Trackers Death : 11 के शव मिले, कई की खोज जारी 

उत्तराखंड में बारिश से तबाही, कुमाऊं में कई पर्यटक फंसे 

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Trackers Death

Dehradun (Uttarakhand) : तीन दिनों की भीषण बारिश के बाद उत्तरकाशी के हर्षिल-चितकुल लम्खागा दर्रे पर 11 शव मिले हैं। ट्रैकिंग के लिए ये लोग 18 अक्टूबर को चितकुल पहुंचे थे।

18 अक्टूबर से उनसे संपर्क नहीं हो सका था। टीम के सभी 11 सदस्य लापता बताए गए थे। शुक्रवार को ट्रैकिंग टीम (Trekking Team) के 11 सदस्यों के शव मिले। बारिश से राज्य हिस्से की सड़कें क्षतिग्रस्त हो गई। संपर्क टूटने के कारण 700 से अधिक पर्यटक कुमाऊं क्षेत्र में फंसे हैं।

पांच शव गुरुवार को उत्तरकाशी की (NDRF) टीम को और दो शव हिमाचल प्रदेश के बचाव दल को मिलने की जानकारी है। उत्तरकाशी के जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने बताया कि दल के दो सदस्यों को गुरुवार को सुरक्षित बचा लिया। दोनों घायल हैं। एक को हर्षिल और दूसरे को उत्तरकाशी के अस्पताल में भर्ती कराया गया।

दो अन्य लापता ट्रैकर्स (Treakers) की हेलीकॉप्टर से युद्धस्तर पर खोज की जा रही है। दिल्ली का एक और पश्चिम बंगाल (WB) के 7 Trekkers, तीन रसोइयों और 6 पोर्टरों के साथ 11 अक्टूबर को उत्तरकाशी के हर्षिल से लमखागा दर्रे के रास्ते हिमाचल प्रदेश के चितकुल के लिए रवाना हुए थे। खराब मौसम के बीच पोर्टर 18 अक्टूबर को चितकुल पहुंच गए, लेकिन बाकी 11 लोग लापता थे। इनमें से 7 के शव मिले। इनकी पहचान अभी नहीं हो पाई है।

बागेश्वर जिले के कपकोट क्षेत्र में पिंडर ग्लेशियर में फंसे तथा सुंदर डूंगा Treak से लापता 6 ट्रैकर्स की तलाश के लिए भी राज्य आपदा प्रतिवादन बल (NDRF) के दो दल जुटे हुए हैं।  NDRF की एक टीम पैदल मार्ग से तलाशी अभियान में लगी है। दूसरी टीम हेलीकॉप्टर से तलाश कर रही है।

क्षेत्र में संचार माध्यम न होने के कारण ये टीमें सेटेलाईट फ़ोन के माध्यम से सूचनाएं दे रही हैं। NDRF के वरिष्ठ अधिकारी बचाव अभियान की निगरानी कर रहे हैं। NDRF के सेनानायक नवनीत सिंह के मुताबिक कपकोट में लापता प्रत्येक ट्रैकर को सुरक्षित लाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

उत्तराखंड में 17,18 और 19 अक्टूबर को आई अचानक तेज बारिश के कारण हुई घटनाओं में अभी तक 67 व्यक्तियों की मृत्यु हो चुकी है। लगभग 150 पर्यटक अभी भी नैनीताल जिले में फंसे हैं। कुमाऊं मंडल के बागेश्वर जिले में भी करीब 400 से ज्यादा पर्यटक फंसे हैं। कई गांवों का संपर्क शहरों से कट गया।