Mangoes Sent to America Were Rejected : भारत से अमेरिका भेजे गए ₹4 करोड़ के आम रिजेक्ट, वहीं नष्ट करना पड़े!

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Mangoes Sent to America Were Rejected : भारत से अमेरिका भेजे गए ₹4 करोड़ के आम रिजेक्ट, वहीं नष्ट करना पड़े!

‘मीडियावाला’ के स्टेटहेड विक्रम सेन की रिपोर्ट

 

Mumbai : अमेरिका ने भारत से भेजे गए आम के 25 शिपमेंट लौटा दिए। इसकी वजह रेडिएशन से संबंधित कागजों में गड़बड़ी होना पाया गया। इन आमों को भारत ले जाना ज्यादा महंगा सौदा था, ऐसी स्थिति में निर्यातकों ने इन आमों को अमेरिका में ही नष्ट कर दिया। इन आमों की कीमत 4 करोड़ रुपए से ज्यादा बताई गई है। अमेरिका भारतीय आमों का सबसे बड़ा खरीदार है। हाल ही में अमेरिका ने भारत से हवाई जहाज से भेजे गए आमों की 15 खेप डॉक्यूमेंट्स में गड़बड़ी बताकर लौटा दी।

अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि या तो इन आमों को अमेरिका में ही नष्ट कर दिया जाए या वापस भारत भेज दिया जाए। आमों के जल्दी खराब होने और उन्हें वापस भारत भेजने के ऊंचे खर्च के कारण, सभी निर्यातकों ने उन्हें नष्ट करने का फैसला किया। ये आम 8 और 9 मई को मुंबई में विकिरणित (Irradiation) किए गए थे। विकिरणित एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें फलों को नियंत्रित मात्रा में रेडिएशन में रखा जाता है। इससे फल में मौजूद कीड़े मर जाते हैं और फल ज्यादा समय तक टिके रहते हैं।

आम की खेप इसलिए रोकी 

ये खेप लॉस एंजिल्स, सैन फ्रांसिस्को और अटलांटा जैसे एयरपोर्ट पर रोकी गईं। अमेरिकी अधिकारियों ने विकिरण प्रक्रिया से जुड़े कागजात में गलतियां बताईं। निर्यातकों के अनुसार, समस्या कीड़ों की वजह से नहीं थी, बल्कि कीड़ों को मारने की प्रक्रिया के कागजात में गड़बड़ी के कारण हुई। अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार इस आमों के कीड़े मारने की प्रक्रिया का सही तरीके से पालन नहीं हुआ था। अधिकारियों के मुताबिक रेडिएशन प्रक्रिया में गड़बड़ी की बात सामने आई है।

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अधिकारी की मौजूदगी में रेडिएशन

निर्यातकों ने कहा कि रेडिएशन सुविधा में गलतियां हुई हैं। रेडिएशन की प्रक्रिया नवी मुंबई के एक सेंटर में होती है। वहां अमेरिका के कृषि विभाग (USDA) के एक अधिकारी भी मौजूद होते हैं। यह अधिकारी PPQ203 फॉर्म को प्रमाणित करने के लिए जिम्मेदार होता है। यह फॉर्म अमेरिका जाने वाले आमों के लिए जरूरी है। निर्यातकों ने कहा कि उन्हें विकिरण सुविधा में हुई गलतियों की सजा मिल रही है।

आम नष्ट करना ही विकल्प क्यों

आम जल्दी खराब हो जाते हैं। उन्हें नष्ट करने या वापस भेजने में भी काफी खर्च आता है। इसलिए निर्यातकों को करीब 5 लाख डॉलर (करीब 4.28 करोड़ रुपए) का नुकसान होने का अनुमान है। USDA ने एक प्रभावित निर्यातक को एक सूचना भेजी। इसमें लिखा था कि अमेरिकी सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा ने गलत तरीके से जारी PPQ203 के कारण खेप को मंजूरी नहीं दी। नोटिस में यह भी कहा गया कि खेप को फिर से निर्यात किया जाना चाहिए या नष्ट कर दिया जाए। अमेरिकी सरकार इस खेप के लिए कोई मुआवजा नहीं देगी।

निर्यातकों ने किया दावे का खंडन

निर्यातक ने अमेरिकी अधिकारियों के इस दावे का पुरजोर खंडन किया। उन्होंने कहा कि रेडिएशन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी। PPQ203 फॉर्म प्रक्रिया के बाद ही जारी किया गया था। उन्होंने सवाल किया कि अगर रेडिएशन प्रक्रिया का सही से पालन नहीं किया गया तो हमें फॉर्म कैसे मिल सकता है? उस फॉर्म के बिना, जिसे USDA अधिकारी ने जारी किया है, आमों को मुंबई हवाई अड्डे पर लोड करने की अनुमति भी नहीं मिल सकती थी।

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भविष्य के लिए सबक

अमेरिका भारत के आमों का सबसे बड़ा एक्सपोर्ट डेस्टिनेशन है। रेडिएशन प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी अगर दस्तावेज़ में गलती के कारण शिपमेंट खारिज होता है, तो यह सिर्फ व्यापारिक नुकसान नहीं बल्कि प्रक्रिया और प्रबंधन की बड़ी चूक को भी उजागर करता है। भारत सरकार और संबंधित एजेंसियां इस मामले की जांच कर जिम्मेदारी भी तय कर सकती है। भारत से आम या अन्य वस्तुओं का निर्यात करने के लिए, निर्यात करने वाले को सही कागजी कार्रवाई और कानूनी प्रक्रिया का पालन करना होगा। इसमें निर्यातक को टैरिफ, शिपिंग और बीमा की भी जानकारी होनी चाहिए। निर्यातकों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि उनके उत्पाद आयातित देश के नियमों और विनियमों का पालन करते हैं। ताकी अगली बार किसी निर्यातक को कोई नुकसान न पहुंचे।