सत्ता के सिंहासन तक ले जाएगा रविवार का सूरज…
इक्कीसवीं सदी में मध्यप्रदेश के पांचवें विधानसभा चुनाव का यह निर्णायक दिन है। रविवार का यह सूरज किसी न किसी दल की बाहें थामकर सत्ता के सिंहासन तक लेकर जरूर जाएगा। हो सकता है कि सूरज बदली में छिपा रहे तो यह भी संभव है कि आसमान से टुकर टुकर जीतने-हारने वाले राजनेताओं के चेहरे निहारकर मुस्कराता रहे और सहानुभूति जताता रहे। भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दो ही दल हैं, जो सत्ता के सिंहासन पर आसीन होने के हकदार हैं, यह बिल्कुल साफ है। अब 150 से ज्यादा कमल खिलकर भाजपा को सत्ता के सिंहासन पर बिठाएंगे या फिर बहुमत के साथ कांग्रेस अपने दावों पर खरी उतरेगी, यह रविवार का सूरज फैसला सुनाकर ही जाएगा। कौन मायूस होगा और कौन मुस्कराएगा, रविवार शाम के बाद इसमें कोई संशय बाकी नहीं रहेगा।
मध्यप्रदेश में 55 जिलों की 230 विधानसभा सीटों का फैसला होना है।मालवा अंचल के 9 जिलों की 45, निमाड़ अंचल में 6 जिलों की 21, भोपाल संभाग के 5 जिलों की 25 विधानसभा सीट, नर्मदापुरम संभाग के 3 जिलों की 11, विंध्य अंचल के 9 जिलों की 30, ग्वालियर-चंबल अंचल के 8 जिलों की 34, बुंदेलखंड अंचल के 6 जिलों की 26 और महाकौशल अंचल के 9 जिलों की 38 विधानसभा सीटों का फैसला होना है।
एक तरफ भारतीय जनता पार्टी के संगठन और सरकार है तो दूसरी तरफ कांग्रेस का संगठन है। बसपा, सपा, आम आदमी पार्टी और अन्य दलों के साथ निर्दलीय चेहरे भी आंशिक तौर पर नजर आ सकते हैं। परीक्षा है तो प्रदेश भाजपा के मुखिया विष्णु दत्त शर्मा के संगठनात्मक कौशल और हर बूथ पर 51 फीसदी वोट संग कार्यकर्ताओं के समर्पण की, तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की लाड़ली बहना की और दूसरी तरफ कमलनाथ की संगठनात्मक क्षमता और मध्यप्रदेश के मतदाताओं का उन पर भरोसा जताने की। तो देखते हैं कि रविवार 3 दिसंबर 2023 का सूरज मध्यप्रदेश में किसको सत्ता के सिंहासन तक ले जाता है…।