Mediclaim : मरीज का 24 घंटे अस्पताल में भर्ती रहना जरूरी नहीं, बीमा कंपनी भुगतान करें!

कंज्यूमर कोर्ट का बड़ा फैसला, मरीज के बारे में बीमा कंपनी फैसला नहीं करेगी!

396

Mediclaim : मरीज का 24 घंटे अस्पताल में भर्ती रहना जरूरी नहीं, बीमा कंपनी भुगतान करें!

Badodara (Gujrat) : मेडिक्लेम को लेकर उपभोक्ता फोरम ने महत्वपूर्ण फैसला दिया। कंज्यूमर कोर्ट ने कहा कि मेडिक्लेम के लिए किसी भी व्यक्ति का 24 घंटे तक अस्पताल में भर्ती रहना जरूरी नहीं है। बड़ोदरा की कंज्यूमर कोर्ट ने एक मामले में बीमा कंपनी को मेडिक्लेम की राशि भुगतान करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि नई तकनीक आने की वजह से मरीज का इलाज बहुत कम समय में या फिर अस्पताल में भर्ती हुए बिना भी किया जा सकता है।

आधुनिक समय में डॉक्टर आधुनिक तकनीक के अनुसार इलाज करता है, जिससे मरीजों को लंबे समय तक में भर्ती किए ही इलाज कर दिया जाता है। इसलिए कंपनी बीमा का क्लेम देने से इनकार नहीं कर सकती कि मरीज को अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया। मरीज को अस्पताल में भर्ती करना जरूरी है या नहीं यह केवल डॉक्टर ही नई तकनीक और मरीज की स्थिति के आधार पर निर्णय ले सकते हैं।

बड़ोदरा में रहने वाले रमेश चंद्र जोशी ने 2017 में नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के खिलाफ उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाया था। जोशी ने फोरम में दायर अपनी याचिका में कहा था कि उनकी पत्नी 2016 में घर में तो डर्मेटोमायोसिटिस से पीड़ित थी। उन्हें अहमदाबाद के लाइफ केयर इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च सेंटर में भर्ती कराया गया था। इलाज के अगले दिन उन्हें छुट्टी दे दी गई। जोशी ने 44468 का मेडिक्लेम किया। लेकिन, उनके दावे को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि नियम के मुताबिक 24 घंटे तक अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया था।

जोशी ने दस्तावेज प्रस्तुत करते हुए कहा कि उनकी पत्नी 24 नवंबर 2016 की शाम को अस्पताल में भर्ती हुई थी और 25 नवंबर की शाम 6:30 बजे उन्हें डिस्चार्ज किया गया। वो 24 घंटे से ज्यादा समय तक अस्पताल में भर्ती थी। इस मामले की सुनवाई करते हुए फोरम ने कहा कि भले यह माना जाए कि मरीज अस्पताल में 24 घंटे से कम समय के लिए भर्ती किया गया था। लेकिन, उसे मेडिक्लेम का भुगतान किया जाना चाहिए।

फोरम ने बीमा कंपनी को आदेश दिया कि दावा खारिज होने की तारीख से 9% ब्याज के साथ जोशी को 44468 का भुगतान किया जाए। इसके साथ ही बीमाकर्ता को मानसिक उत्पीड़न के लिए और जोशी को मुकदमे के खर्च के लिए 2000 का भुगतान किया जाए।