MP Congress Politics : नूरी खान के कांग्रेस छोड़ने और लौटने की अंतर्कथा

आरोप लगाकर पार्टी छोड़ी 'अल्पसंख्यक होने की वजह से नहीं मिला बड़ा पद'

1225

हेमंत पाल की रिपोर्ट

Bhopal : मध्य प्रदेश में कांग्रेस की प्रवक्ता रही नूरी खान (Noori Khan) ने रविवार शाम कांग्रेस के सभी पदों से इस्तीफ़ा दिया। एक घंटे बाद इस्तीफा वापस लेने की घोषणा भी उन्हीं ने की। उन्होंने इस्तीफ़ा देने और वापस लेने की बात खुद ही ट्विटर (Twitter) पर दी। इस्तीफ़ा क्यों दिया और वापस क्यों लिया! इसे लेकर सबके अलग-अलग कयास हैं! लेकिन, उन्होंने अपने इस्तीफे के साथ जिस राजनीतिक सनसनी की उम्मीद की थी, ऐसा कुछ नहीं हुआ। उन्होंने ट्विटर पर अपने इस्तीफे की सूचना देते हुए लिखा था ‘कांग्रेस पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा। कांग्रेस पार्टी में रहकर अल्पसंख्यक कार्यकर्ताओं एवं अपने लोगों को राजनीतिक एवं सामाजिक न्याय दिलाने में असहज महसूस कर रही हूँ। भेदभाव की शिकार हो रही हूँ। अतः अपने सारे पदों से आज इस्तीफ़ा दे रही हूँ।’

एक घंटे बाद इस्तीफा वापस लेने की जानकारी देते हुए ट्विटर पर कहा ‘प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ जी से चर्चा कर मैंने अपनी सारी बात पार्टी के समक्ष रखी है। 22 साल में पहली बार मैंने इस्तीफे की पेशकश की। कहीं न कहीं मेरे अंदर एक पीड़ा थी। लेकिन, कमलनाथ जी के नेतृत्व में विश्वास रखकर अपना इस्तीफा वापस ले रही हूँ!

WhatsApp Image 2021 12 06 at 3.03.59 AM

WhatsApp Image 2021 12 06 at 3.03.18 AM

नूरी खान ने अपने इस्तीफे के साथ कांग्रेस पर आरोप भी लगाया कि अल्पसंख्यक होने की वजह से उन्हें पार्टी में महत्वपूर्ण पद नहीं मिल पाया! इस बात से खफा होकर वे कांग्रेस के सभी पदों को छोड़ रही है। दरअसल, उनकी नाराजी और आरोप उन्हें प्रदेश महिला कांग्रेस की अध्यक्ष न बनाए जाने को लेकर था। कुछ महीने पहले जब महिला कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर नियुक्ति की हलचल हुई थी, तब उन्हें उम्मीद थी कि ये पद उन्हें मिलेगा! लेकिन, ऐसा नहीं हुआ और इंदौर की अर्चना जायसवाल को अध्यक्ष बना दिया गया।

मसला यह कि चार महीने बाद अचानक उन्हें क्यों याद आया कि पार्टी ने अल्पसंख्यक होने की वजह से उन्हें महत्वपूर्ण पद नहीं दिया। यदि वास्तव में ये उनकी नाराजी वाली बात थी, तो उन्होंने चार महीने तक इंतजार क्यों किया। नूरी खान कई महीनों से प्रदेश कांग्रेस के अल्पसंख्यक वर्ग की अध्यक्ष बनने की कोशिशों में भी जुटी थी, लेकिन सफल नहीं हो सकी। ये भी एक कारण हो सकता है कि उन्होंने इस्तीफे की राजनीति की और फिर पलटकर वहीं आ गई!
इस्तीफे के बाद नूरी खान ने अपने फेसबुक पर बड़ी पोस्ट भी लिखी थी। इसमें उन्होंने पार्टी के ऊपर कई गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने कांग्रेस पर मुस्लिमों की उपेक्षा का आरोप लगाया। इन आरोपों से पार्टी में कोई हलचल होती, उससे पहले ही एक घंटे में नूरी खान पलटकर फिर कांग्रेस के पाले में आ गई।

नूरी खान ने फेसबुक पेज पर इस्तीफे वाले पोस्ट को डिलीट भी कर दिया। उन्होंने लिखा था कि वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में कांग्रेस पार्टी की विचारधारा अल्पसंख्यक समाज के प्रति भेदभाव पूर्ण रवैया की है। पार्टी में सिर्फ इस वजह से प्रतिभाओं को मौका नहीं दिया जाता, क्योंकि अल्पसंख्यक वर्ग से है। यह मेरा कोई राजनीतिक आरोप नहीं है, आप खुद तथ्यात्मक रूप से आकलन करें, प्रदेश के जिलों में जिला कांग्रेस कमेटियों में कितने अध्यक्ष अल्पसंख्यक वर्ग से हैं।
कांग्रेस नेत्री नूरी खान ने लिखा था कि अग्रिम संगठनों में कोई प्रदेश अध्यक्ष अल्पसंख्यक वर्ग से नहीं है। मैंने स्वयं यह महसूस किया है कि इतनी मेहनत और लगन से कार्य करने के बावजूद वर्ग विशेष से होने की वजह से पार्टी में जिम्मेदार पद पर नहीं बैठाया जाता। यह स्थिति मेरे जैसी कार्यकर्ता के साथ है तो प्रदेश के अन्य जिले के अल्पसंख्यक वर्ग के कार्यकर्ताओं में कितना उपेक्षा का व्यवहार होगा। सांप्रदायिक संगठनों से लड़ने की बात सिर्फ कागजों पर है यदि हम अपनी पार्टी में इसका पालन नहीं करा सकते तो शायद हम अपनी विचारधारा से विमुख हो रहे हैं। ऐसी स्थिति में मेरे लिए कार्य कर पाना असंभव है।

नूरी खान पिछले करीब 22 साल से कांग्रेस से जुड़ी हैं। उज्जैन की रहने वाली इस कांग्रेस नेत्री कई बार सुर्खियों में भी आई। लेकिन, कभी सकारात्मक राजनीति के कारण वे सुर्ख़ियों का हिस्सा नहीं बनी। एनएसयूआई से अपना राजनीतिक जीवन की शुरू करने वाली नूरी खान पार्टी के कई पदों पर रही। वे राष्ट्रीय स्तर की समन्वयक रहीं और पार्टी का प्रवक्ता पद भी संभाला!

रविवार को जब नूरी खान ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए सभी पदों से इस्तीफ़ा दिया, तो ये अनुमान लगाया गया कि वे भी कहीं दूसरे नेताओं की तरह भाजपा में तो नहीं जा रहीं! लेकिन, एक घंटे बाद उन्होंने खुद ही इस्तीफा वापस लेने की जानकारी ट्विटर पर दी। कांग्रेस पर उनका आरोप था कि अल्पसंख्यक होने के कारण उनकी राजनीतिक प्रतिभा और मेहनत शून्य हो गई। अल्पसंख्यक होने के कारण ही उन्हें पार्टी के महत्वपूर्ण पदों पर काम करने का मौका नहीं मिल सका। इस कारण वे पार्टी से इस्तीफा दे रही हैं।

लेकिन, एक टीवी चैनल ने नूरी खान से भाजपा में जाने की संभावना टटोली तो, उन्होंने इससे इंकार नहीं किया। बल्कि, ये कहा कि जन सेवा के लिए हुए कोई भी कदम उठाने को तैयार हैं। जबकि, भाजपा के सूत्रों का कहना है कि नूरी खान को भाजपा में लिए जाने की कोई चर्चा नहीं है और न ऐसी किसी संभावना पर विचार ही किया गया। इस बात से इंकार नहीं कि कोरोनाकाल में नूरी खान ने सैकड़ों परिवारों की मदद भी की। इस दौरान उनके खिलाफ उज्जैन में मुकदमे भी दर्ज हुए। उस समय नूरी खान को कुछ दिनों तक जेल में भी रहना पड़ा था।