कविता :”खोज रही हूं गांधी तुमको”

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“खोज रही हूं गांधी तुमको”

सत्ता के गलियारों में
हत्या के अंबारों में

सत्य जलाते डोमों में
नेता की नई क़ौमों में

मंदिर मस्जिद विवादों में
दंगे और फसादों में

लाचारी, मजबूरी में
दिल से दिल की दूरी में

Mahatma Gandhi essay : महात्मा गांधी पर हिन्दी में निबंध

लुटी हुई अबलाओं में
सैनिक की विधवाओं में

विदेशी ब्रांड की धूमों में
गुम होते हैंडलूमों में

दलित विमर्श रिसालों में
संकीर्ण सोच के जालों में

खोज रही हूं गांधी तुमको
आजाद देश के तालों में ।

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      इरानाथ

कविताओं को पत्थरों से भी लिख देने के लिए जानी जाती हैं.

लखनऊ

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