Mamta Kulkarni Became a Monk : ममता कुलकर्णी ने महाकुंभ में संन्यास लिया, किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर होंगी!

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Mamta Kulkarni Became a Monk : ममता कुलकर्णी ने महाकुंभ में संन्यास लिया, किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर होंगी!

ममता कुलकर्णी का नया नाम ‘श्री यामाई ममता नंद गिरि’ रखा गया!

Prayagraj : 90 के दशक में फिल्म दर्शकों का दिल जीतने वाली अभिनेत्री ममता कुलकर्णी जीवन से विरक्त होकर सन्यासी बन गई। प्रयागराज महाकुंभ के अवसर पर उन्होंने यह बड़ा फैसला लिया और संन्यास की दीक्षा लेकर किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर पदवी प्राप्त की।

महाकुंभ में ममता ने अपनी वैराग्य यात्रा की शुरुआत की। इस मौके पर उन्होंने भगवा ड्रेस पहनी और रुद्राक्ष की माला धारण की, जो उनके नए आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत को दर्शा रहे थे। ममता कुलकर्णी ने संगम के पवित्र तट पर अपने हाथों से पिंडदान किया और इसके बाद उन्हें महामंडलेश्वर की पदवी देने के लिए चादरपोशी की रस्म अदा की गई।

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संन्यास के बाद महामंडलेश्वर

महाकुंभ के इस पवित्र अवसर पर ममता का पट्टाभिषेक समारोह भी आयोजित किया गया, जिसमें उनके नए नाम की घोषणा की गई। अब ममता कुलकर्णी का नया नाम श्री यामाई ममता नंद गिरि रखा गया है। इस समारोह में ममता ने अपनी पुरानी पहचान से आगे बढ़ते हुए आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत की और एक नया अध्याय लिखा।

12 साल तक इंडस्ट्री से गायब रहने के बाद कुछ समय पहले बॉलीवुड की सबसे हॉट और कंट्रोवर्शियल एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी वापस लौटी हैं। उनकी एंट्री से लोग जितना चौंके थे, उससे ज्यादा हैरान तो ये देखकर हैं कि अब वो साध्वी बन जीवन बिताएंगी। एक्ट्रेस का ये बदला हुआ अंदाज देखकर उस समय के दर्शक भी हैरान हैं। ममता कुलकर्णी पिछले करीब डेढ़ साल से किन्नर अखाड़े के संंपर्क में थीं।

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महाकुंभ में ममता कुलकर्णी का आध्यात्मिक परिवर्तन

ममता कुलकर्णी का यह परिवर्तन उनकी जिंदगी का एक महत्वपूर्ण मोड़ है। जहां पहले वह बॉलीवुड की चमक-धमक का हिस्सा थीं, अब वह किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर के रूप में आध्यात्मिक जीवन की ओर बढ़ रही हैं। उनके संन्यास लेने के बाद उन्हें एक नई पहचान और सम्मान मिल रहा है।

महाकुंभ के इस धार्मिक और आध्यात्मिक पर्व पर ममता का यह कदम उनके नए जीवन की ओर एक बड़ा कदम है। किन्नर अखाड़े में महामंडलेश्वर बनने के बाद अब वह धार्मिक और सामाजिक दायित्वों को निभाने में सक्रिय रहेंगी। उनके संन्यास का यह निर्णय उनके जीवन के इस नए अध्याय की शुरुआत को दिखाता है, जो उन्हें सच्चे आध्यात्मिक मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।