MP Vyapam Scam : पारस सकलेचा की व्यापम जांच याचिका हाई कोर्ट ने ख़ारिज की!
Indore : व्यापम घोटाले की जांच पर सवाल उठाने वाली एक जनहित याचिका को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने इस आधार पर सकलेचा की याचिका खारिज कर दी कि उनके पास इसके लिए वैधानिक अधिकार नहीं था। याचिका को न्यायमूर्ति एसए धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति गजेंद्र सिंह की युगल पीठ ने सारहीन करार दिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता ने गलत धारणा के आधार पर यह याचिका प्रस्तुत की है। करीब 9 साल से यह मामला जांच के घेरे में है।
रतलाम के पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने व्यापम घोटाले को लेकर पिछले साल हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में याचिका लगाई थी। मप्र के प्रमुख सचिव, एसटीएफ के एसपी और सीबीआई के एसपी को पार्टी बनाया गया था। सकलेचा ने खुद को व्यापम का व्हिसल ब्लोअर और 2009 से इस पर काम करने का हवाला दिया था।
अलग अलग शिकायतों और साक्ष्य के साथ याचिका दायर की थी। 9 साल से अधिक समय बीत जाने पर भी जांच पूरी नहीं होने और सबूतों से छेड़छाड़ की बात कही थी। सकलेचा के व्यापम का पीड़ित नहीं होने और मामले में पक्षकार नहीं होने की वजह से उन्हें शिकायत दर्ज करने का अधिकार नहीं होने की प्रतिपक्ष ने दलील दी। इस दलील के आधार पर सकलेचा की याचिका निरस्त हुई।
क्या था इस याचिका में
पारस सकलेचा ने इस याचिका में कहा था कि व्यापम घोटाला की 9 साल बाद भी जांच पूरी नहीं हुई है। याचिका में केंद्र और राज्य सरकार को इस घोटाले की तय समय सीमा में जांच पूरी करने के आदेश देने की मांग की गई। कोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से एडवोकेट हिमांशु जोशी और राज्य सरकार की ओर से प्रदेश के अतिरिक्त महाधिवक्ता आनंद सोनी पेश हुए। दोनों अधिवक्ताओं ने याचिका को ही निरस्त करने की मांग की। दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद न्यायमूर्ति एसए धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति गजेंद्र सिंह की पीठ ने याचिका निरस्त कर दी। व्यापम घोटाला करीब 11 साल पहले सन 2013 में सामने आया था।