। कोशिश करें कि अपने संविधान का ज्ञान हमें भी हो, ताकि हम सब नागरिक राष्ट्रहित में अपनी हर बात दृढ़ता से रख सकें…।