मध्यप्रदेश के क्रिकेट खिलाड़ियों ने रणजी जीत कर इतिहास रच दिया। 88 साल के सूखे के बाद जो बारिश हुई, उसने तर कर दिया। पूत के पांव पालने में ही दिखाई दे जाते हैं। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की नजर भी पालने पर पड़ी, तो समझ गए कि प्रदेश के सपूत मैदान मार के ही लौटेंगे। और उन्होंने अग्रिम शुभकामनाएं ही दे दी बाजी जीतने की। यह बाजी हारी हुई नहीं जीता मध्यप्रदेश, चुनौती देकर जीता कि छीन सको तो छीनकर देख लो जीत हमसे। बैंगलुरू के चिन्नास्वामी मैदान में मध्यप्रदेश से चारों खाने चित हो गई मुंबई।
पर गुवाहाटी के रेडिसन में राजनीति में भी महाराष्ट्र का हाल अधर में है। आग लगी है। फडणवीस मुख्यमंत्री बनने को तैयार हैं और उद्धव मुख्यमंत्री पद पर बने हुए हैं। सेना बागियों से निपटने की तैयारी कर चुकी है। बात यहां तक पहुंच चुकी है कि पार्टी छीनने का सपना मत देखो। पार्टी बनानी है तो अपने बाप के नाम पर बना लो। खैर आज तो मध्यप्रदेश के लिए खुशी का दिन है, कल उद्धव के लिए रहेगा या फडणवीस के लिए…यह मुंबई और महाराष्ट्र जाने। इधर सोलह विधायकों की सदस्यता खत्म करने की तैयारी है, तो उधर विधायकों को वाई प्लस सुरक्षा से सुसज्जित कर सेना से न डरने का बंदोबस्त किया जा रहा है। घरों को भी सीआरपीएफ सुरक्षा के कवच से ढक दिया गया है। पर महाराष्ट्र की माटी की तासीर मध्यप्रदेश से अलग है।
शिवाजी की दहाड़ मुगलों पर भारी पड़ी थी, तो शिवसेना की दहाड़ बागी विधायकों को चैन नहीं लेने दे रही होगी। शिंदे के पोस्टर को अभी जूतों से पीटा जा रहा है तो बाद में क्या होगा जब शिंदे और उनकी टीम गुवाहाटी से उड़कर मुंबई की धरती पर कदम रखेगी, यह सिद्धि विनायक ही जानें। मुंबई की रक्षा करने वाली मुंबा देवी ही जानें। मुंबई टीम का हारना फडणवीस के लिए अपशकुन है या उद्धव के लिए ? शायद हार यह अहसास दिला रही हो कि अति सर्वत्र वर्जयेत। आग न लग जाए मुंबई की हवा में, बाकी कुछ भी हो।
सपना मध्यप्रदेश का सच हुआ है, तो कोच चंद्रकांत पंडित का भी हुआ है। वही पंडित जिनकी कप्तानी में 21 साल पहले मध्यप्रदेश टीम फाइनल में पहुंची थी, पर कर्नाटक ने मजा किरकिरा कर दिया था। तब से अब तक पंडित खुली आंखों से सपना देखते रहे और आदित्य श्रीवास्तव की कप्तानी में मध्यप्रदेश की रणजी टीम ने रवि के दिन चंद्र की उम्मीदों में रंग भर दिया। और इसमें सहभागी बने मुख्यमंत्री शिवराज, जिन्होंने सेमीफाइनल जीतने पर ही टीम को न केवल सराहा बल्कि सहज रहकर सफल होने का जज्बा भी खिलाड़ियों में भरने का काम किया। 20 जून को शिवराज ने टीम के खिलाड़ियों से बात कर स्वामी विवेकानंद के संस्मरण बताते हुए प्रोत्साहित किया था।
कोशिश करने वालो की हार नहीं होती पंक्तियों से उनका हौसला बढ़ाया था। खेल भावना के साथ खिलाड़ियों को मुख्यमंत्री आवास आमंत्रित भी किया था। रविवार को भी टीवी के सामने बैठकर मैच पर नजर रखे रहे। और जब टीम जीत गई तो गदगद, प्रसन्न और भावविभोर हो गए। कहा कि मध्यप्रदेश की क्रिकेट टीम ने कमाल कर दिया, इतिहास रच दिया। पहली बार कई बार की विजेता मुंबई को हराकर, मध्य प्रदेश की टीम ने रणजी ट्रॉफी जीत ली है। मैं टीम के कोच श्री चंद्रकांत पंडित जी को, टीम के कैप्टन आदित्य श्रीवास्तव जी को और उनके साथ पूरी टीम को हृदय से बधाई देता हूं, उनका अभिनंदन और स्वागत करता हूँ। बात बधाई तक सीमित नहीं रहेगी।
पूरी क्रिकेट टीम का मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में भव्य स्वागत, नागरिक अभिनंदन किया जाएगा।क्रिकेट का एक नया इतिहास रचने वाले हमारे क्रिकेट वीर रणबांकुरों का भव्य स्वागत होगा। और जो नहीं कहा वह यह कि प्रदेश को गर्व से भरने वाले इन खिलाड़ियों पर तन,मन और धन सब कुछ न्यौछावर है।एमपीसीए की ओर से दो करोड़ रुपये की इनामी राशि पूरी टीम को दी जाएगी।
वैसे रणजी ट्रॉफी भारत की एक घरेलू क्रिकेट प्रतियोगिता है। रणजी ट्रॉफी में एक घरेलू प्रथम श्रेणी क्रिकेट चैम्पियनशिप क्षेत्रीय क्रिकेट संघों का प्रतिनिधित्व करने वाली टीमों के बीच खेला जाता है। रणजी ट्रॉफी पहले भारतीय क्रिकेटर रणजीत सिंह जी के नाम पर है। पहली बार 1934-35 में भारत की क्रिकेट चैम्पियनशिप शुरू की गई थी। ट्रॉफी पटियाला के महाराजा भूपिंदर सिंह द्वारा दान दी गई थी। प्रतियोगिता का पहला मैच 4 नवंबर 1934 को चेपक पर मद्रास और मैसूर के बीच आयोजित किया गया था।
मध्यप्रदेश ने रविवार को फाइनल में मुंबई को 6 विकेट से हराकर रणजी ट्रॉफी का खिताब जीता है। 41 बार की चैंपियन मुंबई की ओर से रखे गए 108 रन के लक्ष्य का पीछा करने उतरी मध्यप्रदेश की टीम ने 6 विकेट पर लक्ष्य हासिल कर पहली बार इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट पर कब्जा जमाया। इधर 41 बार की चैंपियन मुंबई रण हार गई, उधर 41 से ज्यादा विधायकों संग गुवाहाटी में डेरा डाले एकनाथ शिंदे रण जीतकर इतिहास बना पाते हैं या रण हारकर चैंपियनशिप से बाहर होंगे…इस पर देश-दुनिया की निगाहें हैं।
वैसे शिवराज तो फडणवीस और शिंदे का हौसला भी बढ़ा रहे होंगे। महाराष्ट्र का फैसला होना बाकी है, लेकिन मध्यप्रदेश को जीत दिलाने वाले कोच चंद्रकांत पंडित, कप्तान आदित्य श्रीवास्तव और टीम के सभी सदस्यों ने शानदार काम किया है। यश दुबे, शुभम शर्मा और रजत पाटीदार ने मध्यप्रदेश के लिए शतकीय पारियां खेलीं। गेंदबाजी में मध्यप्रदेश के गौरव कुमार ने छह और कुमार कार्तिकेय ने पांच विकेट लिए। हिमांशु मंत्री, पार्थ साहनी, अनुभव अग्रवाल, पुनीत दाते, अंकित शर्मा, विक्रांत भदौरिया, सारांश जैन,अक्षत रघुवंशी सहित टीम के सभी सदस्यों का योगदान सराहनीय रहा। बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम में यह इतिहास मध्यप्रदेश की टीम ने रच दिया है, असम की राजधानी गुवाहाटी के गोटानगर इलाके में राष्ट्रीय राजमार्ग 37 पर रैडिसन ब्लू होटल से बागी शिवसेना विधायकों की सफलता पर सबकी निगाहें हैं। जल्दी ही पता चलेगा कि मुंबई तो हार गया, लेकिन महाराष्ट्र का रण किस करवट बैठता है।