मध्यप्रदेश के आंगन में सुशासन का नया अध्याय लिखेगा शराबबंदी का फैसला…

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मध्यप्रदेश के आंगन में सुशासन का नया अध्याय लिखेगा शराबबंदी का फैसला…

कौशल किशोर चतुर्वेदी

मां नर्मदा के तट पर बसी मां अहिल्या बाई होलकर की राजधानी महेश्वर में 24 जनवरी 2025 को हुई कैबिनेट की बैठक ने वास्तव में पवित्रता की सुगंध बिखेर दी है। जिस तरह मां नर्मदा पावन हैं, जिस तरह मां अहिल्याबाई होलकर की पावनता है। उसी तरह का फैसला मध्यप्रदेश के पावन धार्मिक नगरों में पूर्णतया शराबबंदी का है। यह बात और है कि इस फैसले के बाद सरकार की जवाबदारी बहुत ज्यादा बढ़ गई है। फैसले की पावनता बनाए रखना बड़ी चुनौती है। पर एक बार इस परीक्षा की कसौटी पर सरकार खरी उतर गई, तो मोहन का प्रदेश में पूर्णतया शराबबंदी अगला कदम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की इस उम्मीद में पूर्णता के रंग भर देगा। और तब मां अहिल्या की राजधानी महेश्वर में लिया गया यह फैसला पावनता की देहरी को छूने वाला साबित होगा। यह लिखने की वजह बस यही है कि अब तक जिन राज्यों ने शराबबंदी का तमगा हासिल किया है, उन राज्यों में शराब के बारे में पहले से ज्यादा खराब तस्वीरें चर्चा के केंद्र में रही हैं। पर यह बात कहने में कोई गुरेज नहीं है कि मां नर्मदा की पावनता को प्रमाण की जरूरत नहीं है, मां अहिल्याबाई की पवित्रता स्वयंसिद्धा है और नर्मदा तट पर बसी मां अहिल्याबाई की पवित्र राजधानी महेश्वर में मोहन कैबिनेट में हुआ शराबबंदी का पावन फैसला अब ‘मोहन’ के पावन सुशासन का दर्पण बनेगा। यह ‘मोहन’ की पावन सोच ही है कि वह 19 धार्मिक स्थलों पर पूर्ण शराबबंदी के फैसले को पहला चरण मानते हुए प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी के लक्ष्य पर पहुंचने की घोषणा कर पा रहे हैं।

जैसा कि खुद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बताया कि हमारे मंत्रिमंडल के साथ जो भी निर्णय लिए गए वो माता अहिल्याबाई के सुशासन के कार्यों को आगे बढ़ाने वाले हैं। मध्यप्रदेश में शराबबंदी के पहले चरण में 19 धार्मिक स्थानों पर शराब दुकानें स्थायी रूप से बंद होंगी। इन्हें शिफ्ट नहीं किया जाएगा। इसमें कुछ नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत और नगर परिषद शामिल हैं। मां नर्मदा के 5 किलोमीटर के दायरे में भी शराब दुकानें बंद करने की नीति जारी रहेगी। पूरे प्रदेश में की जाने वाली शराबबंदी की दिशा में किए जाने वाले प्रयासों का यह पहला चरण है। सरकार का 19 धार्मिक स्थलों और नगर परिषद क्षेत्रों में शराब की सभी दुकानें बंद करने का निर्णय ह्रदय से स्वागत करने योग्य है। इनमें उज्जैन, ओंकारेश्वर, महेश्वर, मैहर और अमरकंटक जैसे प्रमुख धार्मिक स्थान शामिल हैं। सभी पवित्र नगरों की बात करें तो नगर निगम क्षेत्र उज्जैन यानि महाकाल की नगरी में शराब की सभी दुकानें बंद रहेंगी। नगर पालिका क्षेत्र दतिया यानि पीतांबरा माई की नगरी में शराब नहीं बिकेगी। नगर पालिका क्षेत्रों में जुगलकिशोर की नगरी पन्ना, मंडला, मुलताई, मंदसौर में भी शराब की दुकानें बंद होंगी। मैहर यानि माता शारदा की नगरी में शराब की बिक्री पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगी। वहीं नगर परिषद क्षेत्र राजा राम की नगरी ओरछा, ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर, महेश्वर, मंडलेश्वर, चित्रकूट और अमरकंटक में शराब की दुकानें पूरी तरह बंद की जाएंगी। साथ ही ग्राम पंचायत क्षेत्र सलकनपुर, बरमानकलां, कुण्डलपुर, बांदकपुर, बरमानखुर्द और लिंगा ग्राम पंचायत में शराबबंदी की जायेगी। प्रथम चरण में प्रदेश के चयनित इन 19 स्थानों पर पूर्ण शराबबंदी आह्लादित करने वाली है। मोहन की मंशा के अनुरूप सरकार के इस महत्वपूर्ण कदम से धार्मिक स्थलों की पवित्रता को बनाये रखने में मदद तो मिलेगी ही, साथ ही पारिवारिक और सामाजिक सद्भाव में भी निश्चित ही वृद्धि होगी।

पर चिंता के बादल उमड़-घुमड़कर इस फैसले के क्रियान्वयन के इर्द-गिर्द आकर ठहर जाते हैं। मोहन के इस फैसले से आबकारी, पुलिस और प्रशासन मानो अग्नि परीक्षा के दौर से गुजरने वाले हैं। जिला स्तर के कई नगरों में तो शराब के शौकीन सैकड़ों चेहरे वही होंगे, जो खुद अग्नि परीक्षा में शामिल हैं। हालांकि अभी परीक्षा सीमित दायरे में है। और कड़ाई अगर शराब की बिक्री तक सीमित है, तो यह परीक्षा बहुत आसान भी है। पर जितना भी है, प्रयास बहुत ही अच्छा है और देवी अहिल्या की सोच के अनुकूल भी है। महेश्वर के ऐतिहासिक किले में कैबिनेट बैठक में मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल ने प्रदेश के विकास के साथ सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक नीतियों को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की हैं। यह किला अहिल्या माता की गौरवशाली विरासत का प्रतीक है। बैठक की शुरुआत नर्मदा पूजन और अहिल्या माता की राजगद्दी को नमन करने के साथ हुई। मुख्यमंत्री ने इसे राज्य की गौरवशाली परंपरा और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने का प्रयास बताया।

तो ‘विरासत के साथ विकास’ के मंत्र पर आगे बढ़ते मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सरकार का मां अहिल्या की राजधानी महेश्वर में हुई डेस्टिनेशन कैबिनेट का 19 धार्मिक स्थलों में शराबबंदी का फैसला यकीनन मनभावन है। हालांकि अभी शराबबंदी शराबबिक्री तक सीमित है, तब भी सरकार बधाई की पात्र है। और यदि शराब के सेवन पर पूर्ण प्रतिबंध का प्रावधान होता है, तब तो सरकार के प्रति ‘आस्था और विश्वास’ जैसे शब्द भी फीके नजर आएंगे। पर जो भी हो इतिहास रच गया है और भरोसा यही है कि क्रियान्वयन की सफलता संग शराबबंदी का यह फैसला मध्यप्रदेश के आंगन में सुशासन का नया अध्याय अवश्य लिखेगा…।