तिरूमाला: देश के कई ऐसे मंदिर हैं, जो अपनी विशिष्टता के लिए विश्व भर में जाने जाते हैं। इन्हीं मंदिरों में से एक है आंध्र प्रदेश में स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर. बालाजी यानी भगवान वेंकटेश्वर का यह मंदिर है, जिन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। तिरूमाला की पहाड़ियों पर बना यह भव्य मंदिर भगवान विष्णु के 8 स्वयंभू मंदिरों में से एक है। दक्षिण भारतीय वास्तुकला और शिल्पकला का यह एक नायाब नमूना है। दक्षिण द्रविड़ शैली में निर्मित इस मंदिर के मुख्य भाग आनंदा निलयम में भगवान श्री वेंकटेश्वर की सात फीट ऊंची प्रतिमा विराजमान है। उनके दर्शन और पूजन के लिए न केवल भारत से बल्कि दुनियाभर के विभिन्न हिस्सों से लोग पहुंचते हैं। यह मंदिर अपनी अपार संपत्ति के लिए भी जाना जाता है।
आंध्र प्रदेश सरकार ने ‘तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम’ (Tirumala Tirupati Devsthanam) के लिए 81 सदस्यीय जंबो बोर्ड का गठन किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत केंद्रीय कैबिनेट में 78 सदस्य हैं। लेकिन, इस जंबो बोर्ड में एक अध्यक्ष, 4 पदेन सदस्य और 24 नियमित सदस्यों के अलावा 52 विशेष आमंत्रित सदस्य शामिल हैं। तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम ट्रस्ट के पास 9 हज़ार किलो के करीब शुद्ध सोना जमा है। दान में मिला करीब 7,235 किलो सोना देश के दो बैंकों में जमा है, जबकि करीब 1,934 किलो सोना मंदिर के खजाने में रखा है. बैंकों में रखे सोने से मंदिर को ब्याज में करीब 100 किलो से ज्यादा सोना हर साल मिल जाता है।
सबसे अमीर मंदिर
पद्मनाभ मंदिर के बाद आंध्र प्रदेश का तिरुपति मंदिर भारत का दूसरा सबसे अमीर मंदिर है। वहीं, दान पाने के मामले में यह दुनिया का सबसे अमीर मंदिर कहा जाता है। भगवान वेंकटेश्वर का यह मंदिर समुद्र तल से 2800 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. मंदिर की मासिक आय 200 से 220 करोड़ रुपये बताई जाती है।
फिक्स्ड डिपॉजिट
तिरुपति बालाजी मंदिर के 12 हज़ार करोड़ से ज्यादा रुपये अलग-अलग बैंकों में फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) के रूप में जमा हैं। इस मंदिर में हर दिन 50 हजार से एक लाख श्रद्धालु आते हैं, जबकि सालाना ब्रह्मोत्सवम और त्योहारों पर श्रद्धालुओं की संख्या बढ़कर रोजाना 4-5 लाख हो जाती है। देश और दुनिया से भक्त यहां पहुंचते हैं और चढ़ावे में सोना, चांदी, कैश, जमीन के कागजों के अलावा कंपनियों के शेयर भी समर्पित कर देते हैं। वहीं हुंडी कलेक्शन या दान की बात करें तो हर साल 1000 से 1200 करोड़ रुपए आ जाते हैं।
मंदिर का संचालन
अपार संपत्ति वाले इस मंदिर का संचालन अब इस 81 सदस्यीय जंबो बोर्ड के हाथ में होगा. आंध्र प्रदेश सरकार ने जंबो बोर्ड के गठन को लेकर तीन अलग-अलग आदेश जारी किए हैं. आदेश में कहा गया कि बोर्ड का गठन TTD यानी तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम के सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक, पर्यावरणीय चरित्र को संरक्षित करने के लिए किया गया है. साथ ही तीर्थयात्रियों, श्रद्धालुओं और आम जनता के कल्याण के सिद्धांतों का पालन करने के लिए बोर्ड का गठन किया गया है।