‘चिचोट’ को ‘दूसरा काशी’ बनाने में जुटे ‘निरंजन जी’…

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‘चिचोट’ को ‘दूसरा काशी’ बनाने में जुटे ‘निरंजन जी’…

कौशल किशोर चतुर्वेदी

यहां मां नर्मदा का किनारा है। यहां बाबा बजरंग दास कुटी सिद्ध स्थान है। बाबा बजरंग दास सिद्ध संत यहां रहे हैं। उनके शिष्य तिलक दास महाराज यहां रहे हैं। और अब स्वामी श्री नित्य चैतन्य दास जी महाराज यहां रहते हैं। बजरंग दास जी को शांति का वातावरण प्रिय था। आश्रम में असीम शांति का वास है। यहां पहुंचकर मां नर्मदा किनारे आश्रम के शांत वातावरण का अनुभव किया जा सकता है। तिलक दास जी महाराज की भविष्यवाणी थी और सपना भी था कि चिचोट वैदिक अध्ययन का केंद्र बनेगा। तो निरंजन जी का संकल्प है कि वैदिक अध्ययन के लिए चिचोट के आसपास नर्मदा किनारे 108 गुरुकुल स्थापित हों। तो तिलक दास जी के सपने में रंग भरने के साथ ही निरंजन शर्मा सनातन की भव्य तस्वीर बनाने में दिन-रात जुटे हैं। उन्होंने वैदिक विद्या पीठम् चिचोट स्थापित कर इस दिशा में सार्थक पहल कर दी है। यहां करीब 150 विद्यार्थी वेद, पुराण और उपनिषदों का अध्ययन कर रहे हैं। यहां आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा का अद्भुत केंद्र स्थापित है। विद्यार्थियों को आयुर्वेद का ज्ञान प्राप्त हो रहा है। यहां वैदिक अध्ययन का बहुत विस्तार हुआ है और चिचोट के दूसरा काशी बनने की राह प्रशस्त है। यहां मां नर्मदा के किनारे 700 मीटर लंबे भव्य वेदगर्भा घाट का लोकार्पण नर्मदा जयंती पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने किया। निरंजन जी की दृढ़ इच्छाशक्ति, कठोर परिश्रम, अनुशासन, त्याग, समर्पण का ही प्रभाव है कि इस लोकार्पण कार्यक्रम में डारा इंजीनियरिंग प्रायवेट लिमिटेड के मेनेजिंग डायरेक्टर डॉ. पप्पू राम विश्नोई ने वैदिक विद्या पीठम् चिचोट के विकास के लिये 1 करोड़ रूपये देने की घोषणा की। तो श्रीमती अलका गदरे ने भी एक करोड़ की राशि देने की घोषणा की है। ब्राजील के प्रेमसागर दंपत्ति लगातार अपना योगदान पहले से ही कर रहे हैं। चिचोट आश्रम की जमीन पर हो रहे इस वैदिक विस्तार को देखकर यह सुखद अनुभूति होती है कि तिलक दास जी महाराज की सोच सच हो रही है। इस सच को चरितार्थ करते निरंजन जी मंच पर कहीं नजर नहीं आते। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की कार्यशैली का प्रत्यक्ष प्रमाण चिचोट वैदिक संस्थान के निरंजन शर्मा हैं। जिनकी करनी में दूसरा काशी के रूप में चिचोट का विस्तार आकार ले रहा है। वास्तव में नां नर्मदा के तट पर बनी बाबा बजरंग दास की कुटी और यहां आकार ले चुका वैदिक संस्थान दिव्य अनुभूति कराते हैं। तो स्वामी श्री नित्य चैतन्य दास जी महाराज बाबा बजरंग दास और तिलक दास महाराज की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए स्थान को दिव्यता से भर रहे हैं।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि मां नर्मदा की धारा चैतन्य है, इसके दर्शन मात्र से ही सभी धन्य होते हैं। माँ नर्मदा प्रदेश की जीवन रेखा है। प्रख्यात विचारक सुरेश सोनी ने इस अवसर पर कहा कि माँ नर्मदा हमारे लिये जीवनदायिनी है, इसे प्रदूषित न करें। हमारे देश में नदियों को माँ का दर्जा दिया जाता है। नर्मदा नदी प्रदूषण मुक्त बनी रहें, यह हम सभी का दायित्व है। उन्होंने कहा कि नर्मदा नदी के दोनों तटों के आसपास अधिक से अधिक पौधे लगाये जाने चाहिए क्योंकि वृक्ष ही नर्मदा नदी को पोषित करते हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने ग्राम चिचोट कुटी में नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण द्वारा नर्मदा नदी के तट पर 11.07 करोड़ रूपये लागत से बनवाये गये घाट निर्माण का अवलोकन कर लोकार्पण किया। नर्मदा जीवनरेखा है, इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि प्रदेश का सिंचाई रकबा 48 लाख हेक्टेयर से अधिक है, जिसमें से 40 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में मां नर्मदा के जल से सिंचाई होती है।

फिर बात चिचोट स्थित बाबा बजरंग दास कुटी की। यहां हनुमान जी का प्राचीन मंदिर है। बाबा बजरंग दास का स्मृति स्थल है। पुस्तकालय है, जिसमें बाबा बजरंग दास और तिलक दास जी की मूर्ति हैं। अतिथि निवास है और परिक्रमा वासियों के ठहरने का स्थान है। गौशाला है। और मां नर्मदा के तट पर इस स्थान पर असीम शांति है। तो वैदिक अध्ययन केंद्र का निर्माण और भी अद्भुत है। यह सुनियोजित रूप से आकार ले रहा है। ऑडिटोरियम, अतिथि निवास, विद्यार्थियों का निवास, गौशाला, वेदगर्भा घाट और वृक्षारोपण देखकर मन प्रफुल्लित हो जाता है। सुरम्य और शांत वातावरण मनमोहक है। नैसर्गिक पर्यावरण आनंद से भर देता है। निरंजन जी की पर्यावरण हितैषी सोच भी अद्भुत है। वेदगर्भा घाट का निर्माण 2017 से प्रस्तावित था। पर घाट निर्माण के बीच में आ रहे वृक्षों को काटने की बात आई, तब निरंजन जी ने वृक्ष काटने से असहमति जताई। घाट का निर्माण अटक गया। अंतत: वृक्षों को सुरक्षित रखते हुए घाट निर्माण संपन्न हो सका। पर्यावरण हितैषी निरंजन जी की इस सोच के किस्से यहां प्रेरणा बनकर लोगों की जुबां पर आ ही जाते हैं।

तो चिचोट आकर मां नर्मदा के दर्शन कर असीम पुण्य और संतुष्टि का भागीदार बना जा सकता है। बाबा बजरंग दास कुटी में शांति और अध्यात्म की अनुभूति की जा सकती है। और निरंजन जी की देखरेख में पुष्पित और पल्लवित होते वैदिक संस्थान में गुरुकुल परंपरा के दर्शन करते हुए तिलक दास महाराज की भविष्यवाणी के अनुरूप ‘चिचोट’ को दूसरा काशी बनता देख सुखद अनुभूति पाई जा सकती है

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