मन की बात: शासनाध्यक्ष द्वारा जन से संवाद का उत्कृष्ट उदाहरण

मन की बात: शासनाध्यक्ष द्वारा जन से संवाद का उत्कृष्ट उदाहरण

प्रजातंत्र की मूल भावना यह होती है कि प्रत्येक नागरिक अपना स्वयं का अभिमत रख सकता है और इसे अभिव्यक्त करने की उसे पूर्ण स्वतंत्रता होती है। यही स्वतंत्रता राजनीतिक दलों के पास भी है। यह स्वतंत्रता और अधिकार भारत में निर्धनतम व्यक्ति से लेकर प्रधानमंत्री तक के पास एक समान है।

2014 में पूर्ण बहुमत की सरकार के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कार्यभार संभालने के कुछ ही महीनों के बाद जनता से सीधा संवाद करने के लिए मन की बात की श्रृंखला प्रारंभ की। इसके लिए उन्होंने शहरी नागरिकों के मस्तिष्क से ओझल हो चुके रेडियो का माध्यम चुना। बीच में कभी कभी मैंने भी कुछ बार मन की बात को सुना। प्रारंभ में यह मोदी का एक तरफ़ा भाषण हुआ करता था। धीरे धीरे इसमें जनता के लोगों को भी विशेष रूप से चयनित कर प्रस्तुत किया जाने लगा। दूरदराज़ के क्षेत्रों के चुने हुए लोगों के सकारात्मक कार्यों को राष्ट्रीय पटल पर मोदी ने प्रस्तुत किया। TV चैनलों पर भी मन की बात का सारांश अथवा पूरे का प्रसारण किया जाने लगा। आकाशवाणी से न केवल भारत की विभिन्न भाषाओं में बल्कि अनेकानेक बोलियों में भी इसका प्रसारण होने लगा।

मन की बात का 100वां एपिसोड मोदी और भाजपा ने अपने स्वभाव के अनुरूप एक विशाल प्रदर्शन के रूप में प्रस्तुत किया। इसमें आकाशवाणी के साथ सारे TV चैनल और अन्य प्रकार के मीडिया ने भी साथ दिया। राजभवन से लेकर अनेक स्थानों तक इसे सार्वजनिक रूप से सुना या देखा गया। यूनेस्को का ध्यान भी आकर्षित हुआ अथवा किया गया।

स्वयं मोदी का यह कहना है कि यह उनकी जनता से जुड़े रहने का गम्भीर प्रयास है क्योंकि वे जनता से हटकर नहीं रह सकते हैं। उन्होंने यहाँ तक दावा किया कि मन की बात की श्रृंखला उनके लिए आध्यात्मिक यात्रा के समान हैं। परन्तु मोदी के इस कार्यक्रम को कुछ लोग मोदी द्वारा अपनी व्यक्तिगत लोकप्रियता बढ़ाने और बनाए रखने का एक साधन मानते हैं। कुछ लोगों ने इसे BJP का शासन बनाए रखने और सरकार की विफलताओं को छिपाने का प्रयास भी बताया है। इन दोनों बातों की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है। कुछ लोगों की यह भी मान्यता है कि इस प्रकार के कार्यक्रम का जनता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

मन की बात में जिन कुछ लोगों के कौशल को बताया गया है उन लोगों ने इससे अपनी प्रसिद्धि और लाभ होने का दावा किया है। माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक बिल गेट्स ने मन की बात पर कहा है कि इसने स्वच्छता, स्वास्थ्य, महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण और सतत विकास के लक्ष्यों से जुड़े अन्य मुद्दों पर समाज को उत्प्रेरित किया है।

विश्व के किसी भी देश में वहाँ के शासनाध्यक्ष द्वारा इस प्रकार का संवाद किए जाने का कोई उदाहरण नहीं है। कुछ लोकतांत्रिक और अधिनायकवादी राष्ट्रों में शासनाध्यक्ष समय समय पर केवल अपने राजनीतिक कार्यकलापों को प्रस्तुत करते है। इस विषय पर सामाजिक शोध और आने वाला समय बताएगा कि मन की बात का शहरों से लेकर दूरस्थ क्षेत्रों तक इसका समाज पर कोई सकारात्मक प्रभाव पड़ा है अथवा नहीं।

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n k tripathi
एन. के. त्रिपाठी

एन के त्रिपाठी आई पी एस सेवा के मप्र काडर के सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। उन्होंने प्रदेश मे फ़ील्ड और मुख्यालय दोनों स्थानों मे महत्वपूर्ण पदों पर सफलतापूर्वक कार्य किया। प्रदेश मे उनकी अन्तिम पदस्थापना परिवहन आयुक्त के रूप मे थी और उसके पश्चात वे प्रतिनियुक्ति पर केंद्र मे गये। वहाँ पर वे स्पेशल डीजी, सी आर पी एफ और डीजीपी, एन सी आर बी के पद पर रहे।

वर्तमान मे वे मालवांचल विश्वविद्यालय, इंदौर के कुलपति हैं। वे अभी अनेक गतिविधियों से जुड़े हुए है जिनमें खेल, साहित्यएवं एन जी ओ आदि है। पठन पाठन और देशा टन में उनकी विशेष रुचि है।