दिग्विजय सिंह पर चुनाव लड़ने का पार्टी ने बढ़ाया दबाव, ऐनवक्त पर राजगढ़, खंडवा, झाबुआ को किया होल्ड

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दिग्विजय सिंह पर चुनाव लड़ने का पार्टी ने बढ़ाया दबाव, ऐनवक्त पर राजगढ़, खंडवा, झाबुआ को किया होल्ड

 

भोपाल: प्रदेश कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के चुनाव लड़ने से बचने की लगातार आ रही खबरों के बीच पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को चुनाव लड़ाने का दबाव पार्टी के नेताओं ने बढ़ा दिया है। इसके चलते ही राजगढ़ सीट को होल्ड कर दिया गया है। वहीं यह भी चर्चा है कि प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अरुण यादव ने दिल्ली में पार्टी नेताओं से मिलकर खंडवा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया है। इसके चलते खंडवा भी ऐनवक्त पर होल्ड की गई है। मंगलवार को कांग्रेस ने दस लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान किया है। इसमें एन वक्त पर राजगढ़, खंडवा और झाबुआ को होल्ड किया गया।

सूत्रों की मानी जाए तो कांग्रेस अब शनिवार या रविवार को मध्य प्रदेश की बाकी सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान करेगी।

मंगलवार को प्रदेश की दस लोकसभा सीटों पर उसने उम्मीदवार उतार दिए हैं। जिसमें राजगढ़ को होल्ड किया गया है। राजगढ़ सीट से प्रियव्रत सिंह का टिकट लगभग तय माना जा रहा था। प्रियव्रत सिंह को दिग्विजय सिंह के खेमे का माना जाता है। दिग्विजय सिंह और प्रियव्रत सिंह आपस में रिश्तेदार भी हैं। पार्टी इस सीट से दिग्विजय सिंह को चुनाव लड़ाने पर विचार कर रही है। जबकि दिग्विजय सिंह की ओर से यहां पर प्रियव्रत सिंह का नाम आगे किया गया था। ऐसे में पार्टी ने इस सीट को फिलहाल होल्ड कर दिया है। इसके साथ ही दिग्विजय सिंह पर दबाव बनाने के लिए उनके समर्थक कांतिलाल भूरिया का झाबुआ से टिकट होल्ड कर दिया गया है। वहीं मुरैना, गुना, इंदौर में भी वे अपने समर्थकों को ही टिकट दिलाना चाहते हैं, इन सीटों को भी होल्ड किया गया है। धार से उनके समर्थक सुरेंद्र सिंह बघेल को टिकट नहीं देकर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के समर्थक राधेश्याम मुवेल को टिकट दिया गया है।

इधर अरुण यादव ने गुना से दावेदारी कर खंडवा से चुनाव नहीं लड़ने को लेकर अपनी इच्छा जताई है। इस सीट पर अभी दो नाम तेजी से चल रहे हैं। गुना से वीरेंद्र रघुवंशी और केपी सिंह कक्काजू की दावेदारी मानी जा रही है। दोनों ही दिग्विजय सिंह से जुड़े हुए हैं। अब अरुण यादव के नाम पर भी पार्टी यहां से विचार करेगी। दरअसल इस सीट पर यादव मतदाताओं का खासा प्रभाव माना जाता है। इसलिए अरुण यादव के नाम पर अब पार्टी गंभीरता से विचार कर सकती है।