
Son-in-Law Has no Rights : ससुर की संपत्ति पर दामाद का हक नहीं, हाई कोर्ट का फैसला!
Jabalpur : मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में चल रहे एक मामले पर सुनवाई करते हुए जज ने अहम फैसला सुनाया है। इस मामले में दामाद को तुरंत अपने ससुर का घर खाली करने का निर्देश दिया गया है। दामाद अपने ससुर के घर में ही रहता था। लेकिन जब ससुर ने उसे घर से जाने को कहा तो उसने मकान पर अपना हक़ जताना शुरू कर दिया। ऐसे में बुजुर्ग को कोर्ट का सहारा लेना पड़ा।
भोपाल के एक युवक ने अपने ससुर का मकान खाली करने के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत तथा जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने याचिका खारिज करते हुए दामाद को 30 दिन के अंदर मकान खाली करने के आदेश दिया।
एसडीएम कोर्ट ने भी दिया था आदेश
भोपाल के दिलीप मरमठ ने अपने ससुर का मकान खाली करने के आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में अपील की। इसमें कहा गया कि उसके ससुर नारायण वर्मा (78) ने माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण तथा कल्याण अधिनियम 2007 के तहत एसडीएम कोर्ट में अपील दायर की थी। इस मामले में एसडीएम ने उसे ससुर का मकान खाली करने का आदेश दिया है। इसके खिलाफ उसने कलेक्टर भोपाल के समक्ष अपील दायर की थी लेकिन कलेक्टर ने अपील खारिज कर दी इसके बाद उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
दूसरी शादी की, फिर भी मकान नहीं छोड़ा
युवक ने याचिका में ये भी कहा उसने इस घर के निर्माण के लिए 10 लाख रुपये दिये थे इस संबंध में उसने बैंक स्टेटमेंट भी लगाया है। युगलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया ससुर ने अपनी बेटी ज्योति तथा दामाद दिलीप मरमठ को अपने मकान में रहने की अनुमति दी थी इसके बदले में उन्होंने बुजुर्ग अवस्था में ससुर की देखरेख करना स्वीकार किया था इसके बाद साल 2018 में एक दुर्घटना में बेटी की मौत हो गयी बेटी की मौत के बाद दामाद ने दूसरी शादी कर ली दूसरी शादी के बाद दामाद ने वृद्ध ससुर को खाना और खर्चा देना बंद कर दिया।
पीड़ित बुजुर्ग ससुर बीएचईएल का सेवानिवृत्त कर्मचारी
इस मामले में सुनवाई के बाद युगल पीठ ने आदेश में कहा है दामाद के विरुद्ध इस अधिनियम के अंतर्गत निष्कासन का प्रकरण चल सकता है संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम के अंतर्गत संपत्ति का स्थानांतरण नहीं किया गया है। पीड़ित वृद्ध बीएचईएल का सेवानिवृत्त कर्मचारी है और भविष्य निधि से अंशकालीन पेंशन मिल रही है उन्हें अपनी बीमार पत्नी व बच्चों के देखरेख के लिए मकान की आवश्यकता है इस प्रकार युगलपीठ ने दामाद की अपील को खारिज कर दी।