Promotion Instead of Action : शासन को साढ़े 4 करोड़ का चूना लगाने वाले आबकारी अधिकारी पर 10 साल से कार्यवाही नहीं!  

मामले की फाइल को दबा दिया गया, अब इस अधिकारी की पदोन्नति की तैयारी!

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Promotion Instead of Action : शासन को साढ़े 4 करोड़ का चूना लगाने वाले आबकारी अधिकारी पर 10 साल से कार्यवाही नहीं!

Ujjain : आबकारी मुख्यालय ग्वालियर में पदस्थ पूर्व सहायक आबकारी आयुक्त प्रमोद कुमार झा वर्तमान और शराब ठेकेदार पवन कुमार जायसवाल पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (संशोधन 2018) के अंतर्गत वर्ष 2022 में एफआईआर दर्ज की गई थी। लेकिन, अभी तक इन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। जानकारी अनुसार वाणिज्यकर विभाग को डेढ़ साल से रिपोर्ट नहीं भेजी गई। प्रमोद झा और आबकारी ठेकेदार पर शासन को 4.60 करोड़ का चूना लगाने का आरोप है।

जानकारी मिली कि उज्जैन एसी ने जो रिपोर्ट प्रमोद झा के खिलाफ बनाकर भेजी थी, वह रिपोर्ट आबकारी मुख्यालय में दबा दी गई। यह भी प्रतीत होता है कि इस मामले में ग्वालियर आबकारी कार्यालय के बड़े अधिकारी भी संलिप्त हैं। यदि जांच हुई तो यह बात स्पष्ट भी हो जाएगी कि मामले को दबाने में किसका हाथ है। प्रमोद झा के ग्वालियर मुख्यालय में पदस्थ होने के कारण अपने पद का दुरुपयोग कर और अधिकारी से सांठगांठ कर फाइल को आगे नहीं बढ़ने दे रहे। बताया जा रहा है कि भ्रष्टाचार के आरोपों के बावजूद प्रमोद झा को पदोन्नत करने की तैयारी की जा रही है। साथ ही तीस साल की सेवा करने पर समयमान वेतनमान भी मिल रहा है।

पुलिस अधीक्षक विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त उज्जैन संभाग अनिल विश्वकर्मा को शिकायत मिली थी कि वर्ष 2015-16 की अवधि में शराब अनुज्ञप्तिधारी पवन जायसवाल द्वारा 4 करोड़ 60 लाख 77 हजार 600 रू की पाक्षिक लाइसेंस फीस व वार्षिक लाइसेंस फीस का भुगतान नहीं किया गया है। इससे तत्कालीन सहायक आबकारी आयुक्त प्रमोद कुमार झा के संरक्षण शासन को उक्त राशि की आर्थिक क्षति पहुंची है।

प्रकरण की सत्यापन जांच उप पुलिस अधीक्षक सुनील कुमार तालान द्वारा की गई। जांच पर से पाया गया कि राजपत्र में प्रकाशित नियमों के अनुसार किसी दुकान की पाक्षिक बेसिक लाइसेंस फीस/वार्षिक लाइसेंस फीस का भुगतान बकाया रहने पर उस दुकान को आगामी पक्ष में तब तक मदिरा का प्रदाय नहीं किया जाएगा, जब तक कि दुकान की अवशेष लाइसेंस फीस/वार्षिक लाइसेंस फीस जमा न कर दी जाए।

 

नोटिस दिए, लेकिन लाइसेंस निरस्त नहीं किया

ठेकेदार पवन जायसवाल ने सितंबर 2015 से ही शराब ड्यूटी फीस समय पर व पूरी जमा नहीं की थी। यह राशि जनवरी 2016 तक लगातार बढ़ती रही। तत्कालीन सहायक आबकारी आयुक्त प्रमोद कुमार झा ने दिनांक 17 सितम्बर 2015, 8 अक्टूबर 2015, 11 दिसंबर 2015 व 2 जनवरी 2016 को कारण बताओ सूचना-पत्र ठेकेदार पवन जायसवाल को दिए। लेकिन, नियमानुसार लायसेंस निरस्त नहीं किया।

मार्च 2016 तक अवशेष राशि बढ़कर 4,60,77,600 रू हो गई। ऑडिट रिपोर्ट में भी इस तथ्य को रेखांकित किया गया है। सितंबर 2015 से ही जब ठेकेदार द्वारा लाइसेंस शुल्क जमा नहीं किया जा रहा था, तब भी प्रमोद कुमार झा ने ठेकेदार का साथ दिया और शासन को नुकसान पहुंचाया। उसकी दुकानों को अन्य दुकानों से (100 टीपी) शराब उपलब्ध करवाई गई। इस दौरान कुल 75 परिवहन परमिट अन्य दुकानों से पवन जायसवाल की दुकानों को जारी कर शराब उपलब्ध करवाई, जिसकी अनुमति नहीं थी। इस प्रकार पद व स्थिति का दुरुपयोग कर प्रमोद झा ने पवन जायसवाल के साथ षड़यंत्र कर शासन को 4 करोड़ 60 लाख 77 हजार 600 रू.की हानि पहुंचाई। इस कृत्य में अन्य ठेकेदार व आबकारी विभाग के तत्कालीन अधिकारी/कर्मचारियों की भूमिका की भी जांच विवेचना के दौरान की जाना चाहिए जो नहीं की गई।

 

इसलिए हुई भ्रष्टाचार की एफआईआर दर्ज

तत्कालीन सहायक आबकारी आयुक्त उज्जैन प्रमोद कुमार झा द्वारा लाइसेंसी पवन कुमार जायसवाल से मिलकर छल व षड्यंत्र पूर्वक तथा पद व स्थिति का दुरुपयोग करते हुए शासन को साढ़े 4 करोड़ से ज्यादा के राजस्व का नुकसान पहुंचाया जाना व अपने पदीय कर्त्तव्यों का दुरूपयोग किया जाना पाया गया था। शासकीय धनराशि के संबंध में विश्वास का आपराधिक हनन करते हुए बकाया राशि को छलपूर्वक निजी लाभ के लिए कोष में जमा नहीं किए जाने पर प्रमोद कुमार झा, तत्कालीन सहायक आबकारी आयुक्त उज्जैन और पवन कुमार पिता रामगोपाल जायसवाल, तत्कालीन आबकारी अनुज्ञप्तिधारी निवासी देहरादून (उत्तराखंड) और अन्य के विरूद्ध अपराध क्रमांक 211/ 2023 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 ( 1 ) ए, 13 (2) भ्रनि अधिनियन 1988 (संशोधन 2018) एवं धारा 409, 420, 120 बी भादंवि के अंतर्गत पंजीबद्ध किया गया है।