Loksabha Elections in MP: पिछले 3 चुनावों से भाजपा में बढ़ा मतदाताओं को भरोसा, कांग्रेस के वोटर हो गए कम
भोपाल:मध्यप्रदेश में पिछले तीन लोकसभा चुनावों से भारतीय जनता पार्टी पर मतदाताओं का भरोसा बढ़ा है। वहीं तीन चुनावों के परिणामों पर नजर डाले तो प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के मतदाताओं का प्रतिशत लगातार कम हो गया है। तीसरे मोर्चे में शामिल बसपा, सपा और जदयू के वोटिंग शेयर भी लगातार कम हो रहे है।
मध्यप्रदेश में वर्ष 2009 में हुए लोकसभा चुनावों में जहां प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से 16 भारतीय जनता पार्टी की झोली में गई थी तो कांग्रेस ने बारह सीटों पर बहुमत हासिल कर अपना कब्जा जमाया था। उस समय तीसरे मोर्च का भी लोकसभा सीटों पर दखल था। बीएसपी ने सभी 29 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे लेकिन उसे जीत एकमात्र सीट पर हासिल हुई थी। इसके बाद 2014 में हुए लोकसभा चुनावों में भाजपा ने कांग्रेस से चौदह सीटें छीनते हुए कुल 27 सीटों पर कब्जा जमाया था। कांग्रेस इस लोकसभा चुनाव में दो सीटों पर सिमट गई थी। तीसरे मोर्चे का कोई उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत पाया था। इसके बाद 2019 में हुए लोकसभा चुनावों मेें कांग्रेस की हालत और पतली हो गई। इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों ने बढ़त बनाते हुए 29 लोकसभा सीटों में से 28 पर पार्टी को विजय दिलाई थी। केवल छिंदवाड़ा की एकमात्र सीट पर कांग्रेस को विजय हासिल हुई थी। तीसरे मोर्चे का इस चुनाव में कहीं नामो निशान बाकी नहीं बचा था।
अब पिछले तीन चुनावों की तस्वीर पर नजर डाले तो इन चुनावों में प्रदेश के मतदाताओं का भरोसा भी भारतीय जनता पार्टी पर बढ़ा है। वर्ष 2009 के चुनावों में भाजपा को कुल मतदाताओं में से 43.45 प्रतिशत याने 84 लाख 65 हजार 532 मतदाताओं ने वोट दिए थे। इसके अगले साल 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़कर 54.02 प्रतिशत हो गया और एक करोड़ 60 लाख मतदाताओं ने भाजपा उम्मीदवारों को जिताकर संसद में भेजा। इसके बाद अगले पांच वाल में भाजपा की रीति नीति ने मतदाताओं को फिर प्रभावित किया और 2019 में भाजपा का वोटिंग शेयर बढ़कर 58 प्रतिशत हो गया। कुल 2 करोड़ 14 लाख 6 हजार 887 मतदाताओं ने भाजपा उम्मीदवारों को चुनाव जीतने में सार्थक भूमिका का निर्वहन किया।
यदि इन तीन चुनावों के दौरान कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवारों को मिले मतों की बात करें तो तीन साल में कांग्र्रेस उम्मीदवारों पर मतदाताओं का भरोसा लगातार कम हुआ है। वर्ष 2009 में कांग्रेस उम्मीदवारों को कुल मतों का 40.14 प्रतिशत वोट मिले थे। याने 78 लाख 20 हजार 31 वोट कांग्रेस की झोली में आए थे। अगले चुनावों में प्रदेश में मतदाताओं की संख्या बढ़ी लेकिन कुल डाले गए विधिमान्य मतों में सें कांग्रेस के खाते में आए मतदाताओं की संख्या घट गई। कांग्रेस का वोट शेयर घटकर 34.89 प्रतिशत हो गया। वहीं 2019 के चुनावों में तो कांग्रेस का वोट शेयर और कम हो गया। कुल मतों में से कांग्रेस उम्मीदवारों के हिस्से में केवल 34.50 फीसदी मत ही आ पाए। इस साल 2024 में होंने जा रहे चुनाव में मतदाताओं की संख्या फिर बढ़ गई है। इस बार प्रदेश के 29 लोकसभा क्षेत्रों में कुल 5 करोड़ 64 लाख 15 हजार 310 मतदाताओं को मतदान करना है। अब देखना यह है कि भारतीय जनता पार्टी के खाते में लगातार बढ़ रहे मतदाताओं का प्रतिशत बढ़ता है या कम होता है।