Silver Screen: अपराध कथाओं की पहचान बने ‘ओटीटी’ ने चेहरा बदला, अब बना घरेलू मनोरंजन!  

576

Silver Screen: अपराध कथाओं की पहचान बने ‘ओटीटी’ ने चेहरा बदला, अब बना घरेलू मनोरंजन!  

– हेमंत पाल

सिनेमा की दुनिया में कोरोना काल और उसके बाद बड़ा बदलाव आया। क्योंकि, ये वो समय काल था, जिसने जीवन के हर क्षेत्र पर असर डाला। यहां तक कि मनोरंजन की दुनिया भी इससे प्रभावित हुई। सिनेमाघर बंद हो गए, टेलीविजन के सीरियलों की शूटिंग बंद होने से टीवी पर भी पुराने कार्यक्रम दिखाए गए। ऐसे में मोबाइल पर ‘ओटीटी’ नाम से मनोरंजन की एक दुनिया का जन्म हुआ। कोरोना के दौरान जब दिल बहलाने के सारे रास्ते बंद हो गए, तो इसी ओटीटी ने लोगों का मन बहलाया। कोरोना काल के ख़त्म होने के बाद समझा जाने लगा था, कि अब ओटीटी के दर्शकों की संख्या पर असर आएगा, पर ऐसा नहीं हुआ। मोबाइल तक सीमित मनोरंजन का यह नया माध्यम स्मार्ट टीवी का प्रमुख हिस्सा बन गया और इसका दायरा भी विस्तारित हुआ।

IMG 20250523 WA0114

शुरुआत में ओटीटी पर आने वाली अधिकांश वेब सीरीज अपराध केंद्रित होती थी। क्रिमिनल जस्टिस, महाराजा, पाताल लोक, दिल्ली क्राइम, फोरेंसिक, और ‘आर्या’ जैसी कई वेब सीरीज ने दर्शकों को आकर्षित भी किया। लेकिन, धीरे-धीरे दर्शक इन एक जैसी अपराध कथाओं से ऊबने लगे। इन्हें पूरा परिवार एक साथ देख भी नहीं सकता है। समाज में भी ओटीटी पर इस तरह के मसाले को लेकर विरोध की आवाज उठने लगी। किसी भी मनोरंजन की एकरूपता ज्यादा दिन दर्शकों की पसंद पर खरी नहीं उतर सकती। लेकिन, एक-डेढ़ साल में ओटीटी पर तेजी से बदलाव आता दिखाई देने लगा। इसका सबसे बड़ा प्रमाण है कि राजश्री जैसे प्रोडक्शन हाउस ने भी अपनी पहली वेब सीरीज ‘बड़ा नाम करेगा’ ओटीटी के लिए बनाई। पारिवारिक रिश्तों की उलझन वाले किस्सों को प्रधानता दी जाने लगी, इसका नतीजा ये हुआ कि जिस ओटीटी पर कभी अपराध की बाढ़ आ गई थी, वहां अब रिश्तों का सामंजस्य दिखाई देने लगा।

IMG 20250523 WA0108

औरत की बदलती भूमिका का लेखा-जोखा

अब आइए उन वेब सीरीज और ओटीटी के लिए बनी फिल्मों पर नजर डालते हैं, जो ओटीटी का चेहरा बदलने का जरिया बने। आरती कदव डायरेक्टेड फिल्म ‘मिसेज’ एक ऐसी कहानी को कहती है, जो हर महिला से जुड़ी लगती है। इसमें सान्या मल्होत्रा की मुख्य भूमिका है। इसमें एक महिला के संघर्ष को दिखाया गया। वो कैसे पितृसत्ता की मानसिकता से लड़कर अपने सपनों को पूरा करती है। फिल्म की कहानी ऋचा (सान्या मल्होत्रा) की है। उसे डांसर बनना था, पर घर की जिम्मेदारियों के बीच उसके सपने पीछे छूट जाते हैं। यह मलयाली फिल्म ‘द ग्रेट इंडियन किचन’ का हिंदी रीमेक है। सान्या मल्होत्रा की ही फिल्म ‘मीनाक्षी सुंदरेश्वर’ भी ऐसी महिला की कहानी है, जिसके पति की शादी के कुछ दिन बाद ही दूसरे शहर में नौकरी लग जाती है। लांग डिस्टेंस मैरिज के साइड इफेक्ट दिखाती ‘मीनाक्षी सुंदरेश्वर’ में सान्या मल्होत्रा ने बेहतरीन एक्टिंग की है।

IMG 20250523 WA0109

इस फिल्म की शुरुआत बेहद रोचक है। मैरिज ब्यूरो की गलती से सुंदरेश्वर का परिवार मीनाक्षी के घर पहुंच जाता है। हालांकि, इस कंफ्यूजन के बावजूद मीनाक्षी और सुंदरेश्वर एक-दूसरे को पसंद कर लेते हैं। सुंदरेश्वर जॉब की तलाश में है और बेंगलुरु की ऐप डेवलप कंपनी में उसे जॉब मिल जाती है। लेकिन, उसकी कंपनी शादीशुदा लोगों को जॉब नहीं देती है। ऐसे में अपनी शादी की बात सुंदरेश्वर को छुपानी पड़ती है। रवीना टंडन की फिल्म ‘पटना शुक्ला’ सामाजिक मुद्दे पर बनी फिल्म है। ये एक हाउसवाइफ की कहानी जो वकील है, पर कोई उसे गंभीरता से नहीं लेता। वो अपनी पहचान पाने के लिए संघर्ष करती है। एक समय ऐसा आता है, जब उन महिला वकील के हाथ एक ऐसा केस लगता है, जो पूरे शिक्षा जगत में हलचल पैदा कर देता है।

IMG 20250523 WA0111

‘राजश्री’ का ओटीटी पर आना बड़े बदलाव का इशारा

फिल्मों में राजश्री प्रोडक्शन नाम अपनी अलग पहचान रखता है। ऐसे में ओटीटी में उनका आना मनोरंजन के इस माध्यम को सहयोग करेगा। ‘बड़ा नाम करेंगे’ राजश्री की वेब सीरीज है, जिसमें बड़ी सहजता से रिश्तों का तानाबाना बुना गया है। कोरोना काल में मुंबई से शुरू होने के बाद ये कहानी उज्जैन, इंदौर और रतलाम पहुंच जाती है। कथानक की नायिका और नायक संयोग से पांच दिन एक ही घर में नीचे रहने को मजबूर होते हैं। बाद में ऐसे हालात बनते हैं कि उनकी शादी की बात चल पड़ती है। दोनों एक-दूसरे को पहले से जानते हैं, ये बात बताने का समय नहीं मिलता और परिवार के ‘फूफाजी’ दोनों की शादी में अड़चन बनने पर आमादा हो जाते हैं। निष्कर्ष यह कि अगर साथी पसंद का हो, तो उसका हाथ अपने हाथों में लेकर कहीं भी निकला जा सकता है। इस सीरीज के एपिसोड बड़े होने के बावजूद दर्शकों को हिलने नहीं देते।

ऐसी ही एक वेब सीरीज है ‘पैठणी!’ वास्तव में तो महाराष्ट्र के पैठण इलाके में हाथ से बुनी जाने वाली साड़ी होती है। पर, इस वेब सीरीज में ये एक बेटी और उसकी मां की कहानी है। मां पैठणी बुनने वाले एक केंद्र में कारीगरी का काम करती है। उसका अनुभव है कि पैठनी बुनने वालों को कभी पहनने का सौभाग्य नहीं मिलता। पर, बेटी ये सपना सच कर देती है। यह कथानक मां और बेटी को भावनाओं, चुनौतियों से गुजारकर स्थायी बंधन तक ले जाती है।

IMG 20250523 WA0113

नए रिश्ते गढ़ने की कहानी कहती ‘आचारी बा’

फिल्म ‘आचारी बा’ ऐसी महिला है, जिसके हाथ में स्वादिष्ट अचार बनाने का जादू है। लेकिन, यह सिर्फ स्वाद नहीं है, इससे उनकी यादें और भावनाएं जुड़ी हैं। एक दशक के इंतजार के बाद बा को उनका बेटा मुंबई बुलाता है। वहां पहुंचने पर उसे पता चलता है कि बेटे ने उसे परिवार के साथ समय बिताने के लिए नहीं, बल्कि घर और पालतू कुत्ते ‘जेनी’ की देखभाल करने के लिए बुलाया है। बेटा और बहू कुछ दिन के लिए विदेश यात्रा पर जा रहे हैं। शहर की भागदौड़ और अजनबी माहौल के बीच बा खुद को एक शरारती कुत्ते के साथ घर में अकेला पाती है। वहीं ‘आचारी बा’ का एक पुराना वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होता है, जिसमें वे अचार की रेसिपी बता रही होती हैं। यहीं से बा के ‘आचारी बा’ बनने का सफर शुरू होता है। जिसमें कबीर बेदी उनका साथ देते हैं।

IMG 20250523 WA0110

लीक से हटकर वेब सीरीज और फ़िल्में

कुछ अलग सी कहानियों में एक ‘द स्टोरी टेलर’ भी है, जो सत्यजीत रे की शॉर्ट स्टोरी ‘गोलपो बोलिये तारिणी खुरो’ पर आधारित है। ये एक कहानीकार पर केंद्रित है, जिसे एक अमीर बिजनेसमैन अपने लिए नियुक्त करता है। इस बिजनेसमैन को अनिद्रा की बीमारी है। उसे रात में नींद नहीं आती। यह कहानीकार उसे सोने में मदद करने के लिए रात के समय कहानियां सुनाता है। लेकिन कहानी में मोड़ तब आता है, जब हमें पता चलता है कि इस बिजनेसमैन के असली इरादे कुछ और ही हैं।

परेश रावल ने तारिणी बंदोपाध्याय की भूमिका में जान डाल दी है। आमिर खान प्रोडक्शन्स के बैनर तले बनी किरण राव द्वारा निर्देशित फिल्म ‘लापता लेडिज’ इस साल सुर्खियों में रही। इसे भारत की तरफ से ऑस्कर के लिए भी भेजा गया था। लेकिन, फिल्म अब इससे बाहर हो गई। ये फिल्म औरतों को अपने हिसाब से जीना सिखाती है। हर महिला में आत्मविश्वास जगाती है, जो अपने सपनों के लिए संघर्ष करती है। गंभीर विषय होने के बावजूद इसे हल्का रखा गया, जिससे कहानी सीधे दर्शकों के दिल तक पहुंचती है। फिल्म भले ही ग्रामीण पृष्ठभूमि पर बनी है। लेकिन, इसकी कहानी शहरों की हकीकत से भी रूबरू कराती है।

IMG 20250523 WA0112

नामचीन शख्सियतों पर केंद्रित कथानक

पंजाबी गायक अमर सिंह चमकीला की बायोपिक ‘चमकीला’ में दिलजीत दोसांझ ने मुख्य भूमिका निभाई है। इम्तियाज अली के निर्देशन में बनी यह फिल्म लुधियाना के गांव धुबरी में जन्मे पंजाबी म्यूजिक इंडस्ट्री में साल 1979 से 1988 तक राज करने वाले गायक और ‘एल्विश ऑफ पंजाब’ कहे जाने वाले अमर सिंह चमकीला के विवादास्पद जीवन पर आधारित है। उनकी गायकी के लोग दीवाने थे। 27 साल की उम्र में वो इस दुनिया को अलविदा भी कह गए। अज्ञात हमलावरों ने अमर सिंह चमकीला की हत्या कर दी थी। राजकुमार राव की फिल्म ‘श्रीकांत’ भी अपना असर छोड़ने में कामयाब रही. ये फिल्म वास्तव में उद्योगपति श्रीकांत बोल्ला की कहानी है, जो अपनी आंखों से दुनिया तो नहीं देख सकते, लेकिन सपने, बड़े सपने जरूर देखते हैं और उन्हें पूरा भी करते हैं। उन्होंने करीब 500 करोड़ रुपये की कंपनी खड़ी कर विकलांगों के लिए रोजगार के अवसर खोले थे।

 

पुराने नामचीन खिलाड़ियों पर बायोपिक

खिलाड़ियों का जिक्र किया जाए, तो ‘चंदू चैंपियन’ कबीर खान के निर्देशन में बनी बायोपिक फिल्म है, जो परदे पर तो खास कमाल नहीं दिखा सकी, लेकिन ओटीटी पर इस फिल्म को पसंद किया गया। कार्तिक आर्यन की अदाकारी ने खूब तारीफें बटोरी। यह फिल्म भारत के पहले पैरालंपिक स्वर्ण पदक विजेता मुरलीकांत पेटकर पर आधारित है। उन्होंने विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए खेलों में अपनी पहचान बनाई थी। बॉक्सिंग के वंडर बॉय बनने और आखिर में 1965 की जंग में अपने शरीर पर 9 गोलियां खाने तक जारी रहा।

जूनून और लगन की बुनियाद पर वह देश का पहला पैरालंपिक गोल्ड मेडल जीतने वाले खिलाड़ी बने। अजय देवगन की फिल्म ‘मैदान’ फुटबॉल से जुड़ी सत्य घटना पर आधारित है। यह महान कोच सैयद अब्दुल रहीम की कहानी है, जिनकी भूमिका अजय देवगन ने निभाई है। यह कहानी 1952 के समर ओलंपिक्स से शुरू होकर 1962 के एशियन गेम्स पर ख़त्म होती है। इसके अलावा भी कई ऐसी वेब सीरीज हैं, जो दर्शकों पसंद में शामिल हो गई।