Punishment of complaint on CM helpline : किसान को CM Helpline में शिकायत करने पर थाने में बैठाया

मानवाधिकार आयोग ने कलेक्टर, एसपी से जवाब माँगा

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Vidisha : एक किसान को ‘प्रधानमंत्री सम्मान निधि’ का पैसे नहीं मिलने पर सीएम हेल्पलाइन (CM Helpline) में शिकायत करना महंगा पड़ गया! उसे शमशाबाद के SDM ने दिनभर थाने में बिठा दिया। शाम को उसे थाने से इस शर्त पर छोड़ा गया कि अगले दिन जाकर SDM से माफ़ी मांग लेना। मामला गरमाने के बाद मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक (विदिशा) से एक माह में जवाब मांगा है।

मामला ये है कि शमशाबाद तहसील के संग्रामपुर गांव के सहरिया जाति के एक किसान को प्रधानमंत्री सम्मान निधि के लिए दूसरी बार सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत करना महंगा पड़ गया। किसान का आरोप है कि शमशाबाद SDM ने उन पर शिकायत वापस लेने के लिए दबाव बनाया। जब उसने शिकायत वापस लेने से इनकार किया तो SDM ने उन्हें दिनभर पुलिस थाने में बैठाकर रखा। जबकि, SDM ने ऐसी किसी बात से इनकार किया। उनका कहना है, कि किसान उनके कार्यालय में आकर हंगामा कर रहा था, इसलिए उसे पुलिस की मदद से कार्यालय के बाहर किया गया था।

संग्रामपुर के किसान तख्तसिंह सहरिया ने बुधवार को तहसील कार्यालय में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के नाम ज्ञापन दिया। जिसमें उसने बताया कि उसे अब तक प्रधानमंत्री सम्मान निधि की राशि नहीं मिली है। पिछले माह उसने राशि नहीं मिलने की शिकायत की थी। जिस पर SDM ने उन्हें कार्यालय में बुलाकर उनकी राशि दिलवाने का आश्वासन दिया था, लेकिन 15 दिनों बाद भी राशि नहीं मिलने पर उसने दोबारा CM Helpline में शिकायत कर दी। इसके बाद SDM ने उन्हें बीते मंगलवार को जनसुनवाई में आने को कहा। जब वे पहुंचे तो जिस पर एसडीएम भड़क गए। उन्होंने अभद्र व्यवहार करते हुए पुलिस बुलाकर थाने भेज दिया

थाने ले जाकर किसान को पुलिस ने दिनभर थाने में बैठाकर रखा। थाने के TI का कहना था कि अगले दिन SDM साहब के पास जाकर माफी मांग लेना। इधर, SDM राय का कहना है कि किसान झूठे आरोप लगा रहा है। उन्होंने हेल्पलाइन में शिकायत मिलने के बाद किसान की पूरी मदद एवं कागजी प्रक्रिया पूरी की। इसके बाद उनका नाम पोर्टल पर दर्ज करने के लिए भेज दिया गया। किसान को सारी प्रक्रिया की जानकारी देते हुए शिकायत वापस लेने की बात कही थी।

जिस पर किसान कार्यालय में हंगामा कर शांति भंग कर रहा था। इसके बाद उन्होंने किसान को कार्यालय से बाहर निकलवाया था। वही शमशाबाद टीआई ने किसी को थाने में बैठाने की जानकारी से ही इनकार कर दिया। मामले में मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक, विदिशा से एक माह में जवाब मांगा है।