आदिवासियों को रिझाने आ रहे नरेंद्र मोदी- प्रियंका गांधी, आदिवासी के असर वाली 80 सीटों पर भाजपा-कांग्रेस की नजर

बसपा-गोगपा समझौते, जयस की सक्रियता से दोनाें दल चौकन्ने

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आदिवासियों को रिझाने आ रहे नरेंद्र मोदी- प्रियंका गांधी, आदिवासी के असर वाली 80 सीटों पर भाजपा-कांग्रेस की नजर

दिनेश निगम ‘त्यागी’ की खास रिपोर्ट

भोपाल: प्रदेश में आदिवासियों के असर वाली 80 से ज्यादा सीटों को लेकर भाजपा सतर्क है और कांग्रेस भी। बसपा- गोगपा गठबंधन एवं जयस की सक्रियता ने इनकी नींद उड़ा रखी है। दोनों दल आदिवासी वर्ग को आकर्षिक करने की हर कोशिश कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं कांग्रेस की राष्ट्रीय महामंत्री प्रियंका गांधी का दौरा भी इस वर्ग को टारगेट कर हो रहा है। दोनों 5 अक्टूबर को प्रदेश के दौरे पर आ रहे हैं। प्रधानंमत्री मोदी जबलपुर जाकर आदिवासी वर्ग की महानायक रानी दुर्गावती के जन्मदिन पर उनके स्मारक के लिए भूमिपूजन करेंगे और प्रियंका गांधी धार जिले में इस वर्ग के दूसरे महानायक टंट्या मामा की प्रतिमा का अनावरण करेंगी। जबलपुर संभाग में आदिवासियों की अच्छी खासी तादाद है और मालवा के इस अंचल में भी। साफ है कि दोनों राष्ट्रीय नेता आदिवासी वर्ग को रिझाने में कोई कोरकसर नहीं छोड़ेंगे।

कर चुके आदिवासियों के साथ खटिया पंचायत
इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी शहडोल जिले के दौरे पर आए थे तो आदिवासियों के साथ खटिया पंचायत की थी। यहां मोदी ने कहा था कि 5 अक्टूबर को रानी दुर्गावती की 500वीं जन्म शताब्दी को केंद्र सरकार पूरे देश में मनाएगी। उनके जीवन पर फिल्म बनाई जाएगी, चांदी का सिक्का भी जारी किया जाएगा। महाकौशल अंचल में सबसे ज्यादा आदिवासी हैं भी। लिहाजा मोदी फिर महाकौशल अंचल के सबसे बड़े नगर जबलपुर पहुंच रहे हैं।

प्रियंका दूसरी बार आदिवासियेां के बीच
कांग्रेस नेत्री प्रियंका गांधी भी प्रदेश के आदिवासी बहुल इलाके में दूसरा दौरा कर रही हैं। इससे पहले वे महाकौशल के जबलपुर दौरे में आ चुकी हैं। इस दौरे में वे मोहनखेड़ा तीर्थ में दर्शन करने के बाद आदिवासी नायक टंट्या मामा की प्रतिमा का अनावरण करेंगी और बताएंगी कि कांग्रेस का आदिवासियों के साथ कैसा नाता रहा है और कांग्रेस ने इस वर्ग के लिए क्या-क्या किया है। मोदी की तरह प्रियंका का उद्देश्य भी आदिवासी वर्ग को रिझाना है।

47 आरक्षित, 80 पर आदिवासियों का असर
प्रदेश में आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित सीटों की संख्या 47 है लेकिन यह वर्ग प्रदेश की लगभग 80 सीटों पर असर डालता है। लंबे समय बाद कांग्रेस ने आदिवासी वर्ग के लिए आरिक्षत 32 सीटें जीतकर सत्ता में वापसी कर ली थी। जबकि कई चुनाव से भाजपा ये सीटें जीतती रही है। प्रदेश में आदिवासियों की आबादी दो करोड़ के लगभग है। यही कारण है कि भाजपा और कांग्रेस आदिवासी वोट हाथ से नहीं जाने देना चाहते। उन्हें साधने के लिए दोनों दल पूरा दम लगाते हैं।