Mandsaur News -भक्ति रस की बही धारा, मंदसौर की धरती पर बरसा बृज का प्रेम
मंदसौर से डॉ घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट
मंदसौर ! श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पवित्र अवसर पर मंदसौर , उज्जैन ,भोपाल सहित मध्यप्रदेश के 16 स्थानों पर “श्रीकृष्ण पर्व ” का आयोजन किया गया। मध्यप्रदेश संस्कृति विभाग एवं जिला प्रशासन के संयुक्त आयोजन के अंतर्गत श्रीकृष्ण आख्यान की कला अभिव्यक्ति प्रस्तुत की गई ।
मंदसौर के कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में सोमवार शाम आयोजित एक दिवसीय समारोह में बैतूल के अर्जुन बाघमारे एवं साथी कलाकारों ने गोंड जनजाति ठाठ्या नृत्य की प्रस्तुति दी, तो जबलपुर की संजो बघेल एवं साथी कलाकारों ने भक्ति संगीत की प्रस्तुति दी।
श्रीकृष्ण भक्ति पर्व के दौरान लोक सभा सांसद श्री सुधीर गुप्ता, राज्य सभा सांसद श्री बंशीलाल गुर्जर, विधायक श्री विपिन जैन, नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती रमादेवी बंशीलाल गुर्जर, पूर्व विधायक श्री यशपाल सिंह सिसौदिया , धीरज पाटीदार , रवींद्र पांडेय , बंशीलाल टांक ,लालबहादुर श्रीवास्तव , राजेश मंडवारिया ,दिलीप सिंह डाबी ,निशान्त शर्मा , नरेंद्र त्रिवेदी , प्रदीप भाटी ध्रुव तारा जैन बंशीलाल राठौर सहित अन्य सभी जनप्रतिनिधि, प्रशासनिक अधिकारी में कलेक्टर श्रीमती अदिती गर्ग, सीईओ जिला पंचायत श्री कुमार सत्यम, सयुक्त कलेक्टर श्री राहुल चौहान, मंदसौर एसडीएम श्री शिवलाल शाक्य श्री जय कुमार जैन ,सीएमओ श्री सुधीर कुमार सिंह तहसीलदार रमेश मझारे जिला जनसंपर्क अधिकारी डॉ ईश्वर लाल चौहान अन्य सभी अधिकारी, बड़ी संख्या में दर्शक मौजूद थे।
श्री अर्जुन बाघमारे ने अपने साथी कलाकारों के साथ गोंड जनजाति का ‘ठाठ्या नृत्य’ प्रस्तुत किया। इस नृत्य को दीपावली के समय गोवर्धन पूजा के दिन से लगभग एक माह तक किया जाता है। इस नृत्य में मवेशियों का सम्मान और उनकी पूजा ही लक्ष्य होता है। गोवर्धन पूजा की रात्रि में गाय-बैलों को उड़द, चावल को मिलाकर बनाई गई खिचड़ी खिलाई जाती है। इसी समय गीत-नृत्य किया जाता है। ग्रामीण दीवारों पर गेरू के रंग से रोंगन करते हैं। अगले दिन सुबह बैलों का शृंगार कर गांव के मुठुआ बाबा और बजरंग बली मंदिर में पूजा कर परिक्रमा की जाती है। इसके बाद दो बार गांव में बैलों को दौड़ाया जाता है।
इस प्रस्तुति में अर्जुन बागमारे का साथ लगभग 14 कलाकारों ने दिया। नृत्य में पारंपरिक संगीत के साथ पिरामिड बनाया और श्रीकृष्ण स्वरूप में ऊपर चढ़कर बांसुरी वादन किया ।
इसके बाद नर्मदा किनारे संस्कार धानी जबलपुर से आई संजो बघेल ने पारंपरिक स्वर लहरी में जनजातीय गीतों की प्रस्तुति देकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने गणेश वंदना से प्रस्तुति का आगाज किया। इसके बाद बंसी वाले तेरी हो रही जैजैकार…, रात श्याम सपने में आए…, पशुपतिनाथ जी का आल्हा…, भोला नई माने रे… और कृष्ण जन्म आल्हा… जैसे भक्ति गीतों को अपनी मधुर आवाज में पिरोया। अगली कड़ी में श्री राम के दीवाने… और सखी मथुरा की में ग्वालनिया… गीतों की प्रस्तुति दी।
आरंभ में बेतुल और जबलपुर के कलाकार दलों का परिचय हुआ और अंत में ग्रुप लीडर का सम्मान किया गया ।