मकर संक्रांति पर पतंगों से सजेगा महाकाल मंदिर, बाबा महाकाल को लगेगा तिल्ली के पकवानों का भोग
उज्जैन। विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में प्रत्येक त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। 14 जनवरी को मकर संक्रांति का त्योहार भी इसी उल्लास के साथ मनाया जाएगा। इस दिन बाबा को तिल्ली के उबटन से स्नान कराने के बाद तिल्ली के पकवानों का भोग लगाकर विशेष आरती की जाएगी। मकर संक्रांति के मौके पर इस बार भी मंदिर में खास सजावट की जाएगी। साथ ही हर वर्ष की तरह रंग बिरंगी पतंगों से मंदिर परिसर को सजाया जाएगा। गर्भगृह और नंदी हॉल में भी सजावट होगी।
पंडित महेश पुजारी ने बताया कि मान्यता है कि भगवान महाकाल के दरबार मे हर पर्व बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। मकर संक्रांति पर भस्म आरती मे महाकाल को तिल्ली के लड्डू तथा तिल से बने छप्पन पकवानों का भोग लगाकर आरती की जाएगी। ज्योतिर्लिंग की पूजन में मकर संक्रांति पर भगवान महाकाल को तिल से स्नान कराने तथा तिल्ली के पकवानों का भोग लगाया जाता है। इस दिन भगवान को गुड़ व शकर से बने तिल्ली के लड्डुओं का भोग लगाकर जलाधारी में भी तिल्ली अर्पित की जाती है। इस दिन मंदिर में फूल व पतंग से मनोहारी सजावट की जाएगी।
दान का भी है विशेष महत्व
हर साल मकर संक्रांति पर देशभर से भक्त शिप्रा स्नान के लिए उज्जैन पहुंचते हैं। श्रद्धालु शिप्रा स्नान के बाद तीर्थ पर वैदिक ब्राह्मणों को तिल गुड़, खिचड़ी, वस्त्र, पात्र, दक्षिणा आदि भेंट करते हैं। इस दिन गायों को हरा चारा तथा भिक्षुकों को भोजन कराने का भी विशेष महत्व है।
विशेष साज-सजा से जगमग होगा दरबार
बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में हर पर्व बड़ी ही धूमधाम के साथ में बनाने की परंपरा सदियों से चली आई है। समय समय पर्व व त्योहारों पर महाकालेश्वर मंदिर की साज-सज्जा की जाती है। मकर संक्रांति के पावन पर्व पर भी महाकाल मंदिर मे विशेष साज-सजा देखी जाएगी। जिसमे महाकाल मंदिर में रंग-बिरंगी पतंगों से सज्जा की जाएगी।
सूर्यदेव की सवारी निकलेगी
त्रिवेणी संगम स्थित प्राचीन श्री नवग्रह शनि मंदिर से भगवान सूर्य देव की सवारी निकलेगी। सुबह 11 बजे आध्यात्मिक संत कृष्णा गुरु मिश्रा के सानिध्य में निकलने वाली पालकी यात्रा में सूर्यदेव पंचवाद्य नाद के साथ मंदिर परिक्षेत्र का भ्रमण करेंगे। यात्रा शिप्रा के त्रिवेणी संगम पहुंचेगी। यहां पंडित सूर्य देवता की पूजा अर्चना करेंगे। पूजन पश्चात सवारी पुन: मंदिर पहुंचेगी। वेदपाठी बटुक आदित्यहृदय स्तोत्र का पाठ करेंगे।