PM ने नई दिल्ली के भारत मंडपम में विश्व धरोहर समिति के 46वें सत्र का उद्घाटन किया

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PM ने नई दिल्ली के भारत मंडपम में विश्व धरोहर समिति के 46वें सत्र का उद्घाटन किया

नीति गोपेन्द्र भट्ट की रिपोर्ट 

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को नई दिल्ली के भारत मंडपम में विश्व धरोहर समिति के 46वें सत्र का उद्घाटन किया। विश्व धरोहर समिति की बैठक प्रतिवर्ष होती है तथा यह विश्व धरोहर से संबंधित सभी मामलों के प्रबंधन तथा विश्व धरोहर सूची में शामिल किए जाने वाले स्थलों के बारे में निर्णय लेने के लिए जिम्मेदार होती है। भारत पहली बार विश्व धरोहर समिति की बैठक की मेजबानी कर रहा है। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर प्रदर्शित विभिन्न प्रदर्शनियों का अवलोकन भी किया। इस अवसर पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर का उल्लेख किया तथा सभी नागरिकों को अपनी शुभकामनाएं दीं।

उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि विश्व धरोहर समिति की बैठक ऐसे पावन दिन पर शुरू हो रही है तथा भारत पहली बार इस कार्यक्रम की मेजबानी कर रहा है। प्रधानमंत्री ने विश्व भर से आए सभी गणमान्य व्यक्तियों तथा अतिथियों, विशेष रूप से यूनेस्को की महानिदेशक सुश्री ऑड्रे अजोले का हार्दिक स्वागत किया तथा विश्वास व्यक्त किया कि विश्व धरोहर समिति की बैठक भारत में होने वाली अन्य वैश्विक बैठकों की तरह ही इतिहास में नए कीर्तिमान स्थापित करेगी।

विदेश से वापस लाई गई कलाकृतियों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हाल के दिनों में 350 से अधिक धरोहर वस्तुएं वापस लाई गई हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, “प्राचीन विरासत की कलाकृतियों की वापसी वैश्विक उदारता और इतिहास के प्रति सम्मान का प्रदर्शन है।” उन्होंने प्रौद्योगिकी के विकास के साथ-साथ इस क्षेत्र में बढ़ते अनुसंधान और पर्यटन के अवसरों की ओर भी ध्यान दिलाया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि “भारत वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देने और विरासत संरक्षण प्रयासों के लिए स्थानीय समुदायों को जोड़ने के लिए प्रतिबद्ध है।”उन्होंने कहा कि “भारत इतना प्राचीन है कि यहाँ के वर्तमान का हर बिंदु किसी गौरवशाली अतीत की कहानी कहता है”। मोदी ने कहा कि “प्राचीन विरासत कलाकृतियों की वापसी वैश्विक उदारता और इतिहास के प्रति सम्मान का प्रदर्शन है”

मोदी ने कहा कि “मैदाम, पूर्वोत्तर से यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में पहली प्रविष्टि अपनी विशिष्टता के कारण विशेष है”। उन्होंने “भारत की विरासत केवल इतिहास नहीं है। भारत की विरासत एक विज्ञान भी है।भारत और भारतीय सभ्यता का इतिहास इतिहास की आम समझ से कहीं अधिक पुराना और व्यापक है। मोदी ने कहा कि यह भारत का दुनिया से आह्वान है कि वे एक-दूसरे की विरासत को बढ़ावा देने और मानव कल्याण की भावना को बढ़ाने के लिए एक साथ आएं। उन्होंने कहा कि भारत का विजन है – विकास के साथ-साथ विरासत भी- विकास भी विरासत भी।

संबोधन का समापन करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने सभी विदेशी मेहमानों और गणमान्य व्यक्तियों से भारत की खोज करने का आग्रह किया और उनकी सुविधा के लिए प्रतिष्ठित विरासत स्थलों की एक श्रृंखला के बारे में जानकारी दी। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भारत में उनके अनुभव एक यादगार यात्रा बनेंगे।

इस अवसर पर केंद्रीय विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर, केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्रे अज़ोले और विश्व धरोहर समिति के अध्यक्ष विशाल शर्मा सहित अन्य लोग उपस्थित थे।

 *पृष्ठभूमि* 

भारत पहली बार विश्व धरोहर समिति की बैठक की मेजबानी कर रहा है। यह 21 से 31 जुलाई 2024 तक नई दिल्ली के भारत मंडपम में होगी। विश्व धरोहर समिति की वार्षिक बैठक होती है और यह विश्व धरोहर से जुड़े सभी मामलों के प्रबंधन और विश्व धरोहर सूची में शामिल किए जाने वाले स्थलों पर निर्णय लेने के लिए जिम्मेदार होती है। इस बैठक के दौरान विश्व धरोहर सूची में नए स्थलों को नामांकित करने के प्रस्ताव, 124 मौजूदा विश्व धरोहर संपत्तियों की संरक्षण रिपोर्ट, अंतर्राष्ट्रीय सहायता और विश्व धरोहर निधि के उपयोग आदि पर चर्चा की जाएगी। इस बैठक में 150 से अधिक देशों के 2000 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय प्रतिनिधि भाग लेंगे। विश्व धरोहर समिति की बैठक के साथ-साथ विश्व धरोहर युवा पेशेवरों का मंच और विश्व धरोहर स्थल प्रबंधकों का मंच भी आयोजित किया जा रहा है।

इसके अलावा, भारत की संस्कृति को प्रदर्शित करने के लिए भारत मंडपम में विभिन्न प्रदर्शनियाँ भी लगाई जा रही हैं। खजाने की वापसी प्रदर्शनी में देश में वापस लाई गई कुछ कलाकृतियों को प्रदर्शित किया गया है। अब तक 350 से अधिक कलाकृतियाँ वापस लाई जा चुकी हैं। भारत के 3 विश्व धरोहर स्थलों: रानी की वाव, पाटन, गुजरात; कैलासा मंदिर, एलोरा गुफाएँ, महाराष्ट्र; और होयसला मंदिर, हलेबिदु, कर्नाटक के लिए एक इमर्सिव अनुभव प्रदान करने के लिए ए आर और वी आर तकनीकों का भी उपयोग किया जा रहा है। भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, सदियों पुरानी सभ्यता, भौगोलिक विविधता और पर्यटन स्थलों के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में आधुनिक विकास को उजागर करने के लिए एक ‘अतुल्य भारत’ प्रदर्शनी भी स्थापित की जा रही है।