

प्रेम कहानी-5 :लाल गुलाब
सुधा ,ये लो लाल गुलाब ,ये कैडबरी और ये ….बस आहा !
पलकों के कोरो पर ढलकते बिंदुओं को पोंछ कर अमृत पास स्टूल पर बैठे दवाइयों को डिब्बे में रखने लगे।
क्या अमृत जी ,इतने वर्षों से आप आज फिर वही सुर्खियां बटोर लाए?
क्यों वक्त जाया करते हो जनाब ?
जानते हैं न आप उम्र के किस मकाम पर हैं ,ये अस्पतालों के चक्कर लगाना छोड़ दीजिए। ये मोहतरमा कोमा में हैं आपको तो पहचान भी नहीं पाती ।शून्य है ये शून्य
कंपाउंडर ने चुटिले अंदाज़ में कहा।
भले ये मुझे ना पहचाने ,पर में तो जानता हूं कि ये मेरी अमृत सुधा है।
हर गुलाब इसी दिन मुझे वर्ष भर महकाता है, जीने की उम्मीद देता है कि हम साथ साथ मरेंगे।
माधुरी सोनी मधुकुंज