सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान, पर नहीं घटेगा ओबीसी का मान …

विष्णु ने जीता दिल-मारी बाजी, तब नाथ और कांग्रेस जागी...

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यह मेरे लेख की वजह से असर दिखाई दे रहा है या फिर यह विचार भाजपा का पहले से ही बन गया था…मैं इसको लेकर कुछ नहीं कह सकता। लेकिन फिर भी कानूनी कसरत को बाजू में रखते हुए भारतीय जनता पार्टी ने पिछड़ा वर्ग का दिल जीतने में बाजी मार ही ली। और जब प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने पत्रकार वार्ता बुलाकर यह घोषणा कर दी, कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान है और सरकार पिछड़ा वर्ग को कानूनी तौर पर पंचायत और स्थानीय निकाय चुनाव में 27 फीसदी आरक्षण दिलाने की कवायद को अंजाम तक पहुंचाने का काम करेगी…फैसला कुछ भी हो फिर भी भाजपा संगठन पिछड़ा वर्ग का मान रखेगा और पंचायत-स्थानीय निकाय चुनाव में पिछड़ा वर्ग के कार्यकर्ताओं को 27 फीसदी से ज्यादा टिकट देकर यह साबित करेगा कि पिछड़ा वर्ग की हितैषी भाजपा ही है और छलावा करने का काम कांग्रेस ने किया है।
उन्होंने राज्यसभा सदस्य और जाने-माने वकील विवेक तन्खा पर उनका नाम लिए बगैर निशाना भी साधा कि महाराष्ट्र का हवाला देकर प्रदेश के पिछड़ा वर्ग की दुर्गति की वजह वही हैं। तो कमलनाथ और दिग्विजय सिंह को भी आइना दिखाया कि पंद्रह महीने की सरकार में जब चुनाव होने थे, तब वह भोपाल को दो फाड़ कर एक जगह अल्पसंख्यक वर्ग के चेहरे को महापौर बनाने के मिशन में लगे थे। नोटिफिकेशन जारी कर यह साबित करने में जुटे थे कि मध्यप्रदेश में ओबीसी की आबादी 27 फीसदी है। जिसकी वजह से ओबीसी आरक्षण से वंचित हो गया। उन्होंने दावा किया कि ओबीसी की हितैषी भाजपा और भाजपा की सरकारें ही हैं। चाहे सरकारी नौकरियों में शिवराज सरकार के नेतृत्व में हुई पहल हो या फिर मोदी सरकार का नीट में ओबीसी को आरक्षण देने का फैसला हो। उन्होंने कांग्रेस को कटघरे में खड़ा किया कि जब विधानसभा में संकल्प पारित कर केंद्र को भेजा जा चुका है, तब कांग्रेस फिर उसी बात की मांग कर क्या जताना चाहती है? विष्णुदत्त शर्मा ओबीसी वर्ग का भरोसा जीतने में सफल हो गए थे कि दिल में बसे हो और निराश नहीं होने देंगे।
जब प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने पत्रकार वार्ता कर ओबीसी का दिल जीतने की कवायद पूरी कर ली। और खबर मध्यप्रदेश में ब्रेकिंग बनकर फैल गई। तब कांग्रेस भी नींद से जाग गई। हालांकि इससे पहले कांग्रेस की पत्रकार वार्ता का दौर खत्म हो चुका था, लेकिन बात सिर्फ यहां तक ही पहुंची थी कि ओबोसी आरक्षण पर राज्य सरकार विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए। सरकार सदन में ओबीसी आरक्षण के लिए संविधान संशोधन का प्रस्ताव पारित कर केंद्र को भेजे। जबकि इसी पत्रकार वार्ता में बताया गया कि कमलनाथ ने ही नेता प्रतिपक्ष के तौर पर विधानसभा में यह संकल्प पारित करने के लिए शिवराज सिंह चौहान सरकार को मजबूर किया कि बिना ओबीसी आरक्षण के प्रदेश में पंचायत चुनाव नहीं होंगे।
लेकिन सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान निर्णय से स्पष्ट दिखता है कि 21 दिसंबर 2021 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विधानसभा में जो संकल्प पारित किया था कि ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण के बिना पंचायत चुनाव नहीं होंगे, उनकी सरकार संकल्प निभाने से चूक गई है। पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण भाजपा सरकार ने षड्यंत्र रचकर खत्म कराया। दिलचस्प बात यह है कि इस पत्रकार वार्ता में नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह के शामिल होने की सूचना दी गई थी, लेकिन वह शामिल नहीं हुए। खबर आई कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने उन्हें तलब किया है। खैर कोई बड़ी बात नहीं, लेकिन यह घोषणा तो सज्जन सिंह वर्मा, कमलेश्वर पटेल या फिर पीसी शर्मा भी कर सकते थे, कि कांग्रेस निकाय चुनाव में 27 फीसदी टिकट ओबीसी को देने को संकल्पित है।
और बेहतर यह होता कि कमलनाथ और डॉ. गोविंद सिंह इस पत्रकार वार्ता में होते। तब शायद यह साबित करने का मौका कांग्रेस के पाले में था कि वह ही ओबीसी की सही हितैषी है। लेकिन ओबीसी का दिल जीतने का मौका भी कांग्रेस ने हाथ से निकल जाने दिया। और जब भाजपा ने बाजी मारी तो कांग्रेस नींद से जागी कि अरे भाजपा ने यह क्या कर दिया। लकीर पीटने से बचने आनन-फानन में कमलनाथ का बयान भी आ गया कि कांग्रेस पार्टी ने तय किया है कि आने वाले निकाय चुनावों में हम 27% टिकट ओबीसी वर्ग को देंगे।
खैर सुप्रीम कोर्ट का फरमान मुझे कबूल और  पिछड़ा वर्ग के अरमान भी मुझे कबूल …सबसे पहले भाजपा संगठन की तरफ से आखिर यह साबित हो ही गया। मध्यप्रदेश में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हुए जब कमल दल ने पिछड़ा वर्ग का दिल जीत लिया, तब जाकर कांग्रेस भी नींद से जागी। पर खुशी इस बात की है कि ओबीसी वर्ग को चिंता करने की जरूरत कतई नहीं है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विदेश दौरा रद्द कर दिल्ली पहुंचकर सॉलिसिटर जनरल से सलाह-मशवरा शुरू कर दिया है, तो संगठन ने भी संकल्प जता दिया है कि 27 फीसदी से ज्यादा टिकट ओबीसी वर्ग को बांटेंगे। और कानूनी कसरत से न भी संभव हुआ, तब भी पिछड़ा वर्ग का 27 फीसदी टिकट पाने का हक नहीं मारा जाएगा। इस बात का गवाह बनेगा ह्रदय प्रदेश के हर पिछड़ा वर्ग मतदाता का दिल…।